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डबल धमाल

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हमें फॉलो करें डबल धमाल
बैनर : मारुति इंटरनेशनल, रिलायंस एंटरटेनेमेंट
निर्माता : अशोक ठाकेरिया, इंद्र कुमार
निर्देशक : इंद्र कुमार
संगीत : आनंद राज आनंद
कलाकार : संजय दत्त, रितेश देशमुख, अरशद वारसी, मल्लिका शेरावत, कंगना, जावेद जाफरी, आशीष चौधरी, सतीश कौशिक
रिलीज डेट : 24 जून 2011

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‘डबल धमाल’ मचाने के लिए ’धमाल’ के चार जोकर्स रॉय (रितेश देशमुख), मानव (जावेद जाफरी), आदि (अरशद वारसी) और बोमन (आशीष चौधरी) फिर से आ गए हैं। अभी भी इनमें कोई सुधार नहीं हुआ है। जितने मूर्ख और बेकार किस्म के इंसान वे ‘धमाल’ में थे, ‘डबल धमाल’ में भी वैसे ही हैं। मेहनत करना उनके बस की बात नहीं है। काम के नाम पर पड़े रहना और अच्छी जिंदगी के सपने देखना ही उन्होंने किया है। वे चाहते हैं कि उन्हें कुछ भी ना करना पड़े और उनके पास खूब सारी दौलत हो।


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एक दिन चारों अपने पुराने दुश्मन भ्रष्ट पुलिस इंसपेक्टर कबीर (संजय दत्त) को देखते हैं और उनकी आँखें फटी रह जाती हैं। कबीर अब पुलिस ऑफिसर नहीं रहा और उसकी लाइफ स्टाइल पाँच सितारा है। महँगी कार, शानदार ऑफिस और बड़े-से घर में वह अपनी खूबसूरत बीवी कामिनी (मल्लिका शेरावत) के साथ रहता है। कबीर की जिंदगी का यह आलम देख चारों ईर्ष्या से भर जाते हैं। वे फैसला करते हैं कि किसी भी तरह से वे कबीर जैसा बनेंगे। वे कबीर का बिज़नैस पार्टनर बनने के लिए उसे ब्लैकमेल करने की योजना बनाते हैं।


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उन्हें पता चलता है कि कबीर की इस तरक्की का राज उसकी पत्नी और किया (कंगना) को ही पता है। इस राज पर से पर्दा उठाना उनके लिए बहुत मुश्किल है। वे कई योजनाएँ बनाते हैं, लेकिन उनकी हर ट्रिक नाकाम होती है। कहानी में संधु बाटाभाई (सतीश कौशिक) और किंग ऑफ कैसिनो जॉनी बोंजोला भी हैं जो चारों को बर्बाद करने में कोई कसर बाकी नहीं रखते। फिल्म में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे जो हास्य से भरपूर होंगे। अंत में ठहाका लगाने में कौन कामयाब होगा, कबीर या चार जोकर्स? इसके लिए देखना होगी ‘डबल धमाल’।


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निर्देशक के बारे में :
निर्माता-निर्देशक इंद्र कुमार की गिनती उन लोगों में होती है ‍जिन्हें जनता की नब्ज की अच्छी समझ है। एक दौर ऐसा था जब इंद्र कुमार ने लाइन से सुपरहिट फिल्में दिल (1990), बेटा (1992), राजा (1995), इश्क (1997) दी थी। जब मल्टीप्लेक्स का उदय हुआ, लोगों की रूचियाँ बदली तो इंद्र कुमार की कुछ फिल्में असफल रहीं। बीच-बीच में उन्होंने मस्ती (2004) और धमाल (2007) जैसी सफल फिल्में दी। अब वे धमाल का सीक्वल लेकर आए हैं। इंद्र कुमार महान फिल्में नहीं बनाते हैं। उनकी फिल्में आम लोगों के लिए होती है जो सिनेमाघर में अपने दु:ख को कुछ पलों के लिए भूल जाते हैं और हँसते हुए घर वापस जाते हैं।

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