Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

एक विवाह ऐसा भी

राजश्री की परंपरा के अनुरूप

Advertiesment
हमें फॉलो करें एक विवाह ऐसा भी
PR
बैनर : राजश्री प्रोडक्शन
निर्माता : कमल कुमार बड़जात्या, ताराचंद बड़जात्या, राजकुमार बड़जात्या, अजीत कुमार बड़जात्या
निर्देशक : कौशिक घटक
गीत-संगीत : रवीन्द्र जैन
कलाकार : सोनू सूद, ईशा कोप्पिकर, आलोक नाथ, स्मिता जयकर, अनंग देसाई, विशाल मल्होत्रा, छवि मित्तल, श्रीवल्लभ व्यास

राजश्री प्रोडक्शन ने अपनी फिल्मों में हमेशा भावना, परंपरा और भारतीय संस्कृति को महत्व दिया है। ‘एक विवाह ऐसा भी’ इसका अपवाद नहीं है।

इसकी कहानी उन्होंने अपने ही बैनर द्वारा निर्मित फिल्म ‘तपस्या’ (राखी, परीक्षित साहनी) से ली है, जो त्याग और भावनाओं से भरी है। यह फिल्म उन लोगों को अच्छी लगेगी जो पारिवारिक और भावनात्मक फिल्मों को पसंद करते हैं क्योंकि फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जो दिल को छूते हैं और आँखें गीली करते हैं। मेट्रो शहर में रहने वाले लोगों को हो सकता है कि इसकी कहानी आज के दौर के मुकाबले पिछड़ी लगे।

एक समय पारिवारिक फिल्में हिंदी फिल्मों का अहम हिस्सा हुआ करती थीं, जो इन दिनों परिदृश्य से गायब है। ‘एक विवाह... ऐसा भी’ उस दौर की याद ताजा करती है।

चाँदनी (ईशा कोप्पिकर) भोपाल में रहने वाली एक मध्यमवर्गीय लड़की है। वह अपने पिता और दो छोटे भाई-बहन के साथ रहती है, जिन्हें वह बेहद चाहती है। चाँदनी शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित है और स्टेज पर परफॉर्म करती है। चाँदनी की मुलाकात प्रेम (सोनू सूद) से होती है और वह उसे चाहने लगती है।

webdunia
PR
प्रेम और चाँदनी की जिस दिन सगाई होने वाली रहती है, उस दिन चाँदनी के पिता (आलोकनाथ) की मृत्यु हो जाती है। अचानक वह अपने परिवार की सबसे बड़ी सदस्य बन जाती है। अपने भाई-बहन की खातिर चाँदनी शादी नहीं करने का फैसला लेती है ताकि वह उनका पालन-पोषण कर सके।

चाँदनी के इस फैसले का प्रेम सम्मान करता है। बारह वर्ष तक वह चाँदनी का इंतजार करता है, जब तक कि वह अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो जाती।

त्याग की कहानी परदे पर कई बार दिखाई जा चुकी है, लेकिन यह तभी कामयाब होती है जब चरित्रों के दु:ख-दर्द को दर्शक महसूस करे। निर्देशक कौशिक घटक इस मामले में कामयाब रहे हैं। राजश्री वालों के विश्वास पर वे खरे उतरे हैं।

webdunia
PR

संगीत (रवीन्द्र जैन) इस फिल्म का निराशाजनक पहलू है। ‘मुझमें जिंदा है वो’ ही याद रह पाता है। पहले घंटे में ढेर सारे गाने रख दिए गए हैं, जिससे बोरियत होने लगती है। संवाद ठीक-ठाक है।
सोनू सूद ने अपना किरदार परिपक्वता के साथ निभाया है। ईशा कोप्पिकर ने भी उम्दा अभिनय के जरिए किरदार को प्रभावशाली बनाया है। आलोकनाथ, वल्लभ व्यास, स्मिता जयकर, विशाल मल्होत्रा, छवि मित्तल भी प्रभावित करते हैं।
कुल मिलाकर ‘एक विवाह ऐसा भी’ पास्ता और पिज्जा के जमाने में भारतीय भोजन की थाली है। रणनीति के तहत इस फिल्म को मल्टीप्लेक्स में नहीं प्रदर्शित किया गया है क्योंकि यह माना गया है‍ कि मेट्रो या बड़े शहरों में रहने लोग इस फिल्म को शायद पसंद ना करें। छोटे शहरों और अंचल में यह फिल्म अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi