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बागी : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

रामायण और महाभारत से प्रेरित होकर बॉलीवुड में अनेक फिल्मों का निर्माण हुआ है। साजिद नाडियाडवाला द्वारा निर्मित और साबिर खान निर्देशित फिल्म 'बागी' रामायण से प्रेरित है। फिल्म का नायक रोनी (टाइगर श्रॉफ) राम जैसा है और राघव (सुधीर बाबू) रावण जैसा। सिया (श्रद्धा कपूर) का राघव अपहरण कर लेता है और रोनी बैंकॉक में उसकी लंका को तहस-नहस कर सिया को वापस ले आता है। 
 
साबिर खान ने टिपिकल बॉलीवुड मसाला फिल्म बनाई है जो उस आम दर्शक के लिए है जो बॉलीवुड फिल्मों में रोमांस, गाने और एक्शन फिल्म देखने के लिए टिकट खरीदता है। इस दर्शक को अपनी पसंद के अनुरूप फिल्म लंबे समय से नहीं मिल रही थी और इस कमी को 'बागी' दूर करती है। 
 
रोनी अनुशासनहीन लड़का है। उसके पिता दक्षिण भारत स्थित एक शहर में उसे मार्शल आर्ट सीखने के लिए भेजते हैं। यात्रा के दौरान रोनी की मुलाकात सिया से होती है और वह उसे दिल दे बैठता है। मार्शल आर्ट की कठिन ट्रेनिंग रोनी में बदलाव लाती है। यहां उसकी मुलाकात मार्शल आर्ट के चैम्पियन राघव से होती है। राघव भी सिया को चाहता है। 
 
रोनी और सिया के बीच गलतफहलमी पैदा कर उन्हें दूर किया जाता है। कुछ वर्षों बाद रोनी को पता चलता है कि राघव ने सिया का अपहरण कर लिया है और उसे अपने साथ बैंकॉक ले गया है। सिया को बचाने का जिम्मा रोनी को दिया जाता है। वह अकेला ही शक्तिशाली राघव को सबक सीखा देता है। 
 
कहानी पढ़कर आप जान ही गए होंकि कि इसमें बिलकुल भी नयापन नहीं है और सारा दारोमदार प्रस्तुतिकरण पर टिक जाता है। निर्देशक साबिर खान ने इस पुरानी कहानी को नई सजावट के साथ पेश किया है। मार्शल आर्ट के स्टंट, ताजगी भरा रोमांस और कुछ बढ़िया हास्य दृश्यों के सहारे उन्होंने दर्शकों को बांध कर रखा है। फिल्म को उन्होंने बेहद तेज गति के साथ दौड़ाकर दर्शकों को ज्यादा सोचने का समय नहीं दिया है। 
इंटरवल तक फिल्म बांध कर रखती है। इस दौरान रोनी और सिया के रोमांटिक सीन तथा रोनी के ट्रेनिंग वाले दृश्य अच्छे लगते हैं। इंटरवल के बाद फिल्म अपनी लय खो बैठती है, लेकिन क्लाइमैक्स के दौरान फिर गति पकड़ लेती है। दरअसल इंटरवल के बाद साबिर ने सारी बागडोर एक्शन डायरेक्टर को सौंप दी है। राघव की दस मंजिला इमारत में पहुंचने के लिए रोनी को हर मंजिल पर तरह-तरह के दुश्मनों से निपटना पड़ता है और यह लंबा क्लाइमैक्स एक्शन फिल्म देखने वालों को रोमांचित कर देता है। 
 
टाइगर श्रॉफ और श्रद्धा कपूर के प्लस पाइंट्स पर निर्देशक साबिर ने अपना दांव खेला है। टाइगर श्रॉफ स्टंट में माहिर हैं इसलिए उनकी यह खासियत दिखाने के लिए फिल्म में स्टंट्स पर विशेष जोर दिया गया है। मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग वाला ट्रेक और विलेन का भी मार्शल आर्ट में माहिर होने वाला ट्रेक फिल्म को बेहतर बनाता है। श्रद्धा कपूर की मासूमियत और चुलबुलेपन को भी साबिर ने बखूबी उभारा है।
 
स्क्रीनप्ले की कुछ कमियां भी उभर कर आती हैं। जैसे एक छोटे बच्चे के ऑपरेशन के लिए रोनी को पैसे की जरूरत होती है और यह ट्रेक अधूरा ही छोड़ दिया गया है। उस बच्चे की जिम्मेदारी रोनी क्यों उठाता है? इसका जवाब नहीं मिलता। रोनी और सिया के ब्रेक-अप के लिए परिस्थितियों को ठीक से पैदा नहीं किया गया है। बैंकॉक में इतनी सारी हत्याएं कर रोनी का बच निकलना हजम नहीं होता? 
इन कमियों को मनोरंजन और एक्शन का डोज़ ढंक लेता है। 
 
टाइगर श्रॉफ ने एक्टिंग कम और हाथ-पैर ज्यादा चलाए हैं और क्या खूब चलाए हैं। उनके कई फाइट सीन जबरदस्त हैं। इमोशनल और रोमांटिक सीन में भी वे बेहतर हुए हैं और 'बागी' के बाद उनके फैंस की संख्या में बड़ा इजाफा होगा। श्रद्धा कपूर की भूमिका उनकी पिछली कुछ फिल्मों जैसी ही है, लेकिन इस एक्शन मूवी में वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है। खलनायक के रूप में सुधीर बाबू हीरो को जमकर टक्कर देते हैं। सुनील ग्रोवर के हास्य दृश्य उम्दा बन पड़े हैं, लेकिन संजय मिश्रा ने अपने हास्य दृश्यों में जमकर बोर किया है। 
 
बागी टिपिकल बॉलीवुड मसाला फिल्म है। एक्शन जिसका प्लस पाइंट है और साथ में यह मनोरंजक भी है। 
 
बैनर : नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट, यूटीवी मोशन पिक्चर्स
निर्माता : साजिद नाडियाडवाला, सिद्धार्थ रॉय कपूर
निर्देशक : साबिर खान 
संगीत : मीत ब्रदर्स, अमाल मलिक, अंकित तिवारी
कलाकार : टाइगर श्रॉफ, श्रद्धा कपूर, सुधीर बाबू
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 19 मिनट 28 सेकंड 
रेटिंग : 3/5
 

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