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गॉडजिला : मूवी रिव्यू

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गॉडजिला जैसी फिल्में अपनी भव्यता और स्पेशल इफेक्ट्स के लिए देखी जाती हैं। निर्देशक गारेथ एडवर्ड्स की 'गॉडजिला' बेहद भव्य है। पैसा पानी की तरह बहाया गया है और विध्वंस के वो सारे दृश्य फिल्म में मौजूद हैं, जो इस तरह की फिल्मों के जान होते हैं। लेकिन फिल्म की कहानी रूटीन है और इसमें कुछ नया नहीं है, इसके बावजूद फिल्म दर्शकों को बांध कर रखती है क्योंकि नियमित अंतराल में स्पेशल इफेक्ट्स से लैस दृश्य परदे पर आते रहते हैं जो थ्री-डी तकनीक में खास प्रभाव छोड़ते हैं।

जो ब्रॉडी जापान स्थित जंजीरा पॉवर प्लांट में बतौर न्यूक्लीयर वैज्ञानिक के काम करता है। इसी प्लांट में उसकी पत्नी सैंड्रा मारी जाती है। इसे एक दुर्घटना बताया जाता है, लेकिन जो को विश्वास है कि यह दुर्घटना नहीं है। ऐसा कुछ घटा है जो उससे छिपाया जा रहा है। जो अपने रिसर्च जारी रखता है, लेकिन उस पर किसी को विश्वास नहीं है। उसे झक्की माना जाता है। ऐसा मानने वालों में उसका बेटा फोर्ड भी है।

चौदह वर्ष इस दुर्घटना को बीत चुके हैं। सेनफ्रांस्सिको में रहने वाले जो के बेटे फोर्ड को पता चलता है कि उसके पिता जो को जापान में गिरफ्तार कर लिया गया है क्योंकि वे निषेध क्षेत्र में घुस गए थे। वह अपने पिता के पास जापान पहुंचता है और अपने पिता के साथ उसे भी पकड़ लिया जाता है। पिता-पुत्र का सामना होता है दो राक्षसों से जिनकी खुराक रेडिएशन है और जो पल भर में विश्व भर में तबाही मचा देते हैं। फोर्ड किस तरह से स्थिति से निपटता है और अपने परिवार से मिलता है, यह फिल्म का सार है।

फिल्म का पहला घंटा थोड़ा स्लो है और एक्शन शुरू होने में काफी वक्त लिया गया है। एक्शन देखने आए दर्शकों में इस वजह से बैचेनी होने लगती है। खासतौर पर गॉडजिला को पहली बार स्क्रीन पर दिखाने में भी काफी देरी की गई है। फिल्म का यह हिस्सा उन दर्शकों को अच्छा लगता है जो स्क्रीन पर चल रही बातों, जिनमें न्यूक्लीयर प्लांट और दैत्यों को तैयार करने की साजिश के बारे में बात की गई है, को समझ पाते हैं। सैंड्रा के मारे जाने का सीन कमाल का है, जिसमें उसका पति जो ही प्लांट के दरवाजे को बंद करता है ताकि रेडिएशन ना फैले, ज‍बकि उसकी पत्नी दरवाजे के मुहाने तक पहुंच जाती है।

दूसरा घंटा एक्शन पैक्ड है। तबाही मचाते भीमकाय दैत्य ऊंची-ऊंची बिल्डिंग, पुल, हेलीकॉप्टर, हवाई जहाज, रेल को पल भर में नष्ट कर देते हैं। ये दृश्य इतनी सफाई से शूट किए गए हैं कि बिल्कुल वास्तविक लगते हैं। इनसे मुकाबला करते सैनिकों के दृश्य भी शानदार हैं। क्लाइमैक्स में गॉडजिला बनाम इन दैत्यों की लड़ाई फिल्म का प्लस पाइंट है। गॉडजिला जब गुर्राता है तो दर्शकों में सिरहन दौड़ जाती है। जिन्होंने पहली बार गॉडजिला को देखा है, उन्हें ये दृश्य बेहद पसंद आएंगे, लेकिन जिन्होंने देख रखा है, उन्हें जरूर थोड़ी निराशा हाथ लगती है। फिल्म में कई जगह लॉजिक को भी दरकिनार रख दिया गया है और एक्शन दृश्यों की जगह बनाई गई है।

फोर्ड के रूप में एरन टेलर-जॉनसन का काम ठीक है। हालांकि उनका रोल इस तरह नहीं लिखा गया है कि वे फिल्म में 'हीरो' की तरह नजर आए, इस वजह से दर्शक उनसे जुड़ नहीं पाते हैं। जो ब्रॉडी के रूप में ब्रायन क्रांस्टन का अभिनय बेहद प्रभावी है। काश, उनका रोल और लंबा होता। अन्य कलाकारों के रोल छोटे हैं।

कुछ बोझिल क्षणों के बावजूद गॉडजिला दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल है।

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निर्माता : थॉमस टूल, जॉन जश्नी, मैरी पैरेंट, ब्रायन रोजर्स
निर्देशक : गारेथ एडवर्ड्स
कलाकार : एरन टेलर-जॉनसन, केन वाटानबे, एजिलाबेथ ओस्लन, सैली हॉकिंस, ब्रायन क्रैंस्टन
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 3 मिनट
रेटिंग : 3/5

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