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वी आर फैमिली : फिल्म समीक्षा

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हमें फॉलो करें वी आर फैमिली

समय ताम्रकर

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निर्माता : हीरू यश जौहर, करण जौहर
निर्देशक : सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा
संगीत : शंकर-अहसान-लॉय
कलाकार : काजोल, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल, आँचल मुंजाल, दिव्या सोनेचा
सेंसर सर्टिफिकेट : यू * 1 घंटा 59 मिनट
रेटिंग : 2.5/5

बहुत पहले एक्शन और रोमांटिक फिल्मों के साथ-साथ एक ऐसा दर्शक वर्ग भी होता था जो फैमिली ड्रामा पसंद करता था। फिल्म निर्देशक ऐसे सीन गढ़ते थे कि थिएटर में सिसकने की आवाज आती थी।

इस समय फिल्म देखने वालों में युवा वर्ग का प्रतिशत बहुत ज्यादा है, जो इस तरह की ड्रामेबाजी पसंद नहीं करता। फैमिली ड्रामा पसंद करने वालों को टीवी पर ही बहुत मसाला मिल रहा है। इसलिए फैमिली फिल्में बनना लगभग बंद हो गई हैं। अरसे बाद करण जौहर ‘वी आर फैमिली’ लेकर आए हैं। यह हॉलीवुड फिल्म ‘स्टेपमॉम’ पर आधारित है और इजाजत लेकर, दाम चुकाकर यह फिल्म बनाई गई है।

अमन (अर्जुन रामपाल) और माया (काजोल) के तीन बच्चे हैं और दोनों में तलाक हो चुका है। बच्चे माया के साथ रहते हैं, जो कि परफेक्ट मॉम है। श्रेया (करीना कपूर) अब अमन की जिंदगी में आ चुकी है। श्रेया को अमन अपने बच्चों से मिलवाने ले जाता है, जो उसे नापसंद करते हैं। वे इस बात से नाराज हैं कि उनके डैड उससे शादी कर लेंगे। श्रेया को माया भी खास तवज्जो नहीं देती है।

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एक दिन माया को पता चलता है कि उसे घातक बीमारी है। वह ज्यादा दिन की मेहमान नहीं है। बच्चों को माँ की जरूरत है। वह चाहती है कि श्रेया उसकी जगह ले, लेकिन श्रेया को अपने करियर से प्यार है। आखिर श्रेया तैयार होती है और किस तरह से वह बच्चों के दिल में जगह बनाती है यह फिल्म का सार है।

फिल्म की कहानी कुछ इस तरह की है कि आगे क्या होने वाला है इसका अंदाजा आप आसानी से लगा सकते हैं। खास बात यह है कि इमोशन्स डालते हुए दृश्यों की विश्वसनीयता को कायम रखा जाए। इसमें कुछ हद तक निर्देशक सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा और लेखक सफल रहे हैं।

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फिल्म की गति को तेज रखते हुए गैरजरूरी आँसू बहाऊ दृश्यों से परहेज रखा गया है, लेकिन क्लाइमैक्स में उनके सब्र का बाँध टूट गया और यह कुछ ज्यादा ही फिल्मी हो गया। श्रेया और माया की टकराहट, श्रेया का बच्चों के दिल में जगह बनाने वाले दृश्य कमजोर हैं, अगर ये सशक्त होते तो फिल्म का प्रभाव बढ़ जाता।

सिद्धार्थ की निर्देशक के रूप में यह पहली फिल्म है और उनका प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कुछ ऐसे दृश्य फिल्माए हैं जो भावुक दर्शकों की आँखें गीली कर देंगे। कहानी में कई ट्रेक्स (दो महिलाओं के बीच फँसा पुरुष, पिता की जिंदगी में दूसरी औरत का आना और इसका बच्चों पर प्रभाव) हैं, जिनका दोहन वे नहीं कर पाए।

फिल्म के निर्माता करण जौहर हैं, इसलिए इसे विदेश में फिल्माया गया। भारत में भी बना लेते तो कोई फर्क नहीं पड़ता। फिल्म का प्रस्तुतिकरण भी एनआरआई दर्शकों को ध्यान में रख कर किया गया है।

एक्टिंग इस फिल्म का पॉजिटिव पाइंट है। केवल काजोल की एक्टिंग के लिए ही यह फिल्म देखी जा सकती है क्योंकि कई दृश्यों में उन्होंने जान फूँक दी है।

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करीना कपूर के साहस की तारीफ की जानी चाहिए कि वे काजोल के सामने अभिनय करने के लिए तैयार हुईं और उन्होंने एक ऐसा किरदार स्वीकारा जिससे आधी से ज्यादा फिल्म में दर्शक नफरत करते हैं। करीना का अभिनय भी प्रशंसनीय है, लेकिन उनका कैरेक्टर कुछ इस तरह से लिखा गया है कि उसमें तीखापन नहीं है। अर्जुन रामपाल के पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था। तीनों बच्चों का अभिनय भी उम्दा है।

शंकर-अहसान-लॉय द्वारा संगीतबद्ध दो गीत (आँखों में नींदे, रहम ओ करम) मधुर है, जबकि दिल खोल के लेट्स रॉक का फिल्मांकन उम्दा है। बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म के मूड के अनुरूप है।

यदि आप साफ-सुथरी और पारिवारिक फिल्में पसंद करते हैं तो ‘वी आर फैमिली’ देख सकते हैं।

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