‘ए वेडनेसडे’ कहानी है एक बुधवार को मुंबई में दोपहर 2 से 6 बजे के बीच होने वाली घटनाओं की। ऐसी घटनाएँ जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। मुंबई पुलिस कमिश्नर प्रकाश राठौर (अनुपम खेर) को फोन आता है कि वे चार व्यक्तियों को छोड़ दे वरना मुंबई के कई स्थानों पर उसने बम लगा रखे हैं और उनके जरिए वो विस्फोट कर देगा। प्रकाश पहले इसे मजाक समझते हैं, लेकिन फिर उन्हें शक होता है। एक बम पुलिस स्टेशन के सामने स्थित पुलिस हेडक्वार्टर पर प्रकाश को मिलता है। प्रकाश उन लोगों में से नहीं है जो आसानी से हार मान लेते हैं। वे अपने श्रेष्ठ साथियों की टीम बनाते हैं और सारे संसाधनों का उपयोग करने का निश्चय करते हैं। वे एक हैकर की भी सेवाएँ लेते हैं ताकि फोन काल्स लगाने वाले और उसके स्थान का पता लगाया जा सकें। समय गुजरता जाता है, लेकिन कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आता। आखिर में प्रकाश उन आदमियों को छोड़ने का निर्णय लेते हैं, लेकिन तब घटनाक्रम में एक अनोखा घुमाव आता है। फिल्म की कहानी प्रभावशाली है। लेखक और निर्देशक नीरज पांडे ने इसे बेहतरीन तरीके से परदे पर प्रस्तुत किया है। फिल्म शुरू होने से लेकर खत्म होने तक बाँधकर रखती है। कई उतार-चढ़ाव आते हैं और हर कदम पर नई चुनौती सामने आती है। डेढ़ घंटे की इस फिल्म में न कोई गाना है, न कोई मसाला है और न ही फालतू दृश्य।
फिल्म में दो शानदार अभिनेताओं को साथ देखना एक आनंददायक अनुभव है। नसीरूद्दीन शाह ने पहले भी कई फिल्मों में शानदार अभिनय किया है। उनकी यादगार फिल्मों को जब याद किया जाएगा तो उसमें ‘ए वेडनेसडे’ का नाम भी जरूर शामिल होगा। फिल्म के आखिर में जब वे आम आदमी की बात करते हैं तो उनका अभिनय देखने के काबिल है।
नसीर जैसे कलाकार के सामने खड़े होकर अभिनय करना आसान बात नहीं है, लेकिन अनुपम का अभिनय भी बेजोड़ है। जिमी में प्रतिभा है, ये बात इस फिल्म के जरिए साबित होती है। आमिर बशीर, चेतन पंडित और दीपल शॉ सहित सारे कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है।