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तीस मार खाँ : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

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बैनर : हरीओम प्रोडक्शन्स, थ्रीज़ कंपनी, यूटीवी मोशन पिक्चर्स
निर्माता : ट्विंकल खन्ना, शिरीष कुंदर, रॉनी स्क्रूवाला
निर्देशक : फराह खान
संगीत : विशाल शेखर
कलाकार : अक्षय कुमार, कैटरीना कैफ, अक्षय खन्ना, रघु राम, आर्य बब्बर, सलमान खान (मेहमान कलाकार)
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए * 16 रील * 2 घंटे 11 मिनट
रेटिंग : 2.5/5

फराह खान ने सत्तर और अस्सी के दशक में बनने वाली फिल्मों को घोटकर पी रखा है। तमाम अच्छी से अच्छी और बुरी से बुरी फिल्म उन्होंने उस दौर की देख रखी है और उसी को आधार बनाकर वे मसाला फिल्म बनाती हैं। वैसे तो ‘तीस मार खाँ’ हॉलीवुड फिल्म ‘ऑफ्टर द फॉक्स’ को सामने रखकर बनाई गई है, लेकिन फराह ने अपनी ओर से बॉलीवुड की मसाला फिल्मों का तड़का लगाया है।

‘तीस मार खाँ’ में एक ऐसी माँ है जिसके बेटे के बारे में पूरी दुनिया जानती है कि वह एक चोर है, लेकिन ममता की मारी माँ को उसका बेटा यह कहकर बेवकूफ बनाता रहता है कि वह एक फिल्म डायरेक्टर है। कुछ मसखरे किस्म के पुलिस अफसर हैं जिनके हाथ से चोर जब चाहे निकल सकता है। ऐसे कैरेक्टर उस दौर की फिल्मों की याद दिलाते हैं।

तबरेज मिर्जा (अक्षय कुमार) जिसे दुनिया तीस मार खाँ कहती है, उसे और उसके साथियों डॉलर, सोडा और बर्गर को जौहरी ब्रदर्स के नामी स्मगलर्स एक चोरी का जिम्मा सौंपते हैं। चलती ट्रेन से एंटिक पीसेस चुराना है। जिनका वजन है दस हजार किलो और कीमत है पाँच सौ करोड़ रुपए।

आखिर इतना वजनी माल तीस मार खाँ और उसके साथी कैसे चुरा सकते हैं। लिहाजा वे एक प्लान बनाते हैं। ट्रेन धूलिया नामक गाँव से गुजरने वाली है। वहाँ पर तीस मार खाँ और उसके साथी एक फिल्म का सेट लगाते हैं। फिल्म के लिए वे मशहूर हीरो आतिश कपूर (अक्षय खन्ना) को साइन करते हैं ताकि पुलिस प्रोटक्शन में काम हो सके। आतिश की हीरोइन आन्या (कैटरीना कैफ) को बना दिया जाता है जो तीस मार खाँ की गर्लफ्रेंड है।

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यहाँ होता है इंटरवल और इस मोड़ तक फिल्म बेहतरीन है। हास्य दृश्यों को अच्छे से लिखा और फिल्माया गया है। लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म में यू टर्न देखने को मिलता है। इंटरवल के बाद से लेकर तो क्लाइमैक्स तक फिल्म बिखरी नजर आती है। ऐसा लगता है कि निर्देशक और लेखक को यह समझ में ही नहीं आया कि फिल्म को कैसे आगे बढ़ाया जाए। लिहाजा उन्होंने अपने किरदारों से ऐसी हरकतें करवाई हैं जिन्हें देख हँसी तो बिलकुल नहीं आती।

कई बातों को रबर की तरह खींचा गया है, जैसे अक्षय कुमार द्वारा बार-बार बोलना खानों में खान तीस मार खान या तवायफ की लुटती इज्जत को बचाना और तीस मार खाँ को कैद करना नामुमकिन है, अक्षय खन्ना द्वारा ऑस्कर की रट लगाना। बिना मुंडी वाला भूत जैसे कुछ प्रसंग फिजूल के हैं।

इसके बावजूद क्लाइमैक्स में होने वाली ट्रेन डकैती देखने की लालसा मन में बनी रहती है क्योंकि सारे किरदार इसमें हिस्सा लेने वाले हैं और लगातार इस बारे में वे बात कर दर्शकों की उत्सुकता बढ़ाते रहते हैं। लेकिन फराह ने क्लाइमैक्स को सतही तरीके से फिल्माया है। एक चोर द्वारा इतना बड़ी डकैती करने का थ्रिल इसमें नदारद है। होना यह था कि इस डकैती को गंभीरता और रोमांच के साथ फिल्माया जाता, लेकिन फराह पर कॉमेडी का भूत इस कदर हावी था कि उन्होंने अन्य सारी बातों को ताक पर रख दिया।

यहाँ तक की कैटरीना कैफ का फराह ठीक से उपयोग नहीं कर पाईं। कैटरीना जिनके इस समय दर्शक दीवाने हैं, उन्हें ज्यादा से ज्यादा स्क्रीन पर देखना चाहते हैं, इस फिल्म में साइड हीरोइन की तरह नजर आती हैं। ‘शीला की जवानी’ गाने के अलावा उन्हें एक भी ढंग का संवाद नहीं दिया गया है। अक्षय-कैटरीना की सुपरहिट जोड़ी होने के बावजूद रोमांस नदारद है।

अक्षय कुमार ने अपना किरदार अच्छे तरीके से निभाया है, हालाँकि जितना बड़ा चोर उन्हें बताया गया है उतना वे फिल्म में कहीं नजर नहीं आते। ‘शीला की जवानी’ में कैटरीना ने गजब ढाया है, लेकिन इसके बाद उन्हें करने को कुछ नहीं मिला।

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अक्षय खन्ना की विग बेहूदी थी या अभिनय, निर्णय करना मुश्किल है। ‘वल्लाह-वल्लाह’ गाने में सलमान खान ने अपनी झलक दिखलाकर प्रशंसकों को खुश कर दिया। मुरली शर्मा, अमन वर्मा, सचिन खेड़ेकर, अपरा मेहता, अंजन श्रीवास्तव और आर्य बब्बर ने अपना काम ठीक से किया है।

फिल्म का संगीत भी औसत दर्जे का है। ‘शीला की जवानी’ और ‘वल्लाह वल्लाह’ भी सुनने के बजाय दर्शनीय ज्यादा है।

कुल मिलाकर ‘तीस मार खाँ’ उन उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती जो फिल्म के प्रोमो देखने के बाद दर्शकों ने बाँध रखी थी।

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