राज के रूप में सुरिंदर अपने लुक के साथ-साथ अपनी भी शख्सियत बदल लेता है। खूब रोमांटिक बातें करता है और तानी भी धीरे-धीरे उसे चाहने लगती है। राज की असलियत जाने बिना तानी उसके साथ भागने के लिए तैयार हो जाती है। सुरिंदर चाहता है कि तानी उसे उसी रूप में पसंद करे, जैसा कि वह है न कि राज के रूप में उसे चाहे। घटनाक्रम कुछ ऐसे घटते हैं कि तानी सुरिंदर को पसंद करने लगती है। आमतौर पर कहानियाँ प्रेम से शुरू होकर शादी पर खत्म होती है, लेकिन आदित्य ने ऐसी कहानी चुनी है, जिसमें शादी के बाद प्रेम शुरू होता है। इस कहानी का सबसे मजबूत पक्ष सुरिंदर की वह जिद है कि तानी उसे उसी रूप में पसंद करे जैसा वो है। कमजोर पक्ष पर गौर किया जाए तो तानी का राज की ओर आकर्षित होना कुछ लोगों को पसंद न आए। तानी के हृदय परिवर्तन के लिए कुछ ठोस कारण होने चाहिए थे, जो फिल्म में नदारद हैं। आदित्य चोपड़ा ने अपनी कहानी को कुशल निर्देशक के रूप में परदे पर पेश किया है। प्रस्तुतीकरण के लिए उन्होंने पुरानी शैली अपनाई है, शायद इसीलिए उन्हें दो घंटे चालीस मिनट का वक्त लगा। कई छोटे-छोटे दृश्य उन्होंने बेहतरीन तरीके से गढ़े हैं, जैसे - शादी के बाद सुरिंदर दोस्तों को पार्टी देता है और उसमें तानी का आना। तानी को प्रभावित करने के लिए सुरिंदर का सूमो पहलवान से लड़ना। तानी का राज को मोटरबाइक पर पीछे बैठाकर अपने प्रतिद्धंद्वी को सबक सिखाना। राज और तानी के बीच गोलगप्पे खाने वाला दृश्य। इसके अलावा सुरिंदर और तानी के बीच कई दृश्य खूबसूरती के साथ पेश किए गए हैं। फिल्म सिर्फ तीन कलाकारों शाहरुख, अनुष्का और विनय पाठक के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन इसके बावजूद बोरियत पास नहीं फटकती। रोमांस, हास्य, खुशी, दर्द, हँसी का उन्होंने बेहतर संतुलन बनाया है, जिससे फिल्म मनोरंजक बन गई है। तानी का राज और सुरिंदर के बीच भेद न कर पाना अचरज भरा जरूर लग सकता है, लेकिन इसे स्वीकारे बिना आप फिल्म का आनंद नहीं ले सकते। फिल्म का क्लायमेक्स शानदार तरीके से फिल्माया गया है, जिसमें स्टेज पर डांस करते वक्त तानी को पता चलता है कि सुरिंदर और राज एक ही व्यक्ति है। शाहरुख खान ने दोहरी भूमिकाएँ निभाई हैं। एक राज की और दूसरी सुरिंदर की। सुरिंदर के सीधेपन और दिल की पवित्रता को उन्होंने बेहतरीन तरीके से पेश किया है। वहीं राज के रूप में दर्शकों को हँसाया। उम्र के निशान उनके चेहरे पर दिखने लगे हैं, लेकिन अभिनय में चपलता बाकी है। अनुष्का शर्मा ने पूरे आत्मविश्वास के साथ अभिनय किया है। पहली ही फिल्म में शाहरुख जैसे कलाकार के सामने खड़े होने में आपकी पोल खुल सकती है, लेकिन अनुष्का ने शाहरुख का डटकर मुकाबला किया। पंजाबी लड़कियों के सारे हाव-भाव उन्होंने अपने अभिनय में समाहित किए। शाहरुख के दोस्त के रूप में विनय पाठक जमे। वे जब-जब परदे पर आए, दर्शकों ने राहत महसूस की।
सलीम-सुलैमान का संगीत फिल्म देखते समय ज्यादा अच्छा लगता है। ‘हौले-हौले’ पहले ही लोकप्रिय हो चुका है। ‘डांस पे चांस’ जितना उम्दा लिखा गया है, उतना ही उम्दा फिल्माया गया है। ‘हम हैं राही प्यार के’ का फिल्मांकन भव्य है। इसमें पुराने नायकों को याद किया गया है और काजोल, बिपाशा, लारा, प्रिटी और रानी मुखर्जी जैसी नायिकाएँ कुछ देर के लिए दिखाई देती हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक में हारमोनियम का अच्छा उपयोग किया गया है। तकनीकी रूप से फिल्म सशक्त है। फिल्म की लंबाई कुछ लोगों को अखर सकती है।
कुल मिलाकर ‘रब ने बना दी जोड़ी’ मनोरंजन का उम्दा पैकेज है, जिसमें प्यार, हँसी, दर्द, संगीत, नृत्य और खुशी का उचित मात्रा में संतुलन है। सभी उम्र और वर्ग के दर्शकों को यह पसंद आ सकती है।
रेटिंग : 3.5/5
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