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'भीख में मिली आजादी' बयान पर अड़ीं कंगना रनौट, बोलीं- गलत साबित हुई तो लौटा दूंगी पद्मश्री

हमें फॉलो करें 'भीख में मिली आजादी' बयान पर अड़ीं कंगना रनौट, बोलीं- गलत साबित हुई तो लौटा दूंगी पद्मश्री
, शनिवार, 13 नवंबर 2021 (17:52 IST)
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौट अपने बेबाक बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। एक्ट्रेस को इस वजह से कई बार मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है। हाल ही में दिए एक बयान की वजह से कंगना को जमकर ट्रोल किया जा रहा है। 

 
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कंगना ने कहा था कि देश को 1947 में आजादी भीख में मिली थी और देश को असली आजादी साल 2014 में मिली। एक्ट्रेस के इस बयान के बाद जमकर बवाल मचा हुआ है। लेकिन एक्ट्रेस इस बयान पर पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। कंगना अपने इस बयान पर अड़ी हुई हैं। 
 
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कंगना रनौट का कहना है कि अगर वह गलत साबित होती हैं तो पद्मश्री अवॉर्ड लौटा देंगी। गौरतलब है कि एक्ट्रेस को हाल ही में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। 
 
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कंगना रनौट ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में एक किताब के कुछ अंश साझा किए हैं। इस पन्ने पर अरबिंदो घोष, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के कोट्स हैं, जिसमें कांग्रेस को लेकर उन्होंने अपनी बात कही है। इसके साथ कंगना ने लिखा, 1857 में स्वतंत्रता के लिए पहली सामूहिक लड़ाई शुरू हुई। पूरी लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी जैसे महान लोगों ने बलिदान दिया। 
 
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1857 की लड़ाई मुझे पता है, लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है। अगर कोई मुझे बता सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी…कृपया इसमें मेरी मदद करें। 
 
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उन्होंने लिखा, मैंने शहीद वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई की फीचर फिल्म में काम किया है। आजादी की पहली लड़ाई 1857 पर बड़े पैमाने पर रिसर्च की थी। राष्ट्रवाद के साथ राइट विंग का भी उदय हुआ। लेकिन अचानक खत्म क्यों हो गया? और गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया? अंग्रेजों ने बरबादी की हद तक भारत को लूटा है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान गरीबी और दुश्मनी के हालात में उनका भारत में रहना भी महंगा पड़ रहा था। 
 
अंग्रेज जानते थे कि वो सदियों के अत्याचारों की कीमत चुकाए बगैर भारत से जा नहीं पाएंगे। उन्हें भारतीयों की मदद चाहिए थी। उनकी आजाद हिंद फौज के साथ छोटी सी लड़ाई ही हमें आजादी दिला सकती थी और सुभाष चंद्र बोस देश के पहले प्रधानमंत्री होते। क्यों आजादी को कांग्रेस के कटोरे में डाला गया गया? जब राइट विंग इसे लड़कर ले सकती थी। क्या कोई ये समझाने में मदद कर सकता है।
 
कंगना ने लिखा, जहां तक ​​2014 में आजादी का संबंध है, मैंने विशेष रूप से कहा था कि भौतिक आजादी हमारे पास हो सकती है, लेकिन भारत की चेतना और विवेक 2014 में मुक्त हो गए थे। पहली बार है जब अंग्रेजी न बोलने या छोटे शहरों से आने या भारत में बनी चीजों का उपयोग करने के लिए लोग हमें शर्मिंदा नहीं कर सकते।
 

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