फिल्ममेकर करण जौहर, जिनकी फिल्में 'उच्च वर्ग' की प्रेम कहानियां और किरदारों के उतार-चढ़ाव को दर्शाती हैं, अब मुख्य रूप से आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में पढ़ाई करने वालों के लिए एक वैवाहिक वेबसाइट का समर्थन कर वास्तविक जीवन में कुलीन वर्ग के लिए रिश्ता जोड़ने वाले बन गए हैं।
करण जौहर को लोकप्रिय वैवाहिक मंच ITIIMShaadi.com का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। कंपनी आने वाले महीनों में डिजिटल मीडिया पर करण की विशेषता वाले डिजिटल विज्ञापन अभियानों की एक सीरीज जारी करेगी। लेकिन जैसे ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहला विज्ञापन लॉन्च किया गया, करण को इसका चेहरा होने के लिए ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा।
अपने इस कदम को लेकर करण जौहर निशाने पर हैं और इस मुद्दे पर तीखी बहस हो रही है। इस मुद्दे पर करण जौहर खुद चुप हैं, लेकिन लोगों ने एक विशेष वर्ग के लिए केंद्रित ऐसी साइट का उनके 'ब्रांड एंबेसडर' बनने का पता चलने पर सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर बातें शुरू कर दी हैं।
कुछ कुछ होता है और कभी खुशी कभी गम जैसी फिल्मों के निर्देशक की 'अभिजात्य' होने और एक ऐसे देश में समस्याग्रस्त विचार को बढ़ावा देने के लिए आलोचना की जा रही है जहां धर्म, जाति और वर्ग पहले से ही विवाह में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, 'आईआईटीआईआईएमशादी' नाम की किसी चीज की मौजूदगी शायद उस समाज की तार्किक अभिव्यक्ति है जो शिक्षा को निवेश, शादी को एक लेन-देन और वर्ग तथा जाति के वर्चस्व को जीवन के अंतिम उद्देश्य के रूप में देखता है।
समाजशास्त्री संजय श्रीवास्तव ने कहा कि जौहर जो कह रहे हैं, वह सामान्य मान्यताओं के अनुरूप है क्योंकि अभिजात्यवाद कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आम लोग नीची नजर से देखते हैं। श्रीवास्तव ने कहा, जौहर कह रहे हैं : एक ही वर्ग के भीतर रिश्तों को चुनना चाहिए और वह वर्ग किसी की पहचान का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। यह एक नई किस्म की आकांक्षा है जो उन विचारों को गहरा करने और उन्हें बढ़ावा देने का काम करती है।
ट्विटर पर करण जौहर के लगभग 1.7 करोड़ फॉलोअर्स हैं और इंस्टाग्राम पर उनके 11.7 करोड़ फॉलोअर्स हैं, जहां उन्होंने 30 मार्च को विज्ञापन पोस्ट किया था, जिसकी शुरुआत कुछ कुछ होता है के एक प्रसिद्ध संवाद से होती है- 'हम एक बार जीते हैं, एक बार मरते हैं और शादी भी एक ही बार करते हैं।'
फिर वह सही जीवन साथी चुनने के महत्व के बारे में बात करते हैं। वह कहते हैं कि सही जीवन साथी चुनना आसान नहीं है, खासकर उच्च शिक्षित लोगों के लिए। विज्ञापन में करण जौहर कहते हैं, अगर आप उच्च शिक्षित हैं, तो आप उम्र, जाति, ऊंचाई से पहले मानसिक अनुकूलता चाहते हैं और इस जरूरत को केवल एक कंपनी आईआईटीआईआईएमशादी डॉट कॉम समझती है, जो विशेष रूप से सभी क्षेत्रों के शीर्ष 10 से 15 कॉलेजों के पूर्व छात्रों के लिए वैवाहिक वेबसाइट है।
विज्ञापन पेशेवर अभिजीत प्रसाद के मुताबिक, बॉलीवुड ने प्यार की पैरवी की है, लेकिन कभी-कभार ही वर्गविहीन प्यार को विजेता बनाया है। प्रसाद ने कहा, आप सभी राहुल मल्होत्रा और रायचंद को देखते हैं। जाति का पहलू हमेशा से रहा है, कुछ फिल्मों में कभी खुशी कभी गम जैसा टकराव होता है... लेकिन यह वास्तव में इसके केंद्र में नहीं होता है। करण जौहर हमेशा एक कुलीन वर्ग का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, इसलिए मुझे यहां कोई बदलाव नहीं दिख रहा है...।
करण जौहर की फिल्म कुछ कुछ होता है में राहुल खन्ना और कभी खुशी कभी गम में राहुल रायचंद की भूमिका निभाते हुए शाहरुख खान का कई फिल्मों में राहुल नाम रहा है। वह यश चोपड़ा की फिल्म 'डर' में राहुल मेहरा, रमेश सिप्पी की 'जमाना दीवाना' में राहुल मल्होत्रा, अजीज मिर्जा की 'यस बॉस' में राहुल जोशी और कई अन्य फिल्मों में राहुल के किरदार में दिखे।
श्रीवास्तव ने कहा, इसके अलावा, जौहर के विज्ञापन का निहित संदेश यह है कि अगर आप इस वेबसाइट के माध्यम से जीवन साथी चुनते हैं तो आप न केवल अपने वर्ग की पृष्ठभूमि से किसी को चुनते हैं बल्कि जाति से भी चुनते हैं। इन संस्थानों में अध्ययन करने वालों में से अधिकांश वास्तव में उच्च वर्ग के हैं। इसलिए, विज्ञापन में वर्ग विशेष की बात कही गई है लेकिन जो बात साफ तौर पर नहीं कही गई है वह है : जाति महत्वपूर्ण है।
यह पहली बार नहीं है जब मशहूर हस्तियों ने खुद को वैवाहिक वेबसाइट से जोड़ा है। भारत मैट्रिमोनी नामक बेवसाइट ने भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था। इसी तरह, जीवन साथी डॉट कॉम के 'वी मैच बेटर' अभियान के लिए तेलुगु सिनेमा के सुपरस्टार महेश बाबू को शामिल किया गया।
'आईआईटीआईआईएम शादी' इस खेल में पहला नहीं है। भारत मैट्रिमोनी ने इलीट मैट्रिमोनी की शुरूआत की थी। इलीट मैट्रिमोनी का उद्देश्य यह था कि या तो आपकी एक निश्चित घरेलू आय है या आप एक शीर्ष स्तरीय कॉलेज से हैं। करण जौहर के विज्ञापन पर कई अन्य लोगों ने भी टिप्पणी की है। कुछ ने कहा कि यह इस वास्तविकता की अनदेखी करता है कि उच्च शिक्षा तक पहुंच भारत जैसे समाज में केवल अमीर उच्च जाति/वर्ग के लोगों की है।