प्राण को नवाजा गया दादा साहब फालके अवॉर्ड से
बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता प्राण को शुक्रवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने मुंबई में उनके घर पर जाकर प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया। स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से 93 वर्षीय प्राण नई दिल्ली में पिछले सप्ताह आयोजित 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में नहीं जा सके थे। शायद यह पहला अवसर है जब किसी कलाकार को उसके घर पर फाल्के पुरस्कार प्रदान किया गया है। ‘मिलन’, ‘मधुमति’, ‘कश्मीर की कली’ जैसी हिन्दी फिल्मों में खलनायक की भूमिकाओं में जान डाल देने वाले अभिनेता प्राण को इस पुरस्कार के तहत एक ‘स्वर्ण कमल’, प्रशस्ति पत्र, 10 लाख रुपए नकद और एक शॉल प्रदान की गई।कुर्ता-पायजामा पहने प्राण को बांद्रा के पाली हिल स्थित उनके अपार्टमेंट जाकर तिवारी ने यह सम्मान प्रदान किया। प्राण व्हील चेयर पर थे। उनके साथ उनकी पुत्री पिंकी और पुत्र सुनील थे। तिवारी ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है इसलिए उनके पास जाकर यह अवॉर्ड देना हमारी जिम्मेदारी थी। मैं हर व्यक्ति का आभार व्यक्त करता हूं। यह पूछे जाने पर कि क्या प्राण को यह सम्मान देर से दिया गया, तिवारी ने कहा कि अवॉर्ड के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होता है। निर्णायक मंडल तय करता है कि अवॉर्ड कब दिया जाना है।प्राण के बच्चों ने अपने पिता को यह प्रतिष्ठित सम्मान दिए जाने पर खुशी जताई। पिंकी ने कहा कि हम भी इस बात से खुश हैं कि मंत्री अवॉर्ड देने के लिए यहां आए। बहुत अच्छा लगा। हमने एक पार्टी आयोजित की और उसका आनंद उठाया। पिछले कुछ समय से वयोवृद्ध अभिनेता का स्वास्थ्य ठीक नहीं है।सुनील ने कहा कि वे पहले से अब ठीक हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या प्राण को यह सम्मान विलंब से दिया गया, उन्होंने कहा कि हम इसमें नहीं जाना चाहते। करीब छ: दशक के करियर में प्राण ने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया है। ‘मिलन’, ‘मधुमति’, ‘कश्मीर की कली’ और ‘उपकार’ जैसी फिल्में उनके यादगार अभिनय से सजी हैं। पर्दे पर उनकी खलनायकी का जादू इस कदर छाया कि जब उनकी लोकप्रियता शिखर पर थी तब लोगों ने अपने बच्चों का नाम ‘प्राण’ रखना ही बंद कर दिया था। प्राण की बादशाहत 1969 से 1982 तक पर्दे पर कायम रही। (भाषा)