निर्माता : विजयेता फिल्म्स प्रा.लि.निर्देशक : कबीर कौशिकगीत : समीर संगीत : मोंटी शर्माकलाकार : बॉबी देओल, प्रियंका चोपड़ा, डैनी, इरफान खान, राजपाल यादव, आर्य बब्बर, रितेश देशमुखरेटिंग : 0.5/5‘चमकू’ फिल्म का निर्माण बॉबी के घरेलू बैनर विजयेता फिल्म्स ने इसलिए किया गया है कि बॉबी के अंधकारमय करियर में रोशनी आए, लेकिन इस फिल्म के बाद यह अंधेरा और गहरा जाएगा। आश्चर्य होता है कि देओल्स ने इतनी घिसी-पिटी कहानी चुनी, जो किसी भी दृष्टि से बॉबी का भला नहीं कर सकती। एक बच्चे की आँखों के सामने उसके परिवार की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी जाती है। बड़ा होकर वह अपना बदला लेता है। इस एक लाइन की कहानी पर आधारित फिल्में दर्शक हजारों बार देख चुके हैं। इस पर फिल्म बनाना निर्देशक कबीर कौशिक और उस पर पैसा लगाने वालों की समझ पर सवालिया निशान लगाता है। फिल्म की कहानी में नया मोड़ यह दिया गया है कि नक्सलवादी चमकू (बॉबी देओल) पुलिस चुंगल में फँस जाता है। उसे रॉ और आईबी वाले एक कार्यक्रम के तहत असामाजिक तत्वों को मारने के लिए चुन लेते हैं। वे चुपचाप अपना काम करते हैं। शुभि (प्रियंक चोपड़ा) के प्यार में चमकू पड़ जाता है और इस काम से छुटकारा पाना चाहता है, लेकिन यह मुमकिन नहीं है। ‘या तो मारो या फिर मरो’ वाले सिद्धांत पर उसे काम करना है। फिल्म बहुत जल्दबाजी में बनाई गई है मानो कोई डैडलाइन पूरी करनी हो। फिल्म इस तरह छलाँग मारते हुए चलती है, मानो फिल्म को ‘फास्ट फॉरवर्ड’ करके देख रहे हों। दृश्यों का आपस में कोई तालमेल नहीं है। ऐसा लगता है कि चार घंटे की फिल्म को काँट-छाँट कर दो घंटे की कर दिया गया हो। क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? कहाँ हो रहा है? जैसे ढेर सारे प्रश्न दिमाग में आते हैं। फिल्म के निर्देशक के रूप में कबीर कौशिक का नाम जरूर है, लेकिन फिल्म देखकर लगता ही नहीं कि इसे किसी ने निर्देशित किया है। उन्होंने पूरी फिल्म एक्शन डॉयरेक्टर टीनू वर्मा के जिम्मे छोड़ दी, जो कलाकारों से मारा-धाड़ करवाते रहे। बॉबी देओल का काम ठीक है। प्रियंका चोपड़ा को देख ऐसा लगा कि वे सिर्फ साडि़यों की मॉडलिंग करने बीच-बीच में आ जाती हैं। मोटापा अब उनके चेहरे और गर्दन पर झलकने लगा है।
डैनी, रितेश देशमुख और राजपाल यादव जैसे कलाकारों ने पता नहीं क्यों फिल्म साइन की। या तो उनकी भूमिकाओं पर बुरी तरह कैंची चला दी गई या फिर उन्होंने पैसों की लालच में इस फिल्म में काम किया। एक की भी भूमिका उल्लेखनीय नहीं है। आर्य बब्बर और दीपल शॉ जैसे कलाकारों को तो निर्देशक ने एक भी संवाद नहीं दिए। इरफान खान और अखिलेन्द्र मिश्रा ने ठीक-ठाक काम किया। फिल्म में संगीत के नाम पर कुछ गाने भी हैं।
‘चमकू’ फिल्म तो क्या उसके पोस्टर से भी दूर रहिए।