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मेरे ख्वाबों में जो आए : दु:स्वप्न

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IFM
निर्माता : अजय बिजली, संजीव के. बिजली
निर्देशक : मधुरिता आनंद
कलाकार . रणदीप हुडा, रायमा सेन, अरबाज खान, सुहासिनी मुले, अंजन श्रीवास्तव, अश्विनी कल्सेकर

’मेरे ख्वाबों में जो आए’ से जुड़े लोगों से कुछ पूछना चाहूँगा। पहला प्रश्न फिल्म की लेखक और निर्देशक मधुरिता आनंद से। आपने क्या सोचकर फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी? इसे फिल्माते समय क्या आपको पता था कि आप क्या बना रही हैं?

दूसरा प्रश्न फिल्म के तीनों मुख्‍य कलाकारों अरबाज खान, रायमा सेन और रणदीप हुडा से। क्या उन्होंने यह फिल्म स्क्रिप्ट सुनने के बाद साइन की थी? तीसरा ‍प्रश्न फिल्म निर्माता अजय बिजली और संजीव के. बिजली से कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट में ऐसा क्या देखा कि पैसा लगाने के लिए तैयार हो गए।

‘मेरे ख्वाबों में जो आए’ देखकर समझ में नहीं आता कि ये किस तरह का सिनेमा है। ऐसा लगता है कि एक विमान बिना पायलट के उड़ रहा है। पूरी फिल्म समय, धन, मेहनत और रॉ स्टॉक की बर्बादी है।

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माया (रायमा सेन) नई दिल्ली में रहती है। उसकी शादी विक्रम (अरबाज खान) से हुई है और उनकी एक ‍बेटी है। माया अपनी जिंदगी से खुश है। एक शाम वह अपने पति और एक महिला की बातचीत सुनती है और उसे लगता है कि उसके पति का अफेयर चल रहा है। शादी के बाद विक्रम ने उसका गाना बंद करवा दिया था, जबकि गायिका बनना उसका सपना था। उसके साथ ऐसा व्यवहार किया कि उसका आत्मविश्वास कम हो गया।

माया को सपनों में जय (रणदीप हुडा) दिखाई देता है जो उसे गाने के लिए प्रोत्साहित करता है। उसका आत्मविश्वास लौट आता है और वह अपना सपना पूरा करने में जुट जाती है।

‘मेरे ख्वाबों में जो आए’ अच्छी-बुरी नहीं बल्कि निरर्थक फिल्म है। ऐसा लगता है कि क्या आप सचमुच एक फिल्म देख रहे हैं या फिर ऊँघते हुए एक सपना देख रहे हैं जिसमें आप सिनेमाघर में बैठे हैं और एक बेतुकी‍ फिल्म देख रहे हैं।

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कहानी और स्क्रीनप्ले दोनों ही घटिया है। रायमा एक अच्छी बीवी और माँ है, फिर भी अरबाज को हमेशा शिकायत क्यों रहती है? रायमा प्रतिभाशाली कलाकार है, लेकिन उसे अपनी ऊर्जा अच्छी स्क्रिप्ट और रोल में लगाना चाहिए। रणदीप और अरबाज प्रभावित नहीं करते। अन्य सारे कलाकार भी निराश करते हैं।

कुल मिलाकर यह फिल्म एक बुरे ख्वाब से कम नहीं है।

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