Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कांची : फिल्म समीक्षा

Advertiesment
हमें फॉलो करें कांची

समय ताम्रकर

PR
कांची एक बेहद खराब फिल्म है और इसका पूरा दोष सुभाष घई को ही दिया जा सकता है क्योंकि उन्होंने लेखन, संपादन और निर्देशन जैसे महत्वपूर्ण काम किए हैं। दरअसल सुभाष घई एक ओवर रेटेड फिल्मकार हैं और अब तक उन्होंने ऐसी फिल्म नहीं बनाई है जो बरसों तक याद की जाए। ये बात ठीक है कि अस्सी और नब्बे के दशक में उन्होंने व्यावसायिक रूप से कई सफल फिल्म बनाईं, लेकिन ये बात भी सच है कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने युवराज, किस्ना और यादें जैसी घटियां फिल्में भी बनाई हैं। अब इस सूची‍ में कांची का नाम भी जोड़ लीजिए। सुभाष घई की सुई अभी भी बीस वर्ष पहले अटकी हुई है और कांची तो इतनी बुरी है कि पच्चीस वर्ष पहले भी रिलीज होती तो बुरी तरह पिटती।

पहले सीन से ही फिल्म कमजोर साबित हो जाती है। साइकिल रेस चल रही है और बैकड्रॉप में कौशम्पा गांव के लोग लोग 'कांची-कांची' का गाना गा रहे हैं। कांची एक सामान्य लड़की है और पता नहीं लोग उसे इतना महामंडित क्यों कर रहे हैं। जो देखो कांची की बात कर रहा है। बिंदा और कांची एक-दूसरे को चाहते हैं। कौशम्पा गांव पर कांकड़ा ब्रदर्स श्याम (मिथुन) और झूमर (ऋषि कपूर) नजर है। मुंबई में रहने वाले ये राजनेता और अमीर भाई इस गांव का औद्योगिकरण करना चाहते हैं। श्याम के बेटे सुशांत का दिल कांची पर आ जाता है, लेकिन कांची उसके प्रेम के प्रस्ताव को ठुकरा देती है। सुशांत को यह बात बुरी लगता है और वह कांची के प्रेमी बिंदा की हत्या कर देता है। किस तरह से कांची बदला लेती है यह फिल्म का सार है।

webdunia
PR
कहानी बेहद लचर है और इसमें बिलकुल भी नयापन नहीं है। ऊपर से इस कहानी में देशप्रेम और राजनेताओं के खिलाफ युवा आक्रोश का एंगल ‍बेमतलब घुसा दिया गया है। कांची के पिता फौजी थे और बिंदा भी एक स्कूल चलाता है जिसमें बच्चों को वह लड़ने का प्रशिक्षण देता है। बिंदा देश प्रेम का भाषण देते रहता है और हाथ में तिरंगा लिए लोग उसे सुनते हैं। ये दृश्य बचकाने हैं क्योंकि इनकी कहानी में कोई जगह ही नहीं बनती। ऐसा लगता है कि ये सब जबरदस्ती थोपा जा रहा है।

हाथ में मोमबत्ती लिए सड़कों पर निकले युवा दिखाकर शायद सुभाष घई ने युवाओं को अपनी फिल्म से जोड़ने का प्रयास किया है। युवाओं को ध्यान में रख उन्होंने कांची और बिंदा के बीच किसिंग सीन रखे हैं, जो कहानी में फिट नहीं होते। कांची के मुंह से गालियां निकलवाई है जबकि फिल्म में उसका जो कैरेक्टर दिखाया गया है उस पर ये कही सूट नहीं होता। कई दृश्यों में बेवजह भीड़ रखी गई है, हो सकता है कि निर्देशक का ऐसा मानना है कि इससे फिल्म भव्य लगती हो।

स्क्रिप्ट में भी ढेर सारी खामियां हैं। कांची नदी में कूद जाती है और पता नहीं कैसे बचकर मुंबई पहुंच जाती है। वहां जाकर जिस तरीके से वह कांकड़ ब्रदर्स से अपना बदला लेती है वह हास्यास्पद है। ऐसा लगता है कि सिर्फ कांची होशियार है और कांकड़ा ब्रदर्स निरे मूर्ख। कांची की मदद उसका दोस्त करता है, जो कि पुलिस वाला है और ऐसा लगता है कि वह कांकड़ ब्रदर्स के बंगले पर ही चौकीदारी करता हो।

सुभाष घई निर्देशक के रूप में चुक गए हैं। अपने सुनहरे दिनों की वे परछाई मात्र रह गए हैं। उनका फिल्म मेकिंक का स्टाइल आउटडेटेट हो चुका है। कैमरा एंगल से लेकर तो बैकग्राउंड म्युजिक दर्शाता है कि घई पुराने दौर की जुगाली कर रहे हैं। फिल्म का संगीत और गानों का पिक्चराइजेशन 'ब्रेक' लेने के काम आते हैं। 'चोली के पीछे' की तर्ज पर 'कंबल के नीचे' गाना बनाकर घई ने दिखा दिया है कि वे चाह कर भी अपने अतीत से छुटकारा नहीं पा रहे हैं। इस गाने में घई ने अपनी ही पुरानी फिल्मों के हिट गीतों को दोहराया है और अपने द्वारा पेश की गई महिमा चौधरी से भी ठुमके लगवा दिए हैं। ये बात और है कि आज का युवा महिमा को पहचानता भी नहीं होगा।

निर्देशन बुरा हो तो एक्टर भी बुरे हो जाते हैं। ऋषि कपूर इस समय बेहद फॉर्म में हैं, लेकिन इस फिल्म में उन्होंने बेहद घटिया एक्टिंग की है। उनका लुक विजय माल्या से प्रभावित है। मिथुन चक्रवर्ती ने भी ओवर एक्टिंग कर ऋषि को जोरदार टक्कर दी है। मिष्टी नामक हीरोइन को इस फिल्म के जरिये पेश किया गया है। मिष्टी बेहद खूबसूरत हैं, लेकिन अभिनय के मामले में उन्हें बहुत कुछ सीखना है। कई दृश्यों में वे रानी मुखर्जी जैसी दिखाई देती हैं। कार्तिक आर्यन का बतौर हीरो रोल बेहद छोटा है। चंदन रॉय सान्याल भी ओवरएक्टिंग करते नजर आए। सुशांत के रूप में ऋषभ सिन्हा प्रभावित करते हैं।


मिष्ठी और लोकेशन्स की खूबसूरती के अलावा 'कांची' में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है।

webdunia
PR
बैनर : मुक्ता आर्ट्स लि.
निर्माता-निर्देशक : सुभाष घई
संगीत : सलीम मर्चेण्ट, इस्माइल दरबार
कलाकार : मिष्टी, कार्तिक आर्यन, ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, चंदन रॉय सान्याल, आदिल हुसैन, मीता वशिष्ठ
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 31 मिनट 27 सेकंड
रेटिंग : 0.5/5

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi