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बाहुबली- द बिगिनिंग : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें बाहुबली- द बिगिनिंग : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

बात जब भव्य फिल्मों की आती है तो कहानी अतीत में जाती है या भविष्य में। निदेँशक एसएस राजमौली की फिल्म 'बाहुबली -  द बिगिनिंग' अतीत में ले जाती है। किस दौर की कहानी है, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन तीर कमान से लड़ते योद्धा के जरिये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। 
 
लेखक वी. विजयेन्द्र प्रसाद ने एक नया किरदार बाहुबली गढ़ा है जिसमें सैकड़ों हाथियों जितनी शक्ति है। जिस विशालकाय सोने की मूर्ति को सैकड़ों मजदूर उठा नहीं सकते, वह अपनी दो भुजाओं के बल पर उठा लेता है। कहानी रामायण और महाभारत से प्रेरित है। रामायण में सीता का रावण अपहरण कर लेता है, यहां पर शिवा (प्रभास) की मां दुश्मनों के कैद में हैं। महाभारत में सिंहासन को लेकर भाइयों में जंग छिड़ी थी, यहां बाहुबली (प्रभास, डबल रोल) और उसके ताऊ के लड़के भल्लाला देवा (राणा दग्गुबाती) में महीषमति के राजा बनने को लेकर होड़ है। 
रामायण और महाभारत के प्रसंगों को लेकर एक नई कहानी बनाई गई है जिसमें आगे क्या होने वाला है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है और यह समस्या इस तरह की फिल्मों के साथ अक्सर होती है। भव्यता पर तो ध्यान दिया जाता है, लेकिन कहानी में नयापन नहीं होता। 
 
फिल्म का पहला हिस्सा शिवा को महानायक दिखाने में खर्च किया गया है। उसकी ताकत और पराक्रम के दृश्य गढ़ कर दर्शकों में रोमांच पैदा किया गया है। इसमें शिवलिंग उखाड़ कर दूसरी जगह स्थापित करने वाला सीन कमाल का है। इस हिस्से में अवंतिका (तमन्ना भाटिया) और शिवा में रोमांस भी दिखाया गया है, लेकिन यह रोमांस अपील नहीं करता। 
 
अवंतिका की अपनी कहानी है जो देवसेना (अनुष्का शेट्टी) को भल्लाला की कैद से आजाद कराना चाहती है। अवंतिका के लक्ष्य को शिवा अपना लक्ष्य बना लेता है और महीषमति पहुंच जाता है। वहां उसे बाहुबलि कह कर पुकारा जाता है और लोग उसके सामने झुकने लगते हैं, यह देख उसे आश्चर्य होता है। तब उसे अपने अतीत से जुड़े कुछ रहस्य पता चलते हैं। उसे मालूम होता है कि वह बाहुबलि का बेटा है। 
बाहुबलि की मौत क्यों हुई इसके लिए 'बाहुबलि' के दूसरे भाग का इंतजार करना होगा जो अगले वर्ष रिलीज होगी। फिल्म का अंत ऐसे मोड़ पर किया गया है ताकि दूसरे भाग को लेकर उत्सुकता बनी रहे। 

 
'बाहुबलि' में इंटरवल के बाद ज्यादा मजा आता है। एक लंबा युद्ध दिखाया गया है जिसमें स्पेशल इफेक्ट्स लाजवाब है। इसकी रणनीति को लेकर बढ़िया सीन बनाए गए हैं। इसे युद्ध में बाहुबलि और भल्लाला अपना पराक्रम दिखाते हैं और उनके प्रशंसकों को यह सीन बहुत ही पसंद आएंगे। 
 
निर्देशक एसएस राजामौली ने ऐसे कई दृश्य रचे हैं जो लार्जर देन लाइफ फिल्म पसंद करने वालों को ताली बजाने पर मजबूर करेंगे। उन्होंने हर कैरेक्टर के लिए खास दृश्य बनाए हैं। राजामौली की तारीफ इसलिए भी बनती है कि एक ऐसी कहानी जिसमें ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है, बावजूद इसके वे दर्शकों को बांध कर रखते हैं। चूंकि फिल्म का बजट बहुत ज्यादा है इसलिए कई बार वे सुरक्षित दांव चलते भी नजर आएं। जैसे कुछ गानों की जरूरत नहीं थी, लेकिन उन्हें जगह दी गई। सुदीप वाला सीन भी केवल स्टार वैल्यू बढ़ाने के लिए रखा गया।
 
बाहुबली की वीएफएक्स टीम भी बधाई की पात्र है। हॉलीवुड फिल्मों से पार तो नहीं निकले हैं, लेकिन नजदीक जरूर पहुंच गए हैं। इस टीम ने प्राकृतिक छटाएं, झरने और महीषपति शहर को बहुत ही भव्यता के साथ पेश किया गया है और कई तकनीकी गलतियों को भी छिपाया गया है। 
 
यह फिल्म हिंदी में डब की गई है इसलिए संवादों का स्तर ऊंचा नहीं है। इसी तरह फिल्म के गाने में अपील नहीं करते। ऐसा लगता है मानो अनुवाद किए गाने सुन रहे हो। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी ऊंचे स्तर की है। सेट भव्य हैं। फाइट सीन उल्लेखनीय हैं। 
 
प्रभाष और राणा अपने रोल के लिए एकदम फिट नजर आएं। उनका डील-डौल देख लगता है कि उनकी बाजुओं में फौलादी ताकत है। प्रभाष का स्क्रीन प्रजेन्स जोरदार है और वे हीरो की परिभाषा पर खरे उतरे। राणा का किरदार नकारात्मक है और दूसरे भाग में उन्हें शायद ज्यादा अवसर मिलेगा। यही हाल अनुष्का शेट्टी का है। उन्हें पहले भाग में ज्यादा अवसर नहीं मिला है, लेकिन दूसरे भाग में यह कमी पूरी हो जाएगी। तमन्ना भाटिया बेहद खूबसूरत नजर आईं और एक योद्धा के रूप में वे प्रभावित करती हैं। सत्यराज, नासेर, रामया कृष्णन अनुभवी कलाकार हैं और उन्होंने काम बखूबी किया है। 
 
फिल्म कैसी है ये तो दूसरा भाग देखने पर ही तय होगा, लेकिन पहला भाग प्रभावित करता है और दूसरे भाग को देखने के ‍लिए उत्सुकता पैदा करता है। 
 
बैनर : धर्मा प्रोडक्शन्स, एए फिल्म्स, आरको मीडिया वर्क्स प्रा.लि.
निर्देशक : एसएस राजामौली
संगीत : एमएम करीम
कलाकार : प्रभाष, राणा दग्गुबाती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया, रामया कृष्णन, सत्यराज, नासेर 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 39 मिनट 
रेटिंग : 3/5 

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