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शुद्ध देसी रोमांस : फिल्म समीक्षा

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बदलते परिवेश में युवाओं की सोच रिश्ते, प्यार, शादी को लेकर बदली है और इसी बदलाव को यशराज फिल्म्स की ताज़ा फिल्म 'शुद्ध देसी रोमांस' में दिखाया गया है।

फिल्म के किरदार गहरे कन्फ्यूजन में फंसे हैं और इसी कन्फ्यूजन में शुद्ध देसी रोमांस की लव स्टोरी अलग मोड़ पर आती है।

कहानी तीन किरदारों रघु (सुशांत सिंह राजपूत), गायत्री (परिणीती चोपड़ा) और तारा (वाणी कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है। रघु टूरिस्ट गाइड है और यहां आने वाले हर मेहमान को वह अपने शहर के इतिहास और खूबसूरती के बारे में बताता है। मैरिज ब्यूरो चलाने वाले रघु के ताऊ (ऋषि कपूर) रघु से इसलिए परेशान हैं क्योंकि वह अपनी बात पर कायम नहीं रह पाता।

गायत्री अपने युग से आगे जीती है और उसकी जिंदगी में बेबाकी इस तरह है कि लोग उसे ज्यादा ही बोल्ड मानते हैं। रघु और गायत्री की मुलाकात के बाद ही उनकी प्रेम कहानी शुरू हो जाती है संकोची रघु और गायत्री दोनों एक साथ रहते-रहते शादी का फैसला भी कर लेते हैं, लेकिन गायत्री इस बारे में कोई ठोस फैसला नहीं ले पाती। ठीक शादी के दिन कुछ ऐसा होता है कि दोनों एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं।

इसके बाद रघु और तारा एपिसोड चलता है और ताऊ की सलाह पर रघु तारा से शादी करने को तैयार है, लेकिन वह उसे प्रपोज़ करने के लिए सही मौके का इंतजार करता है, लेकिन कहानी में पेंच यह है कि एक बार फिर गायत्री उसके सामने आ जाती है। रघु, गायत्री और तारा मिलते हैं और यहीं से कहानी अलग रूप ले लेती है। अब रघु ‍किसका? यह क्लाइमैक्स है।

निर्देशक मनीष शर्मा ने शुद्ध देसी रोमांस को शुरू से पकड़ के रखा और किरदारों को कहानी की लाइन से भटकने नहीं दिया। किरदारों का कन्फ्यूज़न उन्होंने पर्दे पर बखूबी दिखाया लेकिन फिल्म के अंत उनकी पकड़ कमजोर नजर आई। मनीष की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने सीन, लोकेशन और यहां तक की किरदारों के कपड़ों से भी इस रोमांस को देसी टच दिया है।

सुशांत ने संकोची युवा के किरदार को अच्छी तरह जिया है। किसिंग सीन्स में वे ज़रूर थोड़े असहज लगते हैं। परिणीती न केवल फिल्म में अपने कैरेक्टर में पूरी तरह डूब गई हैं, बल्कि उनकी छोटी छोटी हरकतें मुंह बनाना, कंधे उचकाना भी उनके किरदार में जान डालते हैं। बॉलीवुड को परिणीती के रूप में एक और प्रतिभावान अदाकारा मिल गई है। वाणी कपूर ने काफी प्रभावित किया है। ऋषि कपूर ने अपने काम को ठीक तरह से अंजाम दिया है। फिल्म का संगीत ठीकठाक है। बस, कुछ किसिंग सीन्स ठूंसे हुए लगते है।

कुल मिलाकर शुद्ध देसी रोमांस को आज के युवाओं की बदल ती सोच और कोई एक निर्णय पर नहीं पहुंचने के उनके कन्फ्यूज़न और देसी आधुनिक सोच मिश्रण को समझने के लिए देखा जाना चाहिए।
रेटिंग : 2 /5

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