Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चार्ली के चक्कर में : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें चार्ली के चक्कर में : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

चार्ली के चक्कर में एक क्राइम थ्रिलर है जो बिजॉय नाम्बियार की फिल्म 'शैतान' की याद दिलाती है। 'शैतान' के मेकर्स के पास बड़ा बजट था और तकनीक में भी वो फिल्म काफी मजबूत थी। दूसरी ओर 'चार्ली के चक्कर' कम बजट की फिल्म है और इसमें कहानी में उतार-चढ़ाव पैदा कर दर्शकों को बांधने की कोशिश की गई है। 
 
फिल्म ऐसे युवाओं की कहानी है जिनकी जिंदगी शराब, सिगरेट और ड्रग्स के नशे में गुजर रही है। न चाहते हुए भी वे अपराध के दलदल में फंस जाते हैं और मारे जाते हैं। पुलिस के हाथ उनका कैमरा लगता है जिसमें पिछले पन्द्रह दिनों की कुछ गतिविधियां शूट की गई है। इस आधार पर पुलिस ऑफिसर (नसीरुद्दीन शाह) को कातिल तक पहुंचना है। 
फिल्म के पहले हाफ में पुलिस फुटेज देखती है और दर्शक की हालत भी पुलिस जैसी ही रहती है जिसे कुछ समझ में नहीं आता। फिल्म का यह हिस्सा रोचक है और फिल्म के रोमांच को बनाए रखता है। साथ ही उत्सुकता पैदा होती है कि इन युवाओं का कत्ल किस वजह से किया गया है। फिल्म का पहला हिस्सा हैंड हेल्ड कैमरे से शूट किया गया है जिसमें काफी जर्क झेलने पड़ते हैं।  
 
दूसरे हाफ में कत्ल के पीछे छिपी गुत्थियां धीरे-धीरे खोली गई है और यही से फिल्म कमजोर होने लगती है। दर्शकों को चौंकाने के प्रयास में लेखक कुछ ज्यादा ही हद पार कर गए। परदे के पीछे कौन छिपा हुआ है इसका अंदाजा समझदार दर्शक लगा लेते हैं।
 
फिल्म की कहानी निर्देशक मनीष श्रीवास्तव ने अमित सियाल के साथ मिलकर लिखी है। निर्देशक के रूप में मनीष का प्रस्तुतिकरण अच्छा है। उन्होंने दर्शकों को काफी चौंकाया है। कलाकारों से अच्छा काम लिया है। 
 
लेखक के बतौर बहुत अच्छा प्लाट सोचा गया है। कहानी को फैलाव उम्दा है, लेकिन समेटा कुछ इस तरह से है कि बातें सुलझने के बजाय उलझी हुई लगती हैं। इतने सारे किरदार हैं कि कनफ्यूजन पैदा हो जाता है। कई बातें और किरदारों का उद्देश्य अस्पष्ट ही रह गया है। आखिर में ऐसा लगता है कि यह सब करने की जरूरत ही क्या थी? 
 
फिल्म में कई प्रतिभाशाली कलाकार हैं जिनका अभिनय अच्छे से बुरे के बीच रहा। इनमें से आनंद तिवारी, अमित सियाल, मानसी और सुब्रत दत्त प्रभावित करते हैं। नसीरुद्दीन शाह के लिए ऐसी भूमिका निभाना कठिन बात नहीं है। 
 
कुल मिलाकर 'चार्ली के चक्कर' अच्छी उम्मीद के साथ शुरू होती है, लेकिन बाद में औसत फिल्म बन कर रह जाती है। 
 
निर्माता : करण अरोरा
निर्देशक : मनीष श्रीवास्तव 
संगीत : रोहित कुलकर्णी, हैरी आनंद, विशाल मिश्रा
कलाकार : नसीरुद्दीन शाह, अमित सियाल, आनंद तिवारी, सुब्रत दत्ता, मानसी रछ, दिशा अरोरा 
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 1 घंटा 50 मिनट 28 सेकंड
रेटिंग : 2/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

फिल्म चार्ली के चक्कर में को आप पांच में से कितने अंक देंगे?