खिलाड़ी 786 : फिल्म समीक्षा
बैनर : हरी ओम एंटरटेनमेंट कं., इरोज इंटरनेशनल मीडिया लि., एचआर म्युजिकनिर्माता : हिमेश रेशमिया, ट्विंकल खन्ना, सुनील ए. लुल्लानिर्देशक : आशीष आर. मोहनसंगीत : हिमेश रेशमियाकलाकार : अक्षय कुमार, असिन, हिमेश रेशमिया, मिथुन चक्रवर्ती, राज बब्बर, मुकेश तिवारी, जॉनी लीवर, क्लाडिया सिएस्लासेंसर सर्टिफिकेट : यू * 2 घंटे 21 मिनट खिलाड़ी 786 शुरू होते ही चंद सेकंड का एक एक्शन सीन मूड बना देता है कि हम किस तरह की फिल्म देखने जा रहे हैं। फिर होती है अक्षय कुमार की एंट्री और वे चीखते हैं ‘खिलाड़ी इज़ बैक।‘ लगभग 12 वर्ष बाद उनकी खिलाड़ी सीरिज की कोई फिल्म रिलीज हुई है। खिलाड़ी सीरिज की ज्यादातर फिल्में थ्रिलर हुआ करती थीं, लेकिन ये एक कॉमेडी फिल्म है, जिसमें मनोरंजन का मसाला भरा हुआ है। पंजाब में रहने वाला बहत्तर सिंह (अक्षय कुमार) कहता है ‘दुनिया में तीन चीजें होती तो हैं, पर दिखाई नहीं देती। पहला भूतों का संसार। दूसरा सच्चा वाला प्यार और तीसरा बहत्तर सिंह की रफ्तार।‘ वह पलक झपकते ही काम कर देता है कि यकीन ही नहीं होता कि यह कब और कैसे हो गया।‘ बहत्तर सिंह के चाचा का नाम इकहत्तर सिंह (मुकेश ऋषि) है और पिता का नाम सत्तर सिंह (राज बब्बर)। एक भाई तिहत्तर सिंह भी था जो बचपन में एक मेले में खो गया था। जैसे इन किरदारों के नाम अजीब हैं वैसे ही इनके काम। बहत्तर सिंह पुलिस वालों की वर्दी पहनकर घूमता है। अवैध सामान ले जा रहे है ट्रकों को पकड़ता है। आधा पुलिस रख लेती है और आधा वो खुद। बदनामी के कारण उसकी शादी नहीं हो पा रही है। दूसरी ओर मुंबई में इंदु (असिन) की शादी इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि वह डॉन तात्या तुकाराम तेंदुलकर (मिथुन चक्रवर्ती) की बहन है। तात्या चाहता है कि इंदु की शादी एक शरीफ खानदान में हो। मनसुख (हिमेश रेशमिया) नामक एक बंदा बहत्तर सिंह की शादी इंदु से तय करवाता है। वह तात्या को कहना है कि बहत्तर सिंह पुलिस वाला है और बहत्तर सिंह को ये बताता है कि तात्या पुलिस में है। इस तरह से गलतफहमियां पैदा होती हैं और ये कॉमेडी में बदल जाती है।
खिलाड़ी 786 कोई महान फिल्म होने का दावा नहीं करती है। फिल्म का उद्देश्य स्पष्ट है कि जो दर्शक फिल्म देखने आए हैं उनका भरपूर मनोरंजन हो। वे हंसते-हंसते अपने दु:ख दर्द भूल जाए। उनकी फिल्म आम आदमी को भी पसंद आए। इस उद्देश्य में ‘खिलाड़ी 786’ पूरी तरह सफल है। फिल्म की कहानी, किरदार, स्क्रिप्ट और संवाद इस तरह लिखे गए हैं कि दर्शकों को हंसी आए। कलाकारों से ओवर एक्टिंग करवाई गई है, फाइट सीन बेहद लाउड हैं, लेकिन फिल्म की थीम को देखते हुए ये बातें अखरती नहीं हैं। हर सीन को कलरफुल बनाया गया है।फिल्म में मनोरंजन का पक्ष इतना भारी है कि कई बातें इग्नोर की जा सकती हैं, लेकिन कुछ ट्रेक फिल्म में पैबंद के रूप में लगते हैं। भारती और उसके साथी वाला ट्रेक, जिसमें क्लाइमेक्स वे अचानक रिपोर्टर बन जाते हैं। जॉनी लीवर का फिल्म के शुरू में बाथरूम में बंद होना और क्लाइमेक्स में टपकना। संभव है कि फिल्म की अवधि छोटी करने के चक्कर में इनके ट्रेक पर कैंची चल गई हो। असिन के जेल में बंद प्रेमी को भी जरूरत से ज्यादा फुटेज दिया गया है जो खीज पैदा करता है। निर्देशक आशीष आर. मोहन नए हैं, लेकिन उनके काम में मैच्योरिटी नजर आती है। फिल्म को उन्होंने सरपट दौड़ाया है ताकि दर्शकों को सोचने का ज्यादा वक्त नहीं मिले। पुरानी फिल्मों से भी उन्होंने आइडिए उधार लिए हैं। डेविड धवन और प्रियदर्शन की फिल्म मेकिंग स्टाइल से वे प्रभावित नजर आते हैं।
खिलाड़ी भैया अक्षय कुमार फिल्म की जान है। अपने किरदार को उन्होंने बारीकी से पकड़ा है और उसे एक खास किस्म की बॉडी लैंग्वेज और लुक दिया है। असिन ने फिल्म के ग्लैमर को बढ़ाया है। हिमेश रेशमिया ने ये अच्छा काम किया है कि हीरो बनने की जिद छोड़ दी है और सेकंड लीड रोल की राह पकड़ी है। मिथुन चक्रवर्ती, राज बब्बर, जॉनी लीवर, मुकेश तिवारी मंझे हुए अभिनेता हैं और इस तरह के रोल निभाना उनके लिए चुटकी बजाने जैसा है। हिमेश रेशमिया का म्युजिक फिल्म का प्लस पाइंट है। हुक्का, लांग ड्राइव, ओ बावरिया फिल्म की वैल्यू को बढ़ाते हैं। कुल मिलाकर खिलाड़ी 786 एक जायकेदार चाट की तरह है जिसमें हर स्वाद मौजूद है। रेटिंग : 3/51-
बेकार, 2-औसत, 3-अच्छी, 4-बहुत अच्छी, 5-अद्भुत