दीपिका पादुकोण भले ही अब तक अपनी फिल्म ‘पद्मावती’ की रिलीज का इंतजार कर रही हों लेकिन जानी मानी अभिनेत्री हेमा मालिनी ने खुलासा किया है कि वह रानी पद्मिनी का किरदार निभा चुकी हैं। पद्मावती का किरदार अभी विवाद में फंसा हुआ है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित संजय लीला भंसाली की इस फिल्म को अभी सीबीएफसी से प्रमाणपत्र मिलना बाकी है। कई राजपूत संगठनों एवं नेताओं ने निर्देशक पर फिल्म में ‘ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़’ करने का आरोप लगाया है।
बहरहाल वाकई में पद्मिनी का अस्तित्व था या नहीं, इस बात को लेकर इतिहासकार बंटे हुए हैं।
हेमा मालिनी ने टीवी धारावाहिक ‘तेरह पन्ने’ में ऐतिहासिक किरदार निभाये थे। वर्ष 1986 में दूरदर्शन पर प्रसारित इस धारावाहिक में इतिहास से 13 अध्यायों को दर्शाया गया था, जिसमें एक किरदार रानी पद्मिनी का भी था जिसे हेमा मालिनी ने निभाया था।
69 वर्षीय अभिनेत्री एक पैनल चर्चा में बोल रही थीं, विषय था : ‘‘सेवेंटी इज द न्यू सेवेंटी - हू द हेल वांट्स टू बी थर्टी?’’। चर्चा में लेखक-स्तंभकार शोभा डे और हेमा की जीवनी ‘‘हेमा मालिनी : बीयोंड द ड्रीम गर्ल’’ लिखने वाले राम कमल भी शामिल थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या लोग अब मुद्दों को लेकर, खासकर ‘‘पद्मावती’’ के मामले में अधिक संवेदनशील हो गये हैं, इस पर हेमा ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि मैंने पद्मावती की भूमिका निभाई, जो ‘तेरह पन्ने’ में रानी पद्मिनी का किरदार था।’’ अपनी किताब में मुखर्जी ने इस बात का जिक्र किया था कि मथुरा से भाजपा सांसद अपने राजनीतिक कॅरियर को लेकर बेहद गंभीर हैं।
यह पूछे जाने कि अगले पांच साल में राजनीति में वह अपने आप को कहां देखती हैं, इस पर हेमा ने कहा कि उनकी कभी ‘‘बड़ी राजनीतिक’’ महत्वाकांक्षा नहीं रही और वह सिर्फ लोगों की सेवा करना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझसे राज्यसभा में आने की पेशकश की गयी थी और चूंकि मैं अलग पृष्ठभूमि से आती हूं तो मेरे लिये यह मुश्किल था। शुरू में मैं डरी थी। आडवाणीजी और अन्य नेताओं ने मुझे सहज महसूस करवाने में मदद की। मैं दिग्गज नेताओं के भाषणों को सुना करती थी जो मेरे लिये आंखें खोलने वाले होते थे...।’’
हेमा ने कहा, ‘‘मैं लोकसभा सदस्य बनना चाहती थी। कई लोग हैरानी जताते और कहते ‘क्या वह कर सकती है?’ वह तो एक अभिनेत्री है। लेकिन वाकई में मैंने बहुत आनंद उठाया। नेता होने के नाते मुझे लोगों से बहुत प्यार मिला। मुझे मंत्री या कुछ और बनने की आकांक्षा नहीं है। मैं बस लोगों की सेवा करना चाहती हूं।’’(भाषा)