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धूम 3: फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

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धूम फ्रेंचाइजी में खलनायक को इस तरह पेश किया जाता है कि दर्शकों की सारी सहानुभूति खलनायक के साथ होती है। हीरो की भूमिका चरित्र कलाकार जैसी होती है। धूम 3 के खलनायक को नायक जैसा पेश किया गया है क्योंकि उसके पास कारण है कि वह गलत काम क्यों कर रहा है। यह कारण दरअसल एक इमोशनल कहानी है और यही बात धूम 3 को इस श्रृंखला की पिछली फिल्मों से अलग करती है। पिछली फिल्मों में इमोशन्स की कमी महसूस की गई थी, जिसे इस कड़ी में पूरा किया गया है।

यह निर्देशक की कामयाबी है कि दर्शकों को भावनात्मक रूप से यह फिल्म पहले दस मिनट में ही जोड़ लेती है जब इकबाल (जैकी श्रॉफ) शिकागो स्थित अपने ग्रेट इंडियन सर्कस को बैंक के कर्जे से बचाने की कोशिश करता है। यहीं पर दर्शक इस बात को स्वीकार कर लेते हैं कि साहिर (आमिर खान) के पिता के साथ गलत हुआ है और साहिर बड़ा होकर गलत राह पर क्यों चल रहा है इस बात को अच्छी तरह स्थापित कर दिया गया है।

बैंक कर्ज वसूली में सख्ती दिखाता है तो मासूम साहिर के सामने उसके पिता आत्महत्या कर लेते हैं। यही से साहिर और बैंक के बीच दुश्मनी हो जाती है और वह बड़ा होकर बैंक को बरबाद करने के मिशन में जुट जाता है।

यह बात पता चल जाती है कि बैंक को बरबाद करने वाला एक भारतीय है तो भारत से दो पुलिस ऑफिसर जय (अभिषेक बच्चन) और अली (उदय चोपड़ा) भेजे जाते हैं। फिर शुरू होता है चोर और पुलिस के बीच चूहे-बिल्ली का खेल।

फिल्म की कहानी सामान्य है, लेकिन इसे असाधारण बनाता है महंगे लोकेशन्स, शानदार सेट्स, जबरदस्त सिनेमाटोग्राफी। वैसे भी धूम सीरिज की फिल्मों में कहानी से ज्यादा महत्वपूर्ण स्टाइल और स्टंट्स है।

पहला हाफ फिल्म को इतनी ऊंचाइयों पर ले जाता है कि यह स्टंट्स और तकनीकी रूप से हॉलीवुड फिल्मों को टक्कर देती है। एक के बाद एक आइटम्स पेश किए जाते हैं। आमिर खान जबरदस्त तरीके से एंट्री लेते हैं। ऊंची बिल्डिंग की दीवार से वे उतरते हैं और सड़क पर डॉलर्स की बारिश होती है। फिर आता है एक चेजि़ंग सीन जो 'धूम' सीरिज की फिल्मों की खासियत है। अत्याधुनिक बीएमडब्ल्यू बाइक पर बैठ साहिर जब पुलिस को नचाता है तो दर्शकों की सांसें थम जाती हैं।

जय और अली की एंट्री के लिए भी एक्शन सीन गढ़ा गया है, जो सिर्फ फिल्म की लंबाई बढ़ाता है। ‍फिल्म की हीरोइन कैटरीना कैफ भी फिल्म में धमाकेदार एंट्री करती हैं। 'कमली' गाने पर उनका डांस काबिल-ए-तारीफ है।

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जय, अली और साहिर के बीच वाला चेजिंग सीन फिल्म का प्रमुख आकर्षण है। इस सीन को अद्‍भुत तरीके से शूट किया गया है। इसी सीन में जय गोली चलाता है जो साहिर की पीठ पर लगती है। कुछ देर बाद साहिर को गिरफ्तार करने जय उसके सर्कस में पहुंचता है तो यह जान कर दंग रह जाता है कि साहिर की पीठ पर किसी भी किस्म की चोट का निशान नहीं है। जय के साथ दर्शक भी चौंकते हैं कि यह रहस्य क्या है और यही पर इंटरवल होता है।

इंटरवल के बाद हांफना ज्यादातर हिंदी फिल्मों की कमजोरी है और धूम 3 भी इसका शिकार है। एक्शन और स्टंट्स से फोकस हट कर ड्रामे पर आ जाता है और स्क्रिप्ट की कमजोरियां उभरने लगती हैं।

रहस्य पर से परदा हटाया जाता है जो कई तरह के सवालों को जन्म देता है, जिनके संतोषजनक उत्तर नहीं मिलते हैं। कहानी में रोमांटिक ट्रेक को जबरन घुसेड़ा गया है जिसकी जगह नहीं बनती है।

साहिर का कड़ी सुरक्षा के बीच हर बार आसानी से बैंक में घुसना हैरत में डालता है। फिल्म के दूसरे हाफ में एक्शन की कमी महसूस होती है। इन सब कमियों के बीच एक अच्छी बात यह है कि बोरियत नहीं होती है। ड्रामे में दिलचस्पी बनी रहती है। उम्मीद रहती है कि क्लाइमेक्स में जबरदस्त एक्शन देखने को मिलेगा, लेकिन अपेक्षा से कम देखने को मिलता है।

फिल्म का निर्देशन किया है विजय कृष्ण आचार्य ने, जिन्होंने धूम सीरिज के सारे भाग लिखे हैं। 'टशन' जैसी भूला देने लायक फिल्म वे निर्देशित कर चुके हैं इसके बावजूद फिल्म के निर्माता आदित्य चोपड़ा ने उनको यशराज फिल्म्स की सबसे महंगी फिल्म निर्देशित करने का जिम्मा दिया। विजय का काम एक्शन डायरेक्टर और कोरियोग्राफर ने काफी आसान कर दिया। ड्रामे वाले हिस्से को संभालने में विजय थोड़ा लड़खड़ाए हैं।

आमिर खान के फिल्म से जुड़ने दर्शकों की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं। आमिर खान के किरदार के बारे में ज्यादा बात इसलिए नहीं की जा सकती है क्योंकि इससे फिल्म के रहस्य से परदा हट जाएगा। जहां तक अभिनय का सवाल है तो आमिर ने अपना काम गंभीरता से किया है, लेकिन उनसे और बेहतर की अपेक्षा थी। धूम जैसी फिल्मों के किरदार को जो ग्लैमर चाहिए था, उसमें आमिर थोड़ा कमजोर पड़ गए।

कैटरीना कैफ टोंड बॉडी में बेहद खूबसूरत नजर आईं, लेकिन उनका रोल बेहद छोटा है। निर्देशक उनके ग्लैमर का पूरा उपयोग ही नहीं कर पाए। अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा अपने किरदारों को उसी अंदाज में बढ़ाते नजर आए। जैकी श्रॉफ छोटे रोल में छाप छोड़ते हैं।

प्रीतम का संगीत औसत किस्म का है, लेकिन गानों का फिल्मांकन आंखों को राहत देता है। 'मलंग' और 'कमली' की कोरियोग्राफी बहुत बढ़िया है। जूलियस पैकिअम का बैकग्राउंड स्कोर उम्दा है।

सुदीप चटर्जी की सिनेमाटोग्राफी अंतरराष्ट्रीय स्तर की है जो फिल्म को भव्य लुक देती है। एक्शन और स्टंट्स हॉलीवुड फिल्मों की टक्कर के हैं।

धूम 3 पांच में तीन अंक के लायक है, लेकिन सिनेमाटोग्रफी, लोकेशन्स, और बाइक थ्रिल्स के कारण आधा अंक अतिरिक्त दिया गया है।

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बैनर : यशराज फिल्म्स
निर्माता : आदित्य चोपड़ा
निर्देशक : विजय कृष्ण आचार्य
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार : आमिर खान, कैटरीना कैफ, अभिषेक बच्चन, उदय चोपड़ा, जैकी श्रॉफ
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 52 मिनट 21 सेकंड्स
रेटिंग : 3.5/5

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