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लव सेक्स और धोखा : फिल्म समीक्षा

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बैनर : बालाजी टेलीफिल्म्स, एएलटी एंटरटेनमेंट, बालाजी मोशन पिक्चर्स
निर्माता : एकता कपूर, शोभा कपूर, प्रिया श्रीधरन
निर्देशक : दिबाकर बैनर्जी
संगीत : स्नेहा खानविलकर
कलाकार : अंशुमन झा, श्रुति, राजकुमार यादव, नेहा चौहान, आर्या देवदत्ता, अमित सियाल
ए सर्टिफिकेट * एक घंटा 43 मिनट
रेटिंग : 3/5

‘लव सेक्स और धोखा’ एक एक्सपरिमेंटल फिल्म है, जो कैमरे और टेक्नालॉजी की पर्सनल लाइफ में दखल को दिखाती है। हर आदमी के पास इन दिनों कैमरा है और जब चाहे वो इसका उपयोग/दुरुपयोग कर रहा है।

कैमरे की आँख हम पर लगातार नजर रखे हुए है। मीडिया इसके जरिये स्टिंग ऑपरेशन कर रहा है। लेकिन उसका उद्देश्य सच्चाई को समाने लाने की बजाय सनसनी फैलाना और प्राइम टाइम में मनोरंजन देना है।

अश्लील एमएमएस की इन दिनों डिमांड है क्योंकि दूसरों के निजी क्षणों को देखना बड़ा अच्छा लगता है। हर कोई रियलिटी देखना चाहता है। कई बार लोगों को पता ही नहीं चलता और ये वेबसाइट पर अपलोड कर दिए जाते हैं।

निर्देशक दिबाकर बैनर्जी ने अपनी फिल्म को तीन कहानियों में बाँटा है। पहली स्टोरी में लव दिखाया गया है। फिल्म इंस्टीट्यूट का स्टुडेंट डिप्लोमा फिल्म बनाते हुए हीरोइन से प्यार कर बैठता है।

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टीनएज में प्यार को लेकर तरह-तरह की कल्पनाएँ होती हैं। ‘डीडीएलजे’ जैसी फिल्मों का नशा दिमाग पर छाया रहता है। इस कहानी के किरदार भी राज और सिमरन की तरह व्यवहार करते हैं, लेकिन उनकी लव स्टोरी का ‘द एंड’ राज और सिमरन की तरह नहीं होता है क्योंकि रियलिटी और कल्पना में बहुत डिफरेंस है। तीनों कहानी में ये वीक है क्योंकि इसमें नाटकीयता कुछ ज्यादा हो गई है। इस स्टोरी को हाथ में कैमरा लेकर फिल्माया गया है।

दूसरी कहानी डिपार्टमेंटल स्टोर में लगे सिक्यूरिटी कैमरे की नजर से दिखाई गई है। इस कैमरे की मदद से वहाँ काम करने वाला आदर्श एक पोर्न क्लिप बनाना चाहता है। रश्मि नामक सेल्सगर्ल का वह पहले दिल जीतता है और फिर स्टोर में उसके साथ सेक्स कर वह क्लिप को महँगे दामों में बेच देता है। यहाँ बताने की कोशिश की गई है कि हर ऊँची दुकान या मॉल्स में आप पर कड़ी नजर सिक्यूरिटी के बहाने रखी जा रही है, लेकिन इसका दुरुपयोग भी हो सकता है।

तीसरी कहानी को स्पाय कैमरे के जरिये दिखाया गया है। एक डांसर को म्यूजिक वीडियो में मौका देने के बहाने एक प्रसिद्ध पॉप सिंगर उसका शारीरिक शोषण करता है। डांसर की मुलाकात एक जर्नलिस्ट से होती है, जिसकी मदद से वे सिंगर का स्टिंग ऑपरेशन करते हैं।

यहाँ मीडिया को आड़े हाथों लिया गया है, जो इस फुटेज के जरिये सच्चाई को सामने लाने के बजाय अपनी टीआरपी को ध्यान रखता है। वे इस कहानी को सीरियल की तरह खींचकर पैसा बनाना चाहते हैं।

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तीनों कहानियों को बेहतरीन तरीके से जोड़ा गया है और आपको अलर्ट रहना पड़ता है कि कौन-सा कैरेक्टर किस स्टोरी का है और इस स्टोरी में कैसे आ गया है।

फिल्म के सारे कलाकार अपरिचित हैं, लेकिन उनकी एक्टिंग सराहनीय है। कभी नहीं लगता कि वे एक्टिंग कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि वे हमारे आसपास मौजूद हैं और हम कैमरे के माध्यम से उन पर नजर रखे हुए हैं।

डायरेक्टर दिबाकर बैनर्जी की पकड़ पूरी फिल्म पर है। एक्सपरिमेंटल और रियलिटी के करीब होने के बावजूद फिल्म इंट्रस्टिंग लगती है। अपने एक्टर्स से उन्होंने बखूबी काम लिया। सिनेमाटोग्राफर निकोस ने कैमरे को एक कैरेक्टर की तरह यूज़ किया है। नम्रता राव की एडिटिंग तारीफ के काबिल है।

‘लव सेक्स और धोखा’ उन लोगों के लिए नहीं है जो टिपिकल मसाला फिल्म देखना पसंद करते हैं। आप कुछ डिफरेंट की तलाश में हैं तो इसे देखा जा सकता है।

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