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मेरे बाप पहले आप : बाप रे बाप

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समय ताम्रकर

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निर्माता : रमन मारू-केतन मारू-मानसी मारू
निर्देशक : प्रियदर्शन
संगीत : विद्यासागर
कलाकार : अक्षय खन्ना, परेश रावल, जेनेलिया डिसूजा, ओमपुरी, शोभना, अर्चना पूरनसिंह, मनोज जोशी, राजपाल यादव
*यू-सर्टिफिकेट * 8 रील
रेटिंग : 2.5/5

फिल्म में एक संवाद है ‘सरकार ने शादी की न्यूनतम आयु निर्धारित की है, अधिकतम नहीं’। इसका मतलब साफ है कि शादी आप सत्तर वर्ष की आयु में भी कर सकते हैं। बुढ़ापे में शादी की थीम को लेकर प्रियदर्शन ने ‘मेरे बाप पहले आप’ बनाई है। उन्होंने हास्य की चाशनी में डुबोकर यह बताया है कि बूढ़ों को भी शादी का उतना ही हक है, जितना कि युवाओं को और इसे बुरी नजर से नहीं देखा जाना चाहिए।

भारतीय समाज में इस तरह की शादियों को अच्छा नहीं माना जाता है, जिसकी वकालत प्रियन ने की है। ऐसी शादियों के खिलाफ सबसे पहले उस आदमी की संतान ही सामने खड़ी हो जाती है, लेकिन ‘मेरे बाप पहले आप’ में बेटा अपने पिता की शादी इस तरह करवाता है जैसे कि वह उसका पिता हो।

इस तरह की कहानी पर या तो गंभीर फिल्म होना चाहिए या फिर हास्य से भरपूर, लेकिन ‘मेरे बाप पहले आप’ में बीच का रास्ता चुना गया है, इसलिए कहीं फिल्म अच्छी लगती है तो कहीं बुरी।

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जनार्दन विश्वम्भर राणे (परेश रावल) ने अपनी पत्नी गुजरने के बाद अपने दोनों बच्चों चिराग (मनोज जोशी) और गौरव (अक्षय खन्ना) को माँ-बाप का प्यार दिया। गौरव ने बड़े होकर अपने पिता का व्यवसाय संभाला। गौरव और उसके पिता के बीच दोस्ताना संबंध हैं। गौरव अपने पिता को एक बेटे की तरह लाड़ करता है, डाँटता है, फटकारता है।

वर्षों बाद गौरव की मुलाकात शिखा (जेनेलिया डिसूजा) से होती है, जो अमेरिका से एक माह के लिए भारत आई हुई है। शिखा अपनी गार्जियन अनुराधा (शोभना) के साथ रहती है। गौरव और शिखा के बीच बेहद अच्छी दोस्ती हो जाती है। एक दिन दोनों को पता चलता है कि गौरव के पिता जनार्दन का पहला प्यार अनुराधा है। किस तरह से तमाम बाधाओं को पार कर गौरव अपने पिता की शादी अनुराधा से करवाता है, यह फिल्म में दिखाया गया है।

प्रियदर्शन वैसी फिल्में ही बनाते हैं, जैसी वर्तमान में लोग देखना पसंद करते हैं। उनका लक्ष्य युवा वर्ग है, जिसे हल्की-फुल्की फिल्में अच्छी लगती है। फिल्म का पहला भाग उन्होंने हास्य को समर्पित किया है और दूसरे भाग में ड्रामा पर जोर दिया है। उनकी फिल्मों का हास्य का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और इस फिल्म में कई बार ऐसे संवाद सुनने को मिले, जैसे कि कादर खान लिखा करते थे।

शिखा का गौरव को सताने वाले दृश्यों को उन्होंने बहुत ज्यादा फुटेज दिया है, लेकिन वह भाग इतना मजेदार नहीं बन पाया है। जनार्दन और शोभना की प्रेम कहानी को भी ठीक तरह से उभारा नहीं गया है। फिल्म के अंत को प्रभावशाली बनाने के लिए नसीरुद्दीन शाह का चरित्र डाला गया है, जिसका हृदय परिवर्तन अचानक हो जाता है।

फिल्म की लंबाई बहुत ज्यादा है। इस वजह से कई जगह फिल्म ठहरी हुई महसूस होती है। फिल्म का संगीत भी निराश करता है, एक भी गाना ऐसा नहीं है जो हिट कहा जा सके। 60 प्लस में शादी करने का विचार और पिता-पुत्र के बीच में जिस तरह का रिश्ता दिखाया गया है, वो संभवत: ज्यादा लोगों को पसंद नहीं आए।

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परेश रावल ने इस फिल्म का केन्द्रीय चरित्र निभाया है और उन्होंने शानदार अभिनय‍ किया है। प्रियदर्शन की फिल्मों में अक्षय का अभिनय हमेशा बेहतरीन रहा है और इस बार भी है। जेनेलिया डिसूजा का चेहरा ताजगीभरा है। अभिनय उनका अच्छा है, लेकिन उच्चारण दोषपूर्ण। लंपट व्यक्ति के रूप में ओमपुरी ने अपना काम बखूबी किया है। शोभना और राजपाल यादव यदि यह प्रियदर्शन की फिल्म नहीं होती तो शायद ही इस फिल्म में काम करते।

फिल्म का तकनीकी पक्ष औसत है और फिल्म को संपादित किया जाना बेहद जरूरी है। कुल मिलाकर ‘मेरे बाप पहले आप’ एक औसत फिल्म से बढ़कर नहीं है।

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