बॉलीवुड के फेमस गीतकार, स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर अक्सर अपने बयानों की वजह से विवादों में घिर जाते हैं। बीते दिनों जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू के दौरान तालिबान के साथ आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल की तुलना कर दी थी। उनके इस बयान के बाद बवाल छिड़ गया है।
जावेद अख्तर के घर के बाहर बीते दिन बीजेपी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था। उनका कहना था जावेद अख्तर अपना बयान वापस लें और हाथ जोड़कर माफी मांगें। वहीं हाल ही में शिवसेना ने भी अपने मुखपत्र सामना में जावेद अख्तर की ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और तालिबान की तुलना किए जाने पर जवाब दिया है।
शिवसेना ने लिखा है कि यह तुलना सही नहीं है। आरएसएस अगर तालिबानी विचारों वाला होता तो तीन तलाक के खिलाफ कानून न बना होता। लाखों मुस्लिम महिलाओं को आजादी नहीं मिलती।
देश में बहुसंख्यक हिंदुओं की आवाज को दबाया न जाए। हमारे देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का प्रयास करने वाले जो संगठन हैं, उनकी हिंदू राष्ट्र निर्माण की अवधारणा सौम्य है।
शिवसेना ने सामना में लिखा कि जावेद अख्तर अपने मुखर बयानों के लिए जाने जाते हैं। देश में जब-जब राष्ट्रदोही विकृतियां उफान पर आती हैं, जावेद अख्तर उन लोगों के मुखौटे फाड़ते हैं। कट्टरपंथियों की परवाह किए बगैर उन्होंने वंदे मातरम गाया है। फिर भी संघ की तालिबान से तुलना हमें अस्वीकार्य है। तालिबानी शासन समाज और मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
उन्होंने लिखा, तालिबान ने अफगानिस्तान को नर्क बना दिया है। महिलाओं पर जुल्म हो रहे हैं। लाखों लोग देश छोड़कर भाग गए हैं। हमारा हिंदुस्तान ऐसा नहीं है।
बता दें कि जावेद अख्तर ने कहा था कि आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल जैसे संगठन तालिबान की तरह है। इनके रास्ते में भारत का संविधान रूकावट बन रहा है। इन्हें जरा सा मौका मिले तो यह सीमा पार करने में जरा भी संकोच नहीं करेंगे। आरएसएस का समर्थन करने वालों की मानसिकता भी तालिबानियों जैसी ही है। आरएसएस का समर्थन करने वालों को आत्म परीक्षण करना चाहिए।