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मुगल-ए-आजम, बरसात की रात और शहीद जैसी ऐतिहासिक फिल्मों की अमूल्य कलाकृतियों की होगी नीलामी

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WD Entertainment Desk

, रविवार, 13 अगस्त 2023 (14:44 IST)
auction of artifacts from historical films: स्वतंत्रता दिवस का जश्न बस शुरू होने को है और ऐसे में सिनेमा की दुनिया से जुड़ी एक ऐसी ख़बर सामने आई है, जो सभी सिने-प्रेमियों के लिए को खुश कर‌ देगी। 'बरसात एंड भारत' नामक इस नीलामी में तमाम दुर्लभ कलाकृतियों की नीलामी‌ का ऐलान‌ deRivaz & Ives की‌ ओर से किया गया है। आप भी नीलामी की इस ऑनलाइन प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं।
 
इस नीलामी का आयोजन 15 अगस्त से 19 अगस्त, 2023 तक www.derivaz-ives.com नामक वेबसाइट के जरिए‌ किया जाएगा। कई जानी-मानी क्लासिक फ़िल्मों और फ़िल्मी सीन्स से जुड़ी कलाकृतियों व स्मृति चिह्नों की अनूठी नीलामी का आयोजन ‍होगा। ऐसे में बताइए आप किस पर अपना दांव लगाना चाहेंगे?
 
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इस नीलामी के लिए जारी की गई बुकलेट में बरसात, शहीद के विभिन्न वर्ज़न, बरसात की रात, नया दौर, मदर इंडिया, मुगल-ए-आज़म, दिल तेरा दीवाना आदि फ़िल्मों की एक विशेष झलक देखी जा सकती है।
 
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एक विशेष श्रेणी के तहत मनोज कुमार की फ़िल्मों से जुड़ी सामाग्रियों को नीलाम किया जाएगा। वहीं एमएफ हुसैन द्वारा मुगल-ए-आज़म, इक़बाल, देवदास, मीनाक्षी और गजगामिनी की कलाकृतियों पर भी विशेष तौर पर फ़ोकस किया गया।
 
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इस नीलामी में सुनील दत्त, वहीदा रहमान, किशोर कुमार, मधुमति, प्रेम धवन आदि कालाकरों के 30 से ज़्यादा जिलेटिन फ़ोटोग्राफ़िक प्रिंट्स उपलब्ध हैं। यह उन दिनों की तस्वीरें हैं जब उपरोक्त सभी कलाकार साल 1960 के दशक में सरहद पर देश की रक्षा करने वाले जवानों का मनोरंजन करने गए थे।
 
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deRivaz & Ives द्वारा 'बरसात एंड भारत' को की गई पहल को लेकर नेविल तुली कहते हैं, इस नीलामी के लिए हिंदी फ़िल्मों से जुड़े स्मृति चिह्नों का नया भारतीय बाज़ार तैयार करने की कोशिश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि 80वें साल में सत्यजीत रे और अमिताभ बच्चन से जुड़ी नीलामी और 100वें वर्ष में राजकपूर और देव आनंद संबंधित स्मृति चिह्नों की नीलामी का सिलसिला अगले कुछ सप्ताह व महीने के भीतर शुरू कर दिया जाएगा।
 
उन्होंने कहा, इसी के साथ हिंदी सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्रियों संबंधित नीलामी की प्रक्रिया की भी शुरुआत कर दी जाएगी. ग़ौरतलब है कि दुनिया की तुलना में भारतीय कला और फ़िल्म संबंधित स्मृति चिह्नों के बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी महज़ एक फ़ीसदी है। इस सूरत को बदले जाने की आवश्यकता है।
Edited By : Ankit Piplodiya

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