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सावधान! भारत में इबोला की दस्तक

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नई दिल्ली , शनिवार, 23 अगस्त 2014 (20:33 IST)
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नई दिल्ली। अफ्रीकी देशों में 900 लोगों की जान लेने वाले खतरनाक वायरस 'इबोला' ने अब भारत में भी दस्तक दे दी है। हालांकि अभी जांच जारी है।

सबसे पहले अफ्रीकी देश गिनी से शनिवार देर रात चेन्नई पहुंचे एक युवक में इबोला के लक्षण दिखने से राज्य में हड़कंप मच गया। इसके बाद मुंबई से सटे वसई में नाइजीरिया से काम कर लौटा एक युवक में ही इस जानलेवा वायरस के लक्षण पाए गए हैं।

वसई के मरीज को वसई अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह युवक 30 साल का है। हालांकि शुरुआती जांच में इबोला का वायरस नहीं मिला लेकिन जांच जारी है।

इससे पहले गुयाना (गिनी) से चेन्नई आए एक युवक में इबोला के लक्षण पाए जाने के बाद उसे तुरंत राज्य सरकार हरकत में आ गई। भारत आए इस मरीज को चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार, यह मरीज पश्चिमी अफ्रीकी देश से अपने तमिलनाडु स्थित अपने घर आने के लिए चेन्नई एयरपोर्ट पर उतरा था।

इसके बाद एक टीम जो कि एयरपोर्ट पर पश्चिमी अफ्रीकी देशों से आने वाले हर मरीज की जांच कर रही है, उसे इस व्यक्ति में इबोला जैसे लक्षण नजर आए। डॉक्टरों की टीम मरीज को तुरंत अस्पताल लेकर गई, जहां उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि शुरुआती जांच में इस मरीज में इबोला को कोई लक्षण नहीं मिले हैं।

क्या लक्षण है इबोला के जानिए अगले पन्ने पर...


इबोला के लक्षण दस्त, उल्टी और ब्लीडिंग है। इबोला संक्रमित लोगों की चमड़ी गलने लगती है। कुछ दिन बाद सी स्थिति आती है कि हाथ, पैर के साथ-साथ पूरा शरीर गल जाता है। इबोला वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के खून, मल या पसीने से सीधे संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस यौन संपर्क और वायरस वाली डेड बाडी को गलत तरीके से डिस्पोज करने से भी फैल सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इबोला एक खतरनाक व जानलेवा वायरस है। वायरस संक्रमित होने के बाद व्यक्ति की मौत की आशंका 90 फीसदी तक होती है। अब तक इस पर कोई एंटी बायोटिक कारगर नहीं है और न ही इलाज के बाद बीमारी असर कम होता देखा गया है।

पूरी दुनिया में खौफ पैदा करने वाले और 900 से ज्यादा लोगों की जान लेने वाला "इबोला" के शोधकर्ताओं की एक टीम का कहना है अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रहा यह वायरस एक दो साल के बच्चे से फैला था।

एक अंग्रेजी टीवी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 में 6 दिसंबर को गिनी के एक गांव में एक दो साल के बच्चे की मौत हो गई थी और उसके एक सप्ताह बाद ही उसकी मां की भी मौत हो गई। इतना ही नहीं यह वायरस इतनी तेजी से फैला कि इस वायरस ने बच्चे की 3 साल की बहन और दादी को भी अपनी चपेट में ले लिया। इन सभी लोगों को उलटी, डायरिया और बुखार की शिकायत हुई थी।

साथ ही बताया कि बच्चे की दादी का अंतिम संस्कार करने पहुंचे दो लोग भी इस वायरस की चपेट में आ गए और इनका इलाच करने वाला एक डॉक्टर भी इबोला का शिकार हो गया। अभी तक इस वायरस की चपेट में 17 सौ से ज्यादा लोग आ चुके हैं और 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

अफ्रीकी देश गिनी में दर्जनों लोगों की मौत के बाद साल 2014 में मार्च महीने में इस वायरस के बारे में पता चला। जिसके बाद यह अफ्रीका के दूसरे देश लाइबेरिया और सियरा लियोन पहुंच गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस पर काबू पाने में कई महीने लगेंगे और हजारों स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत होगी। (एजेंसी)


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