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हॉन्टेड (3 डी) : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

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बैनर : डार मोशन पिक्चर्स, बीवीजी फिल्म्स
निर्माता : विक्रम भट्ट, अरुण रंगाचारी
निर्देशक : विक्रम भट्ट
संगीत : चिरंतन भट्ट
कलाकार : महाक्षय चक्रवर्ती, टिया बाजपेयी, अंचित कौर, आरिफ जकारिया
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 2 घंटे 25 मिनट
रेटिंग : 2/5

हॉरर फिल्म को यदि थ्री-डी तकनीक का सहारा मिल जाए तो डर पैदा करने वाले दृश्यों का असर और गहरा हो जाता है। ‘हॉन्टेड’ देखते समय यह बात महसूस होती है, लेकिन डरना तब और अच्छा लगता है जब कहानी और स्क्रीनप्ले में दम हो।

हॉरर फिल्मों की कहानी वैसे भी काल्पनिक होती हैं। भूत-प्रेत और आत्मा पर सभी भरोसा नहीं करते हैं। लेकिन कल्पना में दम हो तो यकीन ना होने के बावजूद मजा आता है।

फिर निर्देशक का काम ही है कि परदे पर दिखाई जा रही कहानी पर दर्शकों को वह विश्वास करने पर मजबूर कर दे या फिर खूब मनोरंजन करे और ‘हॉन्टेड’ यही कमजोर पड़ जाती है। कहानी ऐसी है की सैकड़ों प्रश्न किए जा सकते हैं, जिनके जवाब फिल्म खत्म होने पर भी नहीं मिलते।

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विक्रम भट्ट ने अपनी ही पुरानी हॉरर फिल्मों को मिला-जुला कर ‘हॉन्टेड’ बना दी है। कई दृश्य उनकी पुरानी फिल्मों की याद दिलाते हैं। अक्षय कुमार की एक्शन रिप्ले की भी याद आती है, जिसमें आदित्य राय कपूर अपने माँ-बाप की अरेंज मैरिज को लव मैरिज में बदलने के लिए वर्तमान से अतीत में चले जाते हैं।

‘हांटेड’ का हीरो अस्सी बरस से कैद एक लड़की की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए सन 1936 में चला जाता है। वर्तमान वर्ष से 1936 में जाना 75 वर्ष पहले का समय होता है, लेकिन फिल्म में 80 वर्ष का समय बताया जाता है।

हीरो न केवल उस दौर में चला जाता है बल्कि वह उस घटना को भी रोकने में कामयाब हो जाता है जिसकी वजह से उस लड़की की मौत हो जाती है। प्लाट अच्छा था, लेकिन कहानी में ये पड़ाव इंटरवल के बाद आता है। इंटरवल तक विक्रम ने बेवजह फिल्म को खींचा। फिल्म की कहानी ठहरी हुई लगती है और कई उबाऊ दृश्य झेलने पड़ते हैं।

एक निर्देशक के रूप में विक्रम भट्ट प्रभावित नहीं कर पाए और उनकी फिल्म पर पकड़ नहीं दिखती है। अपनी बात कहने में उन्होंने बहुत ज्यादा समय लिया और क्लाइमैक्स को भी लंबा खींचा। फिल्म को वे रोचक नहीं बना पाए और फिल्म कई जगह झोल खाती है। थ्री-डी में होना इस फिल्म का खास आकर्षण है। कुछ हॉरर सीन थ्री-डी में देखना रोंगटे खड़े कर देता है।

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पहली फिल्म ‘जिमी’ की तुलना में महाक्षय के अभिनय में सुधर गया है। टिया बाजपेयी फिल्म का माइनस पाइंट हैं। न उनके पास हीरोइन मटेरियल है और न ही एक्टिंग करना उन्हें आती है। आरिफ जकारिया, मोहन कपूर और अचिंत कौर ने अपना-अपना काम ठीक से किया है।

फिल्म में गानों को अधूरे मन से रखा गया है। संपादन भी ढीला है। कई दृश्य काटे जा सकते थे। ‘हॉन्टेड’ में कुछ दृश्य ऐसे हैं‍ जिन्हें देख डर लगता है, लेकिन इन दृश्यों के बीच बोरिंग लम्हों की संख्या बहुत ज्यादा है।

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