संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' का विरोध बढ़ता जा रहा है और फिल्म एक दिसम्बर को रिलीज होगी या नहीं, इस पर संदेह के बादल छा गए हैं। भंसाली अपनी ओर से पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि फिल्म का बिना किसी विरोध के रिलीज हो जाए।
भंसाली लगातार कह रहे हैं कि फिल्म में विरोध करने जैसा कुछ नहीं है। रिलीज के पहले विरोध करना गलत है, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। करणी सेना और दूसरे संगठन कह रहे हैं कि फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा।
हाल ही में भंसाली ने फिल्म की प्राइवेट स्क्रीनिंग की, जिसमें चुनिंदा लोगों को आमंत्रित किया जिनमें कुछ पत्रकार भी शामिल थे। इन पत्रकारों ने अखबारों और वेबसाइट्स पर आलेख लिखे। टीवी चैनल पर नजर आए।
इन लोगों का कहना है कि पद्मावती में कुछ भी ऐसा नहीं दिखाया गया है जिसका विरोध किया जाए। रानी की गरिमा को कायम रखा है। राजपूतों की शान कायम रखी है। ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ नहीं की गई है। खिलजी को महामंडित नहीं किया गया है। खिलजी और पद्मावती के बीच कोई दृश्य नहीं है, इसलिए फिल्म का विरोध करना गलत है।
भंसाली ने यह प्राइवेट स्क्रीनिंग इसीलिए की ताकि लोगों तक वे अपनी बात को पहुंचाने में सफल रहें। जब पत्रकार फिल्म के बारे में ऐसा बोलेंगे तो उसका सही असर होगा।
बहरहाल, भंसाली की प्राइवेट स्क्रीनिंग से सेंसर नाराज हो गया है। सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी ने कहा है कि फिल्म की प्राइवेट स्क्रीनिंग करना और मीडिया पर इसका रिव्यू करना बहुत गलत है। बगैर सर्टिफिकेट यह करना गलत है। प्राइवेट स्क्रीनिंग थी तो लोग अपने विचार क्यों दे रहे हैं।
पद्मावती को अभी तक सेंसर सर्टिफिकेट नहीं मिला है। इस बारे में प्रसून का कहना है कि पेपर वर्क कम्प्लीट नहीं नहीं था। फिल्म की कैटेगरी को खाली छोड़ दिया गया है। यह बात साफ नहीं की गई कि फिल्म फिक्शन है या हिस्टोरिकल। सेंसर को सारे दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए और अब हम पर ही देरी का आरोप लगाया जा रहा है।
फिल्म के प्रति विरोध बढ़ता जा रहा है। राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक से भी फिल्म के विरोध की खबरें आ रही हैं। संजय लीला भंसाली के सिर काटने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई है। फिल्म की हीरोइन दीपिका पादुकोण की भी नाक काटने की धमकी दी गई है।