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ये साली जिंदगी : उतार-चढ़ाव से भरी

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हमें फॉलो करें ये साली जिंदगी

समय ताम्रकर

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बैनर : सिने रास एंटरटेनमेंट प्रा.लि., प्रकाश झा प्रोडक्शन्स
निर्माता : प्रकाश झा
निर्देशक : सुधीर मिश्रा
संगीत : िशात खान
कलाकार : इरफान खान, चित्रांगदा सिंह, अरुणोदय सिंह, अदिती राव, सौरभ शुक्ला, सुशांत सिंह, यशपाल शर्मा
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 2 घंटे 15 मिनट * 16 रील
रेटिंग : 3/5

कुछ निर्देशक अपराधी और अपराध जगत को बेहतरीन तरीके से सिल्वर स्क्रीन पर पेश करते हैं। इनमें सुधीर मिश्रा का भी नाम लिया जा सकता है। ‘इस रात की सुबह नहीं’ में उन्होंने मुंबई की पृष्ठभूमि पर अपराध जगत को दिखाया था। उस फिल्म में जबरदस्त थ्रिल था। कुछ वैसा ही थ्रिल मिश्रा की नई फिल्म ‘ये साली जिंदगी’ को देख महसूस होत है। मिश्रा ने इस बार दिल्ली और उसके आसपास की जगह को चुना है।

‘ये साली जिंदगी’ अपराध और इश्क के घालमेल की कहानी है। आदतन अपराधी अपराध करने में एक नशा महसूस करता है और जब इश्क का भूत उस पर सवार हो जाता है तो वह अपनी जान की भी परवाह नहीं करता है।

दो गैंगस्टर्स कुलदीप (अरुणोदय सिंह) और अरुण (इरफान खान) इश्क के कारण अपनी-अपनी जिंदगी इस कदर उलझा देते हैं कि लगातार फँसते चले जाते हैं। उन्हें बाहर निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आता। कदम-कदम पर धोखा, साजिश और अविश्वास का उन्हें सामना करना पड़ता है।

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प्रीति (चित्रांगदा सिंह) का अरुण यह हकीकत जानते हुए भी दीवाना है कि वह श्याम (विपुल गुप्ता) को चाहती है। हर कदम पर प्रीति की खातिर वह अपनी जान जोखिम में डालता है।

दूसरी ओर कुलदीप अपनी पत्नी (अदिति राव हैदरी) को इतना चाहता है कि उसकी खातिर वह अपराध की दुनिया को छोड़ने के लिए तैयार है क्योंकि उसे शक है कि उसकी खूबसूरत पत्नी की जिंदगी में कोई और है। अरुण और कुलदीप के रास्ते टकराते हैं और उनकी कहानी उलझती जाती है।

निर्देशक सुधीर मिश्रा ने कहानी को जटिल तरीके से परदे पर प्रस्तुत किया है, लेकिन यह प्रस्तुतिकरण अपील करता है। तेज गति से भागती इस फिल्म में कई उतार-चढ़ाव और घुमाव देखने को मिलते हैं। अगले पल क्या होने वाला है इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं है।

मिश्रा ने कई फ्लेशबैक, ढेर सारी लोकेशन्स, तेजी से दौड़ता समय और ढेर सारे किरदारों के साथ कहानी को पेश किया है, जिससे दर्शक को हर वक्त अलर्ट रहना पड़ता है वरना वह कन्फ्यूज हो सकता है।

फिल्म में दो मुख्य किरदारों की कहानी के अलावा कई समानांतर कहानियाँ चलती हैं, जो आपस में गुँथी हुई है। हर कहानी अपने आप में मजेदार है। सारे किरदार ग्रे-शेड लिए हुए है। एक अजीब-सा पागलपन सबके सिर पर सवार है। वे कब क्या कर बैठे कहा नहीं जा सकता? पैसों के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनकी यह सनक फिल्म के थ्रिल को धार प्रदान करती है।

चूँकि फिल्म के सारे किरदार अपराधी हैं, इसलिए संवादों में जमकर अपशब्दों और गालियों का इस्तेमाल हुआ है। फिल्म के नाम में ‘साली’ शब्द पर आपत्ति लेने वाला सेंसर गालियों के मामले में उदार निकला।

अपशब्दों के कारण दर्शकों का एक वर्ग फिल्म से दूर रहना ही पसंद करेगा। यदि इतने अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं भी किया जाता तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता। अरुणोदय और अदिति के बीच कई किसिंग और बोल्ड दृश्य हैं।
फिल्म में कुछ बेहतरीन गीत हैं जिन्हें स्वानंद किरकिरे ने ‍िलखा है और निशात खान ने इनकी मधुर धुन बनाई हैं। संपादन और बैकग्राउंड म्यूजिक उल्लेखनीय है।

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सशक्त कलाकारों की इसमें भीड़ मौजूद है। इरफान खान के अभिनय में कई खोट नजर नहीं आती है। अरुणोदय सिंह तेजी से एक अच्छे अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनात रहे हैं। आकर्षक चित्रांगदा सिंह का अभिनय और स्क्रीन प्रजेंस जबरदस्त है। अदिति राव हैदरी, सौरभ शुक्ला, यशपाल शर्मा, सुशांत सिंह सहित सारे कलाकारों ने बेहतरीन एक्टिंग की है।

कुल मिलाकर ‘ये साली जिंदगी’ एक डार्क और मसाला मूवीज से अलग है। यदि लीक से हटकर कुछ देखना चाहते हैं तो ‘ये साली जिंदगी’ आपके लिए है।

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