निर्माता : नीना लथ गुप्ता
निर्देशक : रूचिका ओबेरॉय
संगीत : सागर देसाई
कलाकार : विनय पाठक, अमृता सुभाष, तनिष्ठा चटर्जी, चंदन रॉय सान्याल, समीर कोचर
रिलीज डेट : 2 सितम्बर 2016
फिल्म में मुंबई में आधारित तीन कॉमिक-ड्रामेटिक कहानियां दिखाई गई हैं। पहली एक ऑफिस वर्कर की है जिसे ऑफिस का 'फन कमिटी अवॉर्ड' मिला है। जिसके तहत उसे एक पूरा दिन मजा करने को मिलता है। वह अपने ऑफिस का आराम छोड़कर नहीं जाना चाहता परंतु वह जाता है। उसे जो मजा करने को कहा है वह पूरा करना है और ऐसा न करना जैसा कोई ऑप्शन नहीं।
दूसरी कहानी एक परिवार के तानाशाह टाइप मुखिया अनिल की है। अनिल अस्पताल में भर्ती है और जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है। रिलैक्स होने के लिए परिवार वाले एक टीवी खरीदते हैं जो अनिल के आदेश के अनुसार नामुमकिन था। अब हर दिन परिवार एक धारावाहिक देखता है जिसका हीरो पुरूषोत्तम एक बढ़िया आदमी है और परिवार की देखभाल बहुत अच्छे से करता है। इसी बीच खबर आती है कि अनिल की हालात में सुधार है और वह घर आने के लिए तैयार है। क्या उन्हें पुरूषोत्तम वाला धारावाहिक देखना बंद करना होगा?
तीसरी कहानी आरती की है जिसे उसके दैनिक काम उसे मशीनी बना रहे हैं और उसकी सेंसिटिविटी खत्म हो रही है। इससे उसके अंदर एक तरह की उथलपुथल जन्म लेती है और उसका ठीक से बोलना खत्म होने लगता है। वह लोगों से बात नहीं कर पाती। एक दिन उसे बहुत ही भावनात्मक खत आता है और हर चीज बदल जाती है।