धर्मेन्द्र इस विज्ञापन को पढ़कर काफी खुश हुए और अमेरीकन टयूबबेल की नौकरी को छोड़कर अपने सपनों को साकार करने के लिए मायानगरी मुंबई आ गए। इसी दौरान धर्मेन्द्र की मुलाकात निर्माता-निर्देशक अर्जुन हिंगोरानी से हुई, जिन्होंने धर्मेन्द्र की प्रतिभा को पहचान कर अपनी फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे में बतौर अभिनेता काम करने का मौका दिया।
फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे की असफलता के बाद धर्मेन्द्र ने माला सिन्हा के साथ अनपढ़, पूजा के फूल, नूतन के साथ बंदिनी, मीना कुमारी के साथ काजल जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। इन फिल्मों को दर्शकों ने पसंद तो किया लेकिन कामयाबी का श्रेय धर्मेन्द्र की बजाय फिल्म की अभिनेत्रियों को दिया गया।
वर्ष 1966 में प्रदर्शित फिल्म फूल और पत्थर की सफलता के बाद सही मायनों में बतौर अभिनेता धर्मेन्द्र अपनी पहचान बनाने में सफल रहे। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के कारण वह फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार के लिए नामांकित भी किए गए।
धर्मेन्द्र को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता -निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों का अहम योगदान रहा है। इनमें अनुपमा, मंझली दीदी और सत्यकाम जैसी फिल्में शामिल हैं। फूल और पत्थर की सफलता के बाद धर्मेन्द्र की छवि हीमैन के रूप में बन गई। इस फिल्म के बाद निर्माता-निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों मे धर्मेन्द्र की हीमैन वाली छवि को भुनाया।
रूपहले पर्दे पर धर्मेन्द्र की जोड़ी हेमा मालिनी के साथ खूब जमी। यह जोड़ी सबसे पहले फिल्म शराफत से चर्चा में आई। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म शोले में धर्मेन्द्र ने वीरू और हेमा मालिनी ने बसंती की भूमिका में दर्शकों का भरपूर मनोंरजन किया। हेमा और धर्मेन्द्र की यह जोड़ी इतनी अधिक पसंद की गई कि फिल्म इंडस्ट्री में ड्रीम गर्ल के नाम से मशहूर हेमा मालिनी उनके रीयल लाइफ की ड्रीम गर्ल बन गईं।
इस जोड़ी ने ड्रीम गर्ल, चरस, आसपास, प्रतिज्ञा, राजा जानी, रजिया सुल्तान, अली बाबा चालीस चोर बगावत, आतंक, द बर्निंग ट्रेन, चरस, दोस्त फिल्मों में एक साथ काम किया। सत्तर के दशक में हुये एक सर्वेक्षण के दौरान धर्मेन्द्र को विश्व के हैंडसम व्यक्तिव में शामिल किया गया। धर्मेन्द्र के प्रभावी व्यक्तिव के कायल अभिनय सम्राट दिलीप कुमार भी शामिल थे।
दिलीप कुमार ने धर्मेन्द्र की तारीफ करते हुए कहा था जब कभी मैं खुदा के दर पर जाउंगा मै बस यही कहूंगा मुझे आपसे केवल एक शिकायत है, आपने मुझे धर्मेन्द्र जैसा हैंडसम व्यक्ति क्यों नही बनाया। धर्मेन्द्र को फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 1997 में फिल्मफेयर का लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड पुरस्कार से सम्मानित किया गया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने कहा, मैने अपने करियर में सैकड़ो हिट फिल्में दी है लेकिन मुझे काफी अवॉर्ड के लायक नही समझा गया आखिरकार मुझे अब अवॉर्ड दिया जा रहा है मैं खुश हूं।
अपने बेटे सनी देओल को लॉन्च करने के लिए धर्मेन्द्र ने 1983 में फिल्म बेताब जबकि वर्ष 1995 में दूसरे पुत्र बॉबी देओल को लांच करने के लिए फिल्म बरसात का निर्माण किया। फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद धर्मेन्द्र ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और वर्ष 2004 में राजस्थान के बीकानेर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर लोकसभा के सदस्य बने।
धर्मेन्द्र अपने छह दशक लंबे सिने करियर में लगभग 250 फिल्मों में अभिनय कर चुके है लेकिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें उनके कद के बराबर वह सम्मान नही मिला जिसके वह हकदार है लेकिन अमेरीका की प्रसिद्ध मैगेजीन टाइम पत्रिका ने विश्व के दस सुंदर व्यक्तियों में प्रथम उनके चित्र को मुखपृष्ठ पर प्रकाशित कर और राजस्थान में उनके प्रशंसकों द्वारा उनके वजन से दुगना खून देकर ब्लड बैंक की स्थापना करना महत्वपूर्ण उपलब्धि है।