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हिम्मतवाला- साजिद खान का असफल प्रयास

मूवी रिव्यू

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हमें फॉलो करें हिम्मतवाला

समय ताम्रकर

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साजिद खान कई बार स्वीकार चुके हैं कि उन पर सत्तर और अस्सी के दशक में बनने वाली मसाला फिल्मों का बेहद प्रभाव है। अक्सर उनकी फिल्मों के कुछ दृश्यों में हम देखते भी हैं कि वे उस दौर को खींच कर ले आते हैं। इस वक्त रिमेक फिल्मों का दौर चल रहा है तो साजिद अपने आपको उस दौर की सुपरहिट फिल्म ‘हिम्मतवाला’ (1983) के रीमेक बनाने से अपने आपको रोक नहीं पाए।

सत्तर और अस्सी के दशक में कई बेहतरीन मसाला फिल्म बनी हैं, लेकिन पता नहीं क्यों साजिद ने जीतेन्द्र-श्रीदेवी अभिनीत एक मामूली मसाला फिल्म हिम्मतवाला को चुना। इस फिल्म की कहानी बड़ी ही साधारण है, लेकिन नए तरह के गानों के फिल्मांकन, लाउड ड्रामेटिक दृश्य, कादर खान के अटपटे और द्विअर्थी संवादों तथा उनके अभिनय शैली के कारण फिल्म चल निकली थी। इस फिल्म की कमाई जीतेन्द्र, श्रीदेवी और कादर खान बरसों तक खाते रहे क्योंकि इस शैली की ढेर सारी फिल्में उन्होंने की।

बात की जाए साजिद खान की हिम्मतवाला की, तो उन्होंने अपनी तरफ से ज्यादा नया करने की कोशिश नहीं की है और मूल फिल्म के भाव को जस का तस रखा है। जो नए ट्विस्ट उन्होंने डाले हैं वो इतने प्रभावी नहीं हैं।

1983 का समय दिखाया गया है जब भारत ने क्रिकेट में अपना पहला विश्वकप जीता था। फिल्म का विलेन शेरसिंह भरी दोपहर में फाइनल मैच की वो आखिरी गेंद सुनते हुए दिखाया गया है जब मोहिंदर अमरनाथ ने माइकल होल्डिंग को एलबीडबल्यू कर भारत को विश्व कप जिताया था। निर्देशक ये बात भूल गए कि ये मैंच इंग्लैंड में खेला गया था और उस समय भारत में रात हो गई थी।

साजिद बार-बार ये ‍याद दिलाने की कोशिश करते रहे कि फिल्म में दिखाया गया समय 30 वर्ष पुराना है और हीरो हिम्मतवाला है। वह बैलगाड़ी भी उठा लेता है और शेर को भी चित्त कर देता है, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गुंडों की क्या हालत होती होगी।

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फिल्म की हीरोइन विलेन की बेटी है और नकचढ़ी है। आई हेट गरीब कहती हुई वो गरीबों पर हंटर बरसाती है, लेकिन हीरो जब उसकी जान बचाता है तो उससे प्यार कर बैठती है। एक मां और बहन है, जिन पर विलेन शेरसिंह खूब जुल्म ढाता है ताकि हीरो को बदला लेने का मौका मिले।

बहन का रोल इसलिए है कि गुंडे उसकी इज्जत लूटने की कोशिश करे और हीरो को एक फाइट सीन का मौका मिले। मां इसलिए है कि वह अपने बेटे को ड्रामेटिक अंदाज में कहे कि वह अपने पिता के हत्यारे को तड़पा-तड़पा कर मारे।

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बेशक ये हिट फिल्मों के मसाले हैं, लेकिन अब असरकारी नहीं रहे हैं। साथ ही साजिद का प्रस्तुतिकरण भी उतना दमदार नहीं है जिसके लिए वे जाने जाते हैं। साजिद ने कमजोर कहानी को ढेर सारे आइटम्स जैसे शेर से हीरो की लड़ाई, स्ट्रीट फाइटिंग, आइटम सांग्स, रोमांस, कॉमेडी, डबल मीनिंग डायलॉग्स से कवर करने की कोशिश की, लेकिन उनकी ये भेलपुरी स्वादिष्ट नहीं बन पाई। बेशक मसाला फिल्में मनोरंजन करती हैं, लेकिन मसालों की मात्रा सही अनुपात में होनी चाहिए। ‘हिम्मतवाला’ (2013) तभी थोड़ा मनोरंजन करती है जब परेश रावल और महेश मांजरेकर स्क्रीन पर नजर आते हैं, इनके अलावा अन्य दृश्य बहुत ही साधारण और घिसे-पिटे हैं।

अजय देवगन पूरी तरह फॉर्म में नजर नहीं आए और उनके अभिनय में वो ऊर्जा नहीं दिखाई दी जिसके लिए वे जाने जाते हैं। डांस करते हुए वे बड़े असहज दिखाई दिए। तमन्ना को ज्यादा स्कोप नहीं‍ मिला और वे बिलकुल प्रभावित नहीं करती हैं।

महेश मांजरेकर और परेश रावल फिल्म की जान हैं। कादर खान वाला रोल परेश रावल ने निभाया है और उन्होंने एक कुटिल इंसान की भूमिका बेहतरीन तरीके से निभाई है। उन्होंने ढेर सारे कादर खान नुमा संवाद भी बोले हैं। महेश मांजरेकर विलेन कम और कॉमेडियन ज्यादा नजर आए और उन्होंने अपनी भूमिका बेहतरीन तरीके से निभाई है। अध्ययन सुमन को एक्टिंग क्लास में प्रवेश लेना चाहिए।

साजिद-फरहाद ने ‘आप दूरदर्शन हैं तो मैं छाया गीत हूं’, आप गटर तो मैं गटर का पानी हूं’, ‘गरीब के सिर पर इज्जत की पगड़ी और पैर में मेहनत की चप्पल होती है’, ‘केरल के करेला से बरेली की बर्फी बन रहा है’ जैसे संवाद लिखे हैं, जो आम आदमी को पसंद आएंगे।

जहां तक संगीत की बात है तो मूल फिल्म से ‘नैनों में सपना’ और ‘ताकी-ताकी’ ही कुछ बदलाव के साथ रखे गए हैं और यही गीत अच्छे लगते हैं। ‘नैनों में सपना’ का फिल्मांकन उस दौर की याद दिला देत हैं जब हीरो-हीरोइन के आसपास ढेर सारे डांसर्स के अलावा मटकियां, दुपट्टे और चूड़ियां नजर आती थीं। सोनाक्षी का आइटम सांग एकदम ठंडा है और यही हाल अन्य गीतों का है।

80 के दौर में इस तरह के मसाले चल जाते थे, लेकिन आज के दर्शक इस तरह की फिल्मों के आदी नहीं हैं। इससे तो बेहतर ये है कि साजिद खान की हिम्मतवाला की बजाय यू ट्यूब पर जीतेन्द्र-श्रीदेवी की ओरिजनल ‘हिम्मतवाला’ देखी जाए।

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बैनर : यूटीवी मोशन पिक्चर्स, पूजा एंटरटेनमेंट इंडिया लि.
निर्माता : वासु भगनानी, सिद्धार्थ रॉय कपूर
निर्देशक : साजिद खान
संगीत : साजिद-वाजिद
कलाकार : अजय देवगन, तमन्ना भाटिया, परेश रावल, महेश मांजरेकर, जरीना वहाब, अध्ययन सुमन, असरानी, सोनाक्षी सिन्हा (आइटम नंबर)
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 30 मिनट 21 सेकंड
रेटिंग : 2/5
1-बेकार, 2-औसत, 2.5-टाइमपास, 3-अच्छी, 4-बहुत अच्छी, 5-अद्भुत

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