क्या लौट आएगा फिल्मी मुजरों का दौर?
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एजेंट विनोद" में करीना कपूर का मुजरा एक बार फिर दर्शकों को पुराने दौर में ले जा रहा है। वैसे भी हिन्दी फिल्मों में मुजरा अब गायब-सा हो गया है, लेकिन सैफ अली खान ने "एजेंट विनोद" के लिए मुजरे की जरूरत को समझा और उसे करीना पर ही फिल्माया।
सैफ कहते हैं कि फिल्म में करीना का मुजरा काफी ताजगी देने वाला और रोमांचक है। "दिल मेरा मुफ्त का" मुजरे की कोरियोग्राफी सरोज खान ने की है। सैफ ने कहा कि जब हम लोग पटकथा लिख रहे थे और चर्चा कर रहे थे, उस समय हम सभी को लगा कि फिल्म में मुजरा तो जरूर रखा जाना चाहिए। इससे फिल्म में दूसरी फिल्मों की तुलना में कुछ अलहदा भी हो जाएगा। करीना का इस तरह के गीत पर प्रस्तुति देना काफी रोमांचक होगा। अगर दर्शक इसकी प्रशंसा करते हैं तो हमें लगेगा कि हम लोगों ने वह हासिल कर लिया जो हम लोग चाहते थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि अब मुजरे का जमाना नहीं रहा और न ही फिल्ममेकर्स इसे अपनी फिल्मों का हिस्सा बनाना चाहते हैं। इससे पहले दर्शकों ने फिल्मों में जिन मुजरों को देखा, वे काफी स्तरीय और दर्शनीय थे। खास बात यह है कि मुजरों को विख्यात पार्श्व गायिकाओं ने ही स्वर दिया। सिने इतिहास में ऐसी कई फिल्मों की लिस्ट है जिनके मुजरों ने दर्शकों को खूब लुभाया। "अदालत" में नर्गिस के मुजरे "उनको ये शिकायत है कि..." को लोग आज भी गुनगुनाते हैं। इस मुजरे के गीतकार थे राजेन्द्र कृष्ण और संगीत दिया था मदनमोहन ने। लता मंगेश्कर द्वारा गाया यह मुजरा आज भी कानों में रस घोल देता है।