निर्माता : अनुभव सिन्हा निर्देशक : पंकज आडवाणी संगीत : रंजीत बारोट कलाकार : के.के. मेनन, रिमी सेन, अनुपम खेर, चंकी पांडे, दिलीप प्रभावलकर, राहुल देव, यशपाल शर्मा, हेमंत पांडे, वीरेन्द्र सक्सेना, संजय मिश्रागुरु (के.के.मेनन) और गणपत (दिलीप प्रभावलकर) छोटे-मोटे चोर हैं। चोरी के धंधे में दोनों बराबर के पार्टनर हैं। उन्होंने काम बाँट रखे हैं। गुरु कार चुराता है और गणपत कार का हुलिया बिलकुल बदल देता है। इसके बाद वे कार को बेचकर रकम आधी-आधी बाँट लेते हैं। एक दिन घर लौटते समय गुरु को मर्सीडिज़ कार दिखाई देती है। वह उस कार को चुरा लेता है। उस कार में एक करोड़ रुपए भी रखे थे, जो गुरु और गणपत को मिलते हैं। दोनों इस बात से अनजान है कि वो कार खतरनाक गैंगस्टर फौजदार (अनुपम खेर) की है। मर्सीडिज़ को वे सुलेमान सुपारी (राहुल देव) को बेचने की कोशिश करते हैं। सुलेमान कार को देख पहचान जाता है कि यह फौजदार की है। वो फौजदार को सारी बात बता देता है। फौजदार दोनों को एक करोड़ रुपए और कार लौटाने के लिए बुलाता है।
इसी बीच एक दुर्घटना घटती है और गणपत की याददाश्त चली जाती है। एक करोड़ रुपए गणपत ने ही छिपाकर रखे थे और अब उसे याद नहीं रहा कि वो रुपए कहाँ रखे हैं। फौजदार के डर से गुरु काँपने लगता है।
मोना (रिमी सेन) से गुरु की मुलाकात होती है। कुछ वर्ष पहले दोनों मिलकर चोरी करते थे। मोना और गुरु मिलकर एक करोड़ रुपए जुटाते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से वो रुपए वे खो बैठते हैं। इसके बाद शुरू होता है कई मजेदार घटनाओं का सिलसिला।