भारत की सबसे पसंदीदा सीरीज 'पंचायत' ने एक बार फिर अपने नए सीज़न से देशभर के दर्शकों का दिल जीत लिया है। गांव की चुनावी गर्मी में डूबे दर्शकों को सीजन 4 की कहानी ने पूरी तरह से बांध लिया है। जमीनी राजनीति को दिलचस्प अंदाज में, हास्य और सच्चाई के साथ दिखाने वाला ये सीज़न अब प्राइम वीडियो इंडिया पर नंबर 1 पर ट्रेंड कर रहा है।
लेकिन इस बार 'पंचायत' सिर्फ अपनी कहानी या दांव-पेचों की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए खास है क्योंकि फुलेरा की दुनिया पहले से कहीं ज़्यादा ग्रामीण भारत की आत्मा को पेश कर रही है। और फुलेरा गांव की दुनिया में जान फूंकने वाला चेहरा कोई और नहीं, हमारे अपने प्रधान जी हैं यानी रघुवीर यादव।
रघुवीर यादव द्वारा निभाए प्रधान जी के किरदार को लोग अब घर का हिस्सा मानने लगे हैं। अब जब दर्शक पंचायत सीजन 4 को खूब पसंद कर रहे हैं, तो रघुवीर यादव खुद कहते हैं कि पंचायत उनके लिए सिर्फ एक वेब सीरीज नहीं है, ये उनके दिल के बहुत करीब है। उन्हें इस बात की बिल्कुल भी हैरानी नहीं कि ये शो हर उम्र और हर कोने के लोगों को इतना पसंद आ रहा है, क्योंकि इसमें गांव की असली जिंदगी झलकती है।
इस शो को लेकर अपनी बात रखते हुए रघुवीर यादव ने बताया, ये वाकई कमाल की बात है कि पंचायत ने बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, गांव से लेकर शहरों और विदेशों तक सभी को छू लिया है। जब मैं एक नाटक के लिए ऑस्ट्रेलिया गया था, तो वहां भी हर उम्र के लोग मुझसे सिर्फ पंचायत की ही बात करने आए।
उन्होंने कहा, शुरुआत में मैं खुद नहीं समझ पाया कि आखिर पंचायत में ऐसा क्या है जो इसे इतना खास बनाता है। लेकिन फिर एहसास हुआ, यही तो असली हिंदुस्तान है। इसकी सादगी, इसकी सच्चाई, छोटे शहरों की रोज़मर्रा की कहानियां जो इतने दिल से कही जाती हैं — यही पंचायत की सबसे बड़ी ताकत है।
रघुबीर ने कहा, इसमें कोई खलनायक नहीं, कोई ज़रूरत से ज़्यादा ड्रामा नहीं। बस असली लोग हैं, जो अपने ढंग से ईमानदारी से ज़िंदगी जी रहे हैं। और लोगों का इससे जो प्यार है… जब रिलीज़ डेट 2 जुलाई से बढ़कर 24 जून हुई, तो हर कोई बेचैन हो गया। सब कह रहे थे, थैंक गॉड इंतज़ार थोड़ा कम हुआ, ये कुछ दिन भी बहुत भारी लग रहे थे!
यह शो रघुबीर यादव के लिए सिर्फ एक किरदार या स्क्रिप्ट नहीं है, बल्कि एक निजी अनुभव बन गया है। उन्होंने कहा, जब मैंने पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मेरे मुंह से निकला – इसमें एक्टिंग की कोई जगह नहीं है, हमें इन किरदारों के साथ जीना पड़ेगा। ये सिर्फ रोल नहीं हैं, ये असल ज़िंदगी के लोग हैं। इन्हें सच्चाई से निभाने के लिए खुद को पूरी तरह डुबोना ज़रूरी था।
रघुबीर ने कहा, लिखावट इतनी सच्ची थी कि पन्नों के बीच छिपे जज़्बात, लिखी बातों से भी ज़्यादा गहरे थे। मैं खुद गांव में पला-बढ़ा हूं, वहीं पढ़ाई की, और सरपंच व पंचायत के ऐसे ही लोगों के बीच जिया हूं। थिएटर के ज़रिए मैंने सालों छोटे-छोटे शहरों मध्य प्रदेश, बिहार, यूपी, राजस्थान का सफर किया है, जहां ऐसे ही लोगों को देखा, उनके बीच वक़्त बिताया। लोगों को गौर से देखने और समझने की जो आदत है, वही मेरी एक्टिंग का आधार बन गई। इसलिए जब पंचायत आई, तो वो बस एक प्रोजेक्ट नहीं लगा, वो अपना-सा लगा।
गांव की सादगी और हंसी के तड़के के साथ पंचायत का नया सीजन एक बार फिर लौट आया है। इस फैन-फेवरेट ग्रामीण कॉमेडी ड्रामा के ताज़ा सीज़न में जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुवीर यादव, फैज़ल मलिक, चंदन रॉय, संविका, दुर्गेश कुमार, सुनीता राजवार और पंकज झा जैसे प्यारे किरदार एक बार फिर फुलेरा गांव की गलियों में अपनी मासूमियत और मज़ेदार अंदाज़ लेकर लौटे हैं।
इस सीज़न को द वायरल फीवर ने प्रोड्यूस किया है, जिसे दीपक कुमार मिश्रा और चंदन कुमार ने मिलकर क्रिएट किया है। लेखन चंदन कुमार का है, और निर्देशन दीपक कुमार मिश्रा और अक्षत विजयवर्गीय ने किया है। कहानी में इस बार सियासत और रिश्तों के दांव ऊंचे हैं, लेकिन अंदाज़ वही ज़मीन से जुड़ा हुआ।