Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ब्लैंक : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें ब्लैंक : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

बॉलीवुड में करण कापड़िया को लांच करने के लिए 'ब्लैंक' फिल्म का निर्माण किया गया है। करण की मां सिम्पल कापड़िया फिल्म एक्ट्रेस डिम्पल कापड़िया की बहन थीं। उन्होंने भी अभिनेत्री और ड्रेस डिजाइनर के रूप में काम किया। सिम्पल की मृत्यु के बाद करण को डिम्पल ने ही पाला-पोसा। 
 
आमतौर पर किसी अभिनेता को लांच करने के लिए पहली फिल्म प्रेमकथा आधारित होती है, लेकिन 'ब्लैंक' एक्शन मूवी है। शायद करण के डील-डौल और लुक के लिए यह निर्णय लिया गया। करण को इस फिल्म में न हीरोइन के साथ रोमांस करने का मौका मिला और न ही रोमांटिक गाने का अवसर। निर्देशक बेहज़ाद खम्बाटा ने स्क्रिप्ट की डिमांड के मुताबिक ही फिल्म बनाई और जो चीज जरूरी नहीं थी उसे फिल्म में नहीं रखा। 
 
नवोदित करण की फिल्म का वजन बढ़ाने के लिए सनी देओल को फिल्म में रखा है। सनी देओल की कई फिल्मों में सिम्पल कापड़िया ड्रेस डिजाइनर थीं। 
 
सनी इस फिल्म में एटीएस चीफ एसएस दीवान की भूमिका में हैं। दीवान उस समय दंग रह जाता है जब उसे पता चलता है कि 20 से 25 किलो एचएमएक्स मुंबई में पहुंच चुका है और इसके जरिये हजारों जानें ली जा सकती हैं। 
 
दीवान को खबर मिलती है कि अस्पताल में एक लड़का लाया गया है जो कार से टकरा गया था। उसकी छाती पर एक बम लगा है। दीवान उससे मिलने जाता है, लेकिन वह लड़का याददाश्त खो चुका है। वह सिर्फ इतना बता पाता है कि उसका नाम हनीफ (करण कापड़िया) है। 
 
हनीफ आतंकियों के ग्रुप तेहरीर अल-हिंद से जुड़ा है जिसका सरगना मकसूद (जमील खान) है। इनका उद्देश्य मुंबई में 24 धमाके करना है। हनीफ की छाती पर लगा यह बम उसके दिल से जुड़ा है। जैसे ही धड़कन बंद होगी ब्लास्ट हो जाएगा। इसके साथ ही अन्य 24 बम भी शहर के अलग-अलग हिस्सों में एक्टिव हो जाएंगे। 
 
दीवान के हाथ से हनीफ निकल जाता है और उसके सामने कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। वह अपने जूनियर्स हुस्ना (ईशिता दत्ता) और रोहित (करणवीर शर्मा) के साथ इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करता है।  
 
प्रणव आदर्श की लिखी कहानी का नॉवेल्ट पाइंट है हनीफ की याददाश्त का चला जाना, लेकिन यह माइनस पाइंट भी बन जाता है। हनीफ की याददाश्त का जाना और आना फिल्म में इस तरह से दिखाया गया कि विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। 
 
हनीफ के हृदय से बम जुड़ा होना और उससे 24 अन्य बमों के एक्टिव हो जाने वाली बात भी इस तरह से समझाई गई है कि कई दर्शकों के यह पल्ले नहीं पड़ेगा। यह कहानी की मुख्य बात है और जब यही समझ नहीं आती तो फिल्म में रूचि घट जाती है। 
 
हनीफ ने क्यों आतंक की राह चुनी? उसके साथ ऐसा क्या हुआ था? इन प्रश्नों के भी जब जवाब मिलते हैं तो पूरी तरह से संतुष्ट नहीं करते। क्लाइमैक्स चौंकाता है, लेकिन लॉजिक के हिसाब से सही नहीं लगता। 
 
फिल्म में कुछ प्लस पाइंट्स भी हैं। कुछ कमियों के बाद भी फिल्म में रूचि बनी रहती है। फिल्म में कुछ थ्रिलिंग मोमेंट्स भी हैं। चेज़िंग सीन अच्छे बन पड़े हैं। करण का अस्पताल में फाइट वाला सीन उम्दा है। ट्रैवल एजेंट के ऑफिस वाला एक्शन सीन भी बढ़िया है। 
 
निर्देशक के रूप में बेहज़ाद खम्बाटा का काम मिला-जुला है। उन्होंने एक्शन और थ्रिलिंग दृश्यों को अच्छे से फिल्माया है, लेकिन कहानी की कुछ खास बातों को वे ठीक से समझा नहीं पाए। फिल्म की लंबाई उन्होंने बेवजह नहीं बढ़ाई, इसके लिए भी उनकी तारीफ की जा सकती है। 
 
इस तरह की फिल्मों में गानों का कोई स्थान नहीं बनता। फिर भी दो गाने रखे गए हैं। 'हिम्मत करजा' फिल्म में एक गंभीर मोड़ पर आता है और उस समय सनी और साथी जिस तरह से हाथ हिलाते हैं वो बिलकुल बचकाना लगता है। 
 
वॉर्निंग नहीं दूंगा ओपनिंग क्रेडिट्स के दौरान आता है जबकि अली-अली फिल्म के अंत में अक्षय कुमार पर फिल्माया गया है। इसमें करण को भी डांस करते दिखा कर यह कोशिश की गई है कि उन्हें डांस भी आता है। 
 
सनी देओल लंबे समय बाद एक अच्छी भूमिका में नजर आए हैं। यह रोल उनकी उम्र और शख्सियत पर फिट बैठता है। उन्होंने अपना काम पूरी गंभीरता से किया है। 
 
करण कापड़िया एक्शन सीन में जरूर अच्छे लगे, लेकिन अभिनय के मामले में वे बेहद कच्चे हैं। इमोशनल सीन में उनकी कमजोरी खुल कर सामने आती है। उन्हें अपनी डायलॉग डिलेवरी पर भी काफी काम करना होगा। उनका लुक साधारण है। ईशिता दत्ता, करणवीर शर्मा और ज़मील खान ने अपना-अपना काम ठीक से किया है। 
 
आरडी की सिनेमाटोग्राफी शानदार है और फिल्म को सुपीरियर लुक देती है। कई दृश्यों को बहुत अच्छे से फिल्माया गया है। एडिटर ने भी अपना काम अच्छे से किया है। 
 
कहने को तो 'ब्लैंक' थ्रिलर है, लेकिन थ्रिलिंग मोमेंट्स बहुत कम हैं।  
 
निर्माता : डॉ. शशिकांत भसी, निशांत पिट्टी, टोनी डिसूजा, विशाल राणा, एंड पिक्चर्स
निर्देशक : बेहज़ाद खम्बाटा
कलाकार : सनी देओल, करण कपाड़िया, ईशिता दत्ता, करणवीर शर्मा, जमील खान
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 1 घंटा 51 मिनट 
रेटिंग : 2/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इंदिरा गांधी की बायोपिक के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं विद्या बालन