Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कभी बस कंडक्टर की नौकरी करते थे जॉनी वॉकर, कॉमिक अभिनय से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

हमें फॉलो करें कभी बस कंडक्टर की नौकरी करते थे जॉनी वॉकर, कॉमिक अभिनय से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

WD Entertainment Desk

, सोमवार, 29 जुलाई 2024 (10:50 IST)
Johnny Walker Death Anniversary: बॉलीवुड में अपने लाजवाब कॉमिक अभिनय से दर्शकों के दिलों में गुदगुदी पैदा करने वाले जॉनी वॉकर को बतौर अभिनेता अपने सपनों को साकार करने के लिए बस कंडक्टर की नौकरी भी करनी पड़ी थी। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर मे एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार मे जन्में बदरूदीन जमालुदीन काजी उर्फ जॉनी वॉकर बचपन के दिनों से ही अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे।
 
साल 1942 में जॉनी वॉकर पूरा परिवार मुंबई आ गया। मुंबई में उनके पिता के एक जानने वाले पुलिस इंस्पेकटर थे जिनकी सिफारिश पर जॉनी वॉकर को बस कंडकटर की नौकरी मिल गई। इस नौकरी को पाकर जॉनी वॉकर काफी खुश हो गए क्योंकि उन्हे मुफ्त में ही पूरी मुंबई घूमने का मौका मिल जाया करता था। इसके साथ ही उन्हें मुंबई के स्टूडियो में भी जाने का मौका मिल जाया करता था। जॉनी वॉकर का बस कंडक्टरी करने का अंदाज काफी निराला था। वह अपने विशेष अंदाज मे आवाज लगाते माहिम वाले पैसेंजर उतरने को रेडी हो जाओ लेडिज लोग पहले।
 
इसी दौरान जॉनी वॉकर की मुलाकात फिल्म जगत के मशहूर खलनायक एनए अंसारी और के आसिफ के सचिव रफीक से हुई। लगभग सात आठ महीने के संघर्ष के बाद जॉनी वॉकर को फिल्म 'अखिरी पैमाने' में एक छोटा सा रोल मिला। इस फिल्म में उन्हें पारिश्रमिक के तौर पर 80 रुपए मिले जबकि बतौर बस कंडक्टर उन्हें पूरे महीने के मात्र 26 रुपए ही मिला करते थे। एक दिन उस बस में अभिनेता बलराज साहनी भी सफर कर रहे थे। वह जॉनी वॉकर के हास्य व्यंग के अंदाज से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने जॉनी वॉकर को गुरुदत्त से मिलने की सलाह दी। गुरुदत्त उन दिनों बाजी नामक एक फिल्म बना रहे थे। गुरुदत्त ने जॉनी वॉकर की प्रतिभा से खुश होकर अपनी फिल्म बाजी में काम करने का अवसर दिया।
 
webdunia
साल 1951 में रिलीज फिल्म 'बाजी' के बाद जॉनी वॉकर बतौर हास्य कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। फिल्म बाजी के बाद वह गुरुदत्त के पसंदीदा अभिनेता बन गए। उसके बाद जॉनी वॉकर ने गुरुदत्त की कई फिल्मों में काम किया जिनमें आरपार, मिस्टर एंड मिसेज 55, प्यासा, चौदहवी का चांद, कागज के फूल जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल है। नवकेतन के बैनर तले बनी फिल्म टैक्सी ड्राइवर में जॉनी वॉकर के चरित्र का नाम 'मस्ताना' था। कई दोस्तों ने उन्हें यह सलाह दी कि वह अपना फिल्मी नाम मस्ताना ही रखे लेकिन जॉनी वॉकर को यह नाम पसंद नहीं आया और उन्होंने उस जमाने की मशहूर शराब 'जॉनी वाकर' के नाम पर अपना नाम जॉनी वॉकर रख लिया।
 
साल 1958 में रिलीज फिल्म 'मधुमति' का एक दृश्य जिसमें वह पेड़ पर उलटा लटक कर लोगों को बताते हैं कि दुनिया ही उलट गई है, आज भी सिने दर्शक नहीं भूल पाये हैं। इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार भी दिया गया। इसके अलावा साल 1968 में रिलीज फिल्म 'शिकार' के लिए जॉनी वॉकर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए। 70 के दशक मे जॉनी वॉकर ने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि फिल्मों मे कॉमेडी का स्तर काफी गिर गया है। 
 
इसी दौरान ऋषिकेष मुखर्जी की फिल्म 'आनंद' में जॉनी वॉकर ने एक छोटी-सी भूमिका निभाई। इस फिल्म के एक दृश्य में वह राजेश खन्ना को जीवन का एक ऐसा दर्शन कराते है कि दर्शक अचानक हंसते-हंसते संजीदा हो जाता है। साल 1986 में अपने पुत्र को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए जॉनी वॉकर ने फिल्म 'पहुंचे हुए लोग' का निर्माण और निर्देशन भी किया। लेकिन बॉक्स आफिस पर यह फिल्म बुरी तरह से नकार दी गई। इसके बाद जॉनी वॉकर ने फिल्म निर्माण से तौबा कर ली।
 
इस बीच उन्हें कई फिल्मों में अभिनय करने के प्रस्ताव मिले जिन्हें जॉनी वॉकर ने इंकार कर दिया लेकिन गुलजार और कमल हासन के बहुत जोर देने पर साल 1998 मे रिलीज फिल्म 'चाची 420' में उन्होंने एक छोटा-सा रोल निभाया जो दर्शको को काफी पसंद भी आया। जॉनी वॉकर ने अपने अपने पांच दशक के लंबे सिने करियर मे लगभग 300 फिल्मों में काम किया। अपने विशिष्ट अंदाज और हाव भाव से लगभग चार दशक तक दर्शकों का मनोरंजन करने वाले महान हास्य कलाकार जॉनी वॉकर 29 जुलाई 2003 को इस दुनिया से रूख्सत हो गए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

3 शादियां कर चुके अनूप जलोटा ने 37 साल छोटी जसलीन संग इश्क लड़ाकर मचा दिया था तहलका