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नशा : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

बंद मुठ्ठी तो लाख की, खुल गई तो खाक की। यह कहावत पूनम पांडे के मामले में एकदम खरी है। ऊटपटांग बयान और कम कपड़ों के फोटो के जरिये उन्होंने सुर्खियां बटोर ली। इस वजह से उन्हें ‘नशा’ नामक फिल्म भी मिल गई। जब एक्टिंग की बारी आई तो पूनम चारों खाने चित्त नजर आईं।

चलिए, मान लेते हैं कि ‘नशा’ में पूनम की एक्टिंग देखने कोई नहीं जाएगा। दर्शक को इस बात का मतलब भी नहीं है कि पूनम खूबसूरत लगती हैं या नहीं? लेकिन बोल्ड सीन की आस लिए थिएटर गए दर्शकों के हाथ भी कुछ नहीं लगता। इससे तो बेहतर है कि इंटरनेट पर पूनम द्वारा अपलोड किए गए फोटो और वीडियो ही देख लिए जाए।

पूनम से यदि एक्टिंग नहीं हुई है या उन्हें सेक्सी तरीके से पेश नहीं किया जा सका है तो इसमें दोष फिल्म के निर्देशक अमित सक्सेना का भी है। अमित ने दस वर्ष पूर्व जिस्म नामक फिल्म बनाई थी, जिसे बॉक्स ऑफिस पर सफलता के साथ सराहना भी मिली थी। अमित को दूसरी फिल्म निर्देशित करने का अवसर दस वर्ष बाद ‍क्यों मिला, ये ‘नशा’ देख समझा सकता है। अब तो शक होता है कि क्या ‘जिस्म’ भी अमित ने ही निर्देशित की थी?

‘नशा’ में न केवल वे कलाकारों से अभिनय ठीक से करवा सके बल्कि शॉट भी ठीक से नहीं ले सके। कहानी को स्क्रीन पर उतारने के मामले में वे पूरी तरह असफल रहे। हीरो दौड़ता रहता है और सोता रहता है, ये शॉट फिल्म में बीसियों बार देखने को मिलते हैं। उन्होंने शॉट्स को बेहद लंबा रखा है जिससे फिल्म बेहद उबाउ हो गई है। हो सकता है कि आप की आंख लग जाए और कुछ मिनट बाद खुले तो वही सीन चल रहा हो।

कहानी है साहिल की, जिसकी उम्र अठारह वर्ष के आसपास है। वह अपनी 25 वर्षीय टीचर अनिता जोसेफ से एकतरफा प्यार करने लगता है। अपनी गर्लफ्रेंड को भी भूला देता है। साहिल को जब पता चलता है कि अनिता का सैम्युअल नामक बॉयफ्रेंड भी है तो उसके तन-बदन में आग लग जाती है। साहिल के एकतरफा प्यार का क्या हश्र होता है, ये फिल्म का सार है।
कम उम्र के लड़का अपने से उम्र में बड़ी महिला के प्रति आकर्षित होने की बात नई नहीं है, क्योंकि इस बात को इरोटिक तरीके से पेश करने की गुंजाइश बहुत ज्यादा है। प्यार की त्रीवता के साथ कामुक दृश्यों के लिए स्थितियां बनती हैं, लेकिन इस मामले में फिल्म पूरी तरह असफल है। न तो कहानी बांध कर रखती है और न ही फिल्म में ग्लैमर नजर आता है।

साहिल का प्यार दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन यह वासना नजर आती है। उसकी गर्लफ्रेंड टिया का किरदार तो बेहद ही लचर है, जो साहिल से माफी मांगती फिरती है। पूनम पांडे ने टीचर का किरदार निभाया और एक टीचर इतने खुले कपड़े पहन बेशर्मी से स्टुडेंट के बीच कभी नहीं जाता।

किसी तरह खींच कर कहानी को पेश किया गया है और फिल्म हर पहलू पर निराश करती है। संवाद से लेकर गीत तक स्तरहीन हैं। तीन-चार लोकेशन पर ही फिल्म पूरी कर दी गई है। ऐसा नहीं है कि कम बजट के कारण निर्देशक की यह मजबूरी थी, बल्कि कल्पनाशीलता का अभाव नजर आता है।

पूनम पांडे अभिनय के मामले में निराश करती हैं। अभिनय की कई बेसिक बातें उन्हें नहीं पता हैं। कई दृश्यों में उनका मेकअप भी खराब है। शिवम पाटिल के चेहरे पर कोई भाव नजर नहीं आते।

कुल मिलाकर ‘नशा’ ऐसी फिल्म है कि इसे देखो तो चढ़ा नशा भी उतर जाए।

बैनर : ईगल होम एंटरटेनमेंट
निर्माता : सुरेन्द्र सुनेजा, आदित्य भाटिया
निर्देशक : अमित सक्सेना
संगीत : सिद्धार्थ हल्दीपुर, संगीत हल्दीपुर
कलाकार : पूनम पांडे, शिवम पाटिल
रेटिंग : 1/5

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