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एंटरटेनमेंट : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें एंटरटेनमेंट : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

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जानवर को केंद्र में रख बॉलीवुड में कई फिल्में बनाई गई हैं जिनमें से ज्यादातर ने बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी हासिल की है। हाथी मेरे साथी, गाय और गौरी, तेरी मेहरबानियां इनमें प्रमुख हैं। नाग-नागिन पर तो ढेर सारी फिल्में हैं। इनके अलावा हीरो के साथी के रूप में भी कुत्ता, बंदर, हाथी और घोड़े को कई फिल्मों में देखा गया है। जहां ज्यादातर फिल्मों में जानवर और इंसान के बीच के रिश्ते को भावनात्मक तरीके से दिखाया गया है वही 'एंटरटेनमेंट' में इमोशन कम और कॉमेडी का पुट ज्यादा है।

'एंटरटेनमेंट' की कहानी का भी प्रमुख पात्र कुत्ता है। कुत्ते को इतना महत्व दिया गया है कि फिल्म में अक्षय कुमार के पहले कुत्ते का नाम स्क्रीन पर आता है। इस कुत्ते का नाम 'एंटरटेनमेंट' (जूनियर) है जिसके नाम पर उसका मालिक पन्नालाल जौहरी तीन हजार करोड़ रुपयों की जायदाद छोड़ गया है।

अखिल लोखंडे (अक्षय कुमार) को पन्नालाल की मौत के दिन ही पता चलता है कि वह उसकी नाजायज औलाद है। वह डीएनए का नया मलतब, डैडीज़ नाजायज औलाद, बताता है। बैंकॉक पहुंच जब उसे पता चलता है कि सारी प्रॉपर्टी एंटरटेनमेंट के नाम पर है तो वह उसे मौत के घाट उतारने की योजना बनाता है।

हत्या करने के 50 तरीके नामक किताब पढ़ वह अपने दोस्त (कृष्णा अभिषेक) के साथ योजनाएं बनाता है, लेकिन एंटरटेनमेंट भी वही किताब पढ़ (जी हां, ये कुत्ता पढ़ भी सकता है) उनकी सारी योजनाएं विफल कर देता है। एंटरटेनमेंट एक दिन अखिल की जान बचाता है तो दोनों में दोस्ती हो जाती है।

इस जायदाद के पीछे पन्नालाल के सेकंड कजिन करण (प्रकाश राज) और अर्जुन (सोनू सूद) भी पड़े हुए हैं और वे अदालत में झूठे कागजात पेश कर सारी जायदाद अपने नाम करवा लेते हैं। किस तरह से अखिल 'एंटरटेनमेंट' को उसका हक वापस दिलाता है यह फिल्म का सार है।

कहानी को लिखा है के. सुभाष ने जबकि पटकथा-संवाद और निर्देशन का भार संभाला है साजिद फरहाद ने। स्लैपस्टिक कॉमेडी लिखने में ये जोड़ी माहिर है। साजिद खान और रोहित शेट्टी के लिए इन्होंने कई हास्य फिल्में लिखी हैं जिनका 'लॉजिक' के बिना आनंद उठाया जा सकता है। कई सफल फिल्म लिखने के बाद लेखक को लगने लगता है कि वह निर्देशक बन सकता है और साजिद-फरहाद भी इसके अपवाद नहीं हैं।

लेखक के रूप में साजिद-फरहाद निर्देशक के ऊपर भारी पड़ते हैं। 'एंटरटेनमेंट' देखने के बाद लगता है कि साजिद-फरहाद को निर्देशन की बारीकियां सीखनी पड़ेगी। उन्होंने अपने लिखे को सीधे-सीधे फिल्मा दिया। कई बार लगता है कि यदि हम आंख बंद कर केवल संवादों को भी सुनते रहे तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। साजिद-फरहाद भूल गए कि सिनेमा को देखा भी जाता है।

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लेखक के रूप में वे उन लोगों को खुश करने में जरूर सफल रहे हैं जो स्लैपस्टिक कॉमेडी के दीवाने हैं। इन दर्शकों को सिर्फ हंसने के लिए सीन चाहिए होते हैं जो इस फिल्म में भरपूर मात्रा में मिलते हैं।

फिल्म की शुरुआत ठीक है और उसके बाद कुछ गैर जरूरी, बोरियत से भरे लंबे सीन देखने को मिलते हैं। इंटरवल के बाद का हिस्सा मनोरंजक है। स्लैपस्टिक नाम पर साजिद-फरहाद ने छूट ली है जो कुछ जगह अखरती है तो कुछ जगह मनोरंजन करती है। कई सवाल आपके मन में उठ सकते हैं कि भला एक कुत्ता कैसे जायदाद पर अंगूठा लगा कर अपनी जायदाद किसी ओर के नाम कर सकता है, लेकिन ऐसे कुछ प्रश्न आप इग्नोर भी कर देंगे क्योंकि उन दृश्यों में हंसने का अवसर भी आपको मिल रहा है।

जहां एक ओर प्रकाश राज और सोनू सूद की एंट्री के बाद कुछ ऐसे दृश्य देखने मिलते हैं जिनका मजा लिया जा सकता है, जैसे, दोनों भाइयों का आपस में लड़ना और फिर बैकग्राउंड में गाना (करण अर्जुन का 'ये बंधन तो प्यार का बंधन है) बजते ही एक हो जाना, अक्षय कुमार का दोनों को डरावना किस्सा सुनाना।

दूसरी ओर अक्षय कुमार का कुत्तों से बातचीत करने वाले सीन जिसमें वे 'जर्मन शेफर्ड' से पूछते हैं कि तेरा बाप कभी जर्मनी गया है या 'बॉक्सर' से पूछते हैं कि क्या तेरे चाचा ने कभी बॉक्सिंग ग्लव्ज पहने हैं, जैसे बचकाने सीन भी झेलने पड़ते हैं। अच्छी बात यह है कि हंसाने के लिए अश्लीलता का सहारा नहीं लिया गया।

संवाद इस फिल्म की जान है। खासतौर पर कृष्णा ने फिल्मी कलाकारों को लेकर जो संवाद बोले हैं उनका मजा लिया जा सकता है, जैसे 'दीया मिर्जा भी लेके ढूंढोगे तो ऐसा अवतार गिल नहीं मिलेगा', 'आई रजनीकांत बिलिव दिज़', 'तू पंकज उदास होकर मत बैठ', तेरी अनुपम खेर नहीं। हालांकि इस तरह की संवादों की अधिकता होने के कारण कई बार ये अप्रभावी भी हो गए हैं और उन लोगों को बिलकुल अपील नहीं करते जो अवतार गिल नामक कलाकार को पहचानते ही नहीं। फिल्म का संगीत माइनस पाइंट है। 'जॉनी जॉनी' को छोड़ सारे गाने फास्ट फॉरवर्ड करने के लायक हैं।

हास्य भूमिकाओं को अक्षय कुमार ज्यादा बेहतर तरीके से निभाते हैं और 'एंटरटेनमेंट' में वे अपने काम में एकदम सहज लगे। ऊल-जलूल हरकतें भी उन्होंने कुछ सीन में की है जो उनके फैंस को अच्छी लगेगी। तमन्ना के लिए इस फिल्म में करने के लिए कुछ नहीं था। लाउड किरदार को कृष्णा अभिषेक बेहतर तरीके से निभाते हैं और उन्हें वैसा ही किरदार निभाने को मिला।

प्रकाश राज और सोनू सूद ने अपनी खलनायकी को हास्य की चाशनी में पेश किया और वे हंसाने में कामयाब रहे। मिथुन चक्रवर्ती और जानी लीवर फॉर्म में नजर नहीं आए। रितेश देशमुख, श्रेयस तलपदे ने मेहमान कलाकार बनना शायद अक्षय और साजिद-फरहाद से संबंध की खातिर की। 'एंटरटेनमेंट' का किरदार जूनियर (डॉग) ने निभाया, जो बहुत काबिल है और कई बार उसने फिल्म के अन्य कलाकारों से अच्छे एक्सप्रेशन दिए हैं, लेकिन निर्देशक उसका भरपूर फायदा नहीं उठा पाए।

'एंटरटेनमेंट' मनोरंजन करती है, यदि इसे बहुत ज्यादा आशा भोंसले के साथ न देखा जाए।

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बैनर : टिप्स म्युजिक फिल्म्स, पेन इंडिया प्रा.लि.
निर्माता : रमेश एस. तौरानी, जयंतीलाल गाडा
निर्देशक : साजिद-फरहाद
संगीत : सचिन-जिगर
कलाकार : अक्षय कुमार, तमन्ना भाटिया, कृष्णा अभिषेक, जॉनी लीवर, प्रकाश राज, मिथुन चक्रवर्ती, जूनियर (डॉग)
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 20 मिनट 40 सेकंड्स
रेटिंग : 2.5/5

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