ग्लोबल आइकन शाहरुख खान, जिनका नाम दुनिया भर के लोगों के दिलों में बसा है, उन्होंने 33 साल पहले एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था और तब से लेकर अब तक उन्होंने इसे ऐसे राज किया है जैसे कोई और नहीं कर पाया। उनकी दिलकश अदाएं, दमदार परफॉर्मेंस और जमीन से जुड़ी शख्सियत ने उन्हें इंडियन सिनेमा का इंटरनेशनल चेहरा बना दिया है।
शाहरुख खान का जलवा सिर्फ परदे तक नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी में भी दिखता है। उनके नेक कामों ने सरहदों के पार भी कई लोगों की ज़िंदगी छू ली है। लेकिन जो बात उन्हें सबसे खास बनाती है, वो ये है कि उन्हें दुनिया के सातों महाद्वीपों में सम्मान और अवॉर्ड मिल चुके हैं और आपको बता दें कि ऐसा करने वाले वो अकेले एक्टर हैं।
बॉलीवुड के बादशाह के 33 शानदार साल पूरे होने पर, हम उनकी उस कमाल की यात्रा को याद कर रहे हैं जिसने उन्हें हर दिल अज़ीज बना दिया। दुनियाभर से मिले सम्मान इस बात का सबूत हैं कि शाहरुख खान की मोहब्बत और पहचान सरहदों में बंधी नहीं है बल्कि वो सच में ग्लोबल आइकन हैं।
एशिया - पद्मश्री
2005 में शाहरुख खान को भारत सरकार ने देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान, पद्मश्री से नवाज़ा था। ये सम्मान उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके शानदार योगदान और ग्लोबल एंटरटेनमेंट पर उनके असर के लिए दिया गया था।
यूरोप – पार्दो आला कारिएरा
शाहरुख खान को उनके शानदार फिल्मी सफर के लिए लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में 'पार्दो आला कारिएरा' (Pardo alla Carriera) सम्मान से नवाज़ा गया। 2010 में वह बर्लिन टाउन हॉल के गेस्टबुक पर साइन करने वाले पहले भारतीय अभिनेता बने। इसके अलावा उन्हें वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में 'क्रिस्टल अवॉर्ड' भी मिला, जो उन्होंने अपनी 'मीर फाउंडेशन' के ज़रिए किए गए मानवीय कार्यों के लिए हासिल किया। लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स में उन्हें 'ग्लोबल डाइवर्सिटी अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया गया।
नॉर्थ अमेरिका – क्रिस्टल अवॉर्ड
2011 में शाहरुख खान ने टोरंटो के आइकॉनिक रोजर्स सेंटर में आयोजित IIFA अवॉर्ड्स में शिरकत की, जहां उन्हें 'माई नेम इज़ खान' में उनकी दमदार परफॉर्मेंस के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया गया। इस फिल्म में निभाया गया उनका किरदार दुनियाभर में सराहा गया और उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर जबरदस्त तारीफें भी मिलीं।
ऑस्ट्रेलिया – ला ट्रोब यूनिवर्सिटी से ऑनरेरी डॉक्टरेट
शाहरुख खान ने इतिहास रच दिया जब वो ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोब यूनिवर्सिटी से ऑनरेरी डॉक्टरेट ऑफ लेटर्स पाने वाले पहले भारतीय अभिनेता बने। ये सम्मान उन्हें मीर फाउंडेशन के ज़रिए किए गए उनके बेहतरीन समाजसेवा के कामों के लिए दिया गया। उनका फाउंडेशन ज़रूरतमंद बच्चों की मदद करता है, महिलाओं को सशक्त बनाता है और एसिड अटैक सर्वाइवर्स को सहारा देता है।
अफ्रीका – UNESCO का पिरामिड कॉन मार्नी
2011 में शाहरुख खान को अफ्रीका में UNESCO का प्रतिष्ठित पिरामिड कोन मार्नी अवॉर्ड मिला। वो दुनिया के उन गिने-चुने कलाकारों में से एक हैं जिन्हें मानवता की भलाई के लिए ये सम्मान मिला। ये अवॉर्ड उन्हें बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य सुधार के लिए किए गए लंबे समय से चले आ रहे उनके प्रयासों के लिए दिया गया।
साउथ अमेरिका – ग्लोबल डायवर्सिटी अवॉर्ड
2014 में शाहरुख खान को ब्रिटिश संसद की ओर से ग्लोबल डाइवर्सिटी अवॉर्ड से नवाजा गया। ये सम्मान लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स के स्टेट रूम में स्पीकर जॉन बर्को ने उन्हें दिया। ये अवॉर्ड दुनिया भर के सिनेमा और सांस्कृतिक एकता में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए दिया गया था।
दूसरी उपलब्धियां
शाहरुख खान सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि उनका असर दुनियाभर में महसूस किया जाता है। अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी ने उन्हें दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया, जो उनके स्टारडम के साथ-साथ समाज और संस्कृति पर उनके असर को भी मान्यता देता है।
फ्रांस की सरकार ने भी शाहरुख को अपने दो सबसे बड़े सम्मान दिए हैं, साल 2007 में ऑर्ड्रे दे आर्त ए दे लेत्र (Ordre des Arts et des Lettres) से नवाजा गया, जो कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए था। इसके बाद 2014 में उन्हें फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान लीजन ऑफ ऑनर (Légion d'honneur) मिला, जो सच में किसी भी भारतीय कलाकार के लिए गर्व और सम्मान की बात है।
शाहरुख खान की ये तमाम कामयाबियां ये दिखाती हैं कि वो सिर्फ एक एक्टर नहीं, बल्कि एक सोच, एक इंस्पिरेशन हैं। फिल्मों से लेकर समाजसेवा तक और अपनी सादगी से लोगों के दिलों में जगह बनाने तक, वो हर जगह मिसाल बन चुके हैं। दुनिया के सातों महाद्वीपों में मिल रहे सम्मान इस बात का सबूत हैं कि उनका नाम सिर्फ इंडिया तक सीमित नहीं है। वो हर मुल्क, हर बोली, हर दिल से जुड़ जाते हैं। उनका काम, उनका अंदाज़ और लोगों के लिए उनका प्यार ही उन्हें सबसे खास बनाता है।