Shree Sundarkand

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

2012 : पृथ्वी की एक्सपायरी डेट

Advertiesment
हमें फॉलो करें 2012

समय ताम्रकर

PR
निर्माता : हेराल्ड क्लोसर
निर्देशक : रोलैंड एमरिच
कलाकार : जॉन क्यूसैक, अमांडा पीट, डैनी ग्लोवर, वूडी हैरलसन
दो घंटे 38 मिनट
रेटिंग : 3/5

ये बात सभी लोग मानते हैं कि दुनिया एक दिन खत्म हो जाएगी। हालाँकि इसके पीछे ठोस कारण कोई नहीं दे पाया है। कब खत्म होगी? इसके बारे में कई बार तारीखें घोषित की गई, जिनमें से कुछ गुजर भी गईं।

माया सभ्यता के कैलेंडर ने पृथ्वी की एक्सपायरी डेट दिसंबर 2012 घोषित की है, जिसको आधार बनाकर ‘2012’ का निर्माण किया है। इसमें कुछ वैज्ञानिक तथ्यों का भी इस्तेमाल किया गया है और चार्ल्स हैपगुड की 1958 में प्रस्तुत की गई अर्थ क्रस्ट डिस्प्लेसमेंट थ्योरी का हवाला भी दिया गया है।

खैर, दुनिया जब खत्म होगी तब होगी, लेकिन किस तरह से होगी इसकी कल्पना ‘2012’ में की गई है। तबाही का जो खौफनाक मंजर पेश किया है वो दिल दहला देता है।

सूर्य की गर्मी लगातार बढ़ती है, जिससे पृथ्वी पर हलचल बढ़ने लगती है। इस बात को सबसे पहले एक भारतीय महसूस करता है और उसका अनुमान है कि पृथ्वी का अंत निकट है। वह ये बात अपने अमेरिकी दोस्त को बताता है और बात अमेरिकी राष्ट्रपति तक पहुँच जाती है। राष्ट्रपति अन्य देशों के प्रमुखों को इस भयावह स्थिति के बारे में बताते हैं और आम लोगों से इस बात को छिपाया जाता है ताकि अफरा-तफरी का माहौल न बने।

webdunia
PR
मानव जाति को बचाने के लिए एक सीक्रेट शिप का निर्माण शुरू किया जाता है ताकि दुनिया भर के चुनिंदा लोग इस महाप्रलय से बच सके। दुनिया भर से पैसा जुटाया जाता है और कुछ अमीर लोग इस शिप में बैठने के लिए 600 करोड़ रुपए प्रति व्यक्ति किराया चुकाते हैं। यह बात कुछ आम लोगों को भी पता चल जाती है और वे भी इस शिप में बैठने की कोशिश करते हैं।

एक तरफ दुनिया खत्म हो रही है तो दूसरी ओर ऐसे समय भी कुछ लोग राजनीति से बाज नहीं आते हैं। एक बिखरता हुआ परिवार त्रासदी की इस घड़ी में एकजुट हो इस विनाश में प्यार और विश्वास पाता है। सीक्रेट शिप के जरिये बचे हुए लोग इस महाप्रलय का सामना करते हुए विजयी होते हैं।

फिल्म में कई किरदार हैं जिनके जरिये प्यार, नफरत, विश्वास, अविश्वास जैसे मानवीय स्वभावों को दिखाया गया है। किस तरह मुसीबत में अपने याद आते हैं। ऐसे समय कोई अपने बारे में ही सोचता है तो कोई मनुष्य जाति के बारे में विचार करता है। एक रेडियो जॉकी का किरदार मजेदार है, जिसे अपने श्रोताओं को सबसे पहले खबर देने की सनक है और वह ज्वालामुखी के बीच खड़ा होकर अपना काम करता है।

फिल्म में ड्रामे की बजाय स्पेशल इफेक्ट्स पर जोर दिया है। शुरू के 15 मिनट बाद विनाश को जो सिलसिला शुरू होता है तो अंत तक चलता है। ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी के जो दृश्य दिखाए गए हैं वे अद्‍भुत हैं।

जमीन फट जाती है और उसमें शहर समा जाते हैं। पानी में कई शहर डूब जाते हैं। इन सबके बीच विमान में बैठा एक परिवार किस तरह बचता है ये उम्दा तरीके से पेश किया गया है।

स्पेशल इफेक्ट्स सुपरवाइज़र माइक वज़ीना नि:संदेह इस फिल्म के हीरो हैं। इतनी सफाई से उन्होंने अपने काम को किया है कि कुछ भी बनावटी या नकली नहीं लगता।

webdunia
PR
‘इंडिपेडेंस डे’ और ‘द डे ऑफ्टर टूमारो’ जैसी फिल्म बनाने वाले रोलैंड एमरिच कल्पनाशील और लार्जर देन लाइफ फिल्म बनाने में माहिर हैं। एक बार फिर उन्होंने उम्दा काम किया है, हालाँकि वे अपनी पिछले काम के नजदीक नहीं पहुँच पाए हैं। फिल्म का अंत थोड़ा लंबा हो गया है। कुछ दृश्य को रखने का मोह यदि रोलैंड छोड़ देते तो फिल्म में कसावट आ जाती। फिल्म को भव्य बनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है।

जॉन क्यूसैक, अमांडा पीट, डैनी ग्लोवर सहित सारे कलाकारों का अभिनय उम्दा है।

आप दुनिया खत्म होने की बात पर विश्वास करें या न करें, लेकिन यह फिल्म आपको कल्पना की ऐसी दुनिया में ले जाती है, जहाँ आप सब कुछ भूल जाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi