Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

एसिड फैक्ट्री : स्टाइलिश और रोचक

Advertiesment
हमें फॉलो करें एसिड फैक्ट्री

समय ताम्रकर

IFM
बैनर : व्हाइट फीदर फिल्म्स, मुंबई मंत्र
निर्माता : संजय गुप्ता
निर्देशक : सुपर्ण वर्मा
संगीत : शमीर टंडन, मानसी स्कॉट, गौरव दासगुप्ता, बप्पा लाहिरी, रंजीत बारोट
कलाकार : फरदीन खान, दिया मिर्जा, इरफान खान, मनोज बाजपेयी, डिनो मोरिया, आफताब शिवदासानी, डैनी
* यू/ए सर्टिफिकेट * 12 रील
रेटिंग : 3/5

यूँ तो ‘एसिड फैक्ट्री’ का निर्देशन सुपर्ण वर्मा ने किया है, लेकिन फिल्म पर निर्माता संजय गुप्ता की छाप साफ नजर आती है। संजय गुप्ता लार्जर देन लाइफ और स्टाइलिश फिल्म बनाना पसंद करते हैं। उनकी फिल्म के किरदार अपराध जगज से जुड़े रहते हैं और ग्रे शेड लिए रहते हैं। ‘एसिड फैक्ट्री’ भी गुप्ता की फैक्ट्री से निकली एक ऐसी ही फिल्म है। फिल्म की कथा रोचक है और दर्शक भी याददाश्त खोए हुए सभी किरदारों की तरह जानना चाहता है कि उनकी असलियत क्या है। यह उत्सुकता फिल्म में दिलचस्पी बनाए रखती है।

एक एसिड फैक्ट्री में दो लोग ऐसे हैं जिन्हें अपहृत कर ‍लाया गया है और कुछ लोग अपहरणकर्ता हैं। फैक्ट्री में गैस लीकेज हो जाती है और वे कुछ घंटों के लिए याददाश्त खो बैठते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता कि वे कौन हैं? यहाँ क्यों आए हैं? उनका क्या मकसद है।

एक अपहरणकर्ता बाहर से टेलीफोन लगाकर उनसे संपर्क करता रहता है, जिसके आधार पर वे अनुमान लगाते रहते हैं। फैक्ट्री से बाहर निकलने का उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आता है। फिल्म के क्लाइमैक्स में हर शख्स की याददाश्त लौट आती है।

अँग्रेजी फिल्म ‘अननोन’ से प्रेरित इस फिल्म को निर्देशक सुपर्ण वर्मा ने उम्दा तरीके से फिल्माया है। काले जैकेट पहने, महँगी कारों और बाइक्स पर घूमते, पब में गाना गाते किरदारों को स्टाइलिश ढंग से उन्होंने दिखाया है। बीच-बीच में फ्लैश बैक के जरिये उन्होंने हर किरदार का परिचय दिया है। फिल्म का अंत रोचक बनाने में सुपर्ण मात खा गए।

फिल्म को स्टाइलिश बनाने में एक्शन डॉयरेक्टर और सिनेमॉटोग्राफर का अहम योगदान है। एक्शन डॉयरेक्टर टीनू वर्मा ने बेहतरीन तरीके से स्टंट और चेज़ सीक्वेंस को अंजाम दिया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और संगीत फिल्म के मूड के अनुरूप है।

webdunia
IFM
फिल्म में फ्लॉप हो चुके कलाकारों की भीड़ है। फरदीन खान और डीनो मारियो का अभिनय उम्दा है। आफताब शिवदासानी और दिया मिर्जा चीख-चीखकर अपने आपको खतरनाक साबित करने में लगे रहें। मनोज बाजपेयी ने ओवर एक्टिंग की, जबकि डैनी और इरफान खान को ज्यादा अवसर नहीं मिले। फिल्म में उम्दा कलाकार होते, तो बात और बेहतर होती।

यदि आप थ्रिलर और स्टाइलिश फिल्म पसंद करते हैं तो 98 मिनट का यह सौदा बुरा नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi