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डर्टी पॉलिटिक्स : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

डर्टी पॉलिटिक्स में पहले ही बता दिया गया है कि कहानी काल्पनिक है, जबकि सभी जानते हैं कि प्रेरणा कहां से ली गई है। फिल्म की कहानी में इतना दम तो है कि इस पर एक अच्छी मसाला फिल्म बनाई जा सके, लेकिन उबाऊ फिल्म बना दी गई है। निर्देशक हैं केसी बोकाड़िया जिन्होंने अस्सी और नब्बे के दशक में अनेक सफल मसाला फिल्में बनाई हैं, अफसोस की बात है कि उनका प्रस्तुतिकरण अभी भी उसी दौर का है जबकि दर्शकों की रूचि अब बहुत बदल गई है। 
 
यह फिल्म गंदी राजनीति की बात करती है जिसमें नेता अपना हित साधने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। बूढ़े नेता दीनानाथ (ओमपुरी) का दिल नाचने वाली खूबसूरत अनोखी देवी (मल्लिका शेरावत) पर आ जाता है। दीनानाथ अपने साथी दयाल (आशुतोष राणा) के जरिये अनोखी देवी को ऊंचे सपने दिखाता है। पैसे और पॉवर का जादू अनोखी पर चल जाता है। लालच में वह दीनानाथ की हर मुराद पूरी करती है। 
चुनाव में अनोखी को दीनानाथ उसके पसंदीदा शहर से टिकट नहीं दिलवा कर अपने पठ्ठे मुख्तार (जैकी श्रॉफ) को टिकट दिला देता है। अनोखी को यह बात चुभ जाती है। वह दीनानाथ के काले कारनामों की सीडी उजागर करने की धमकी देती है। दीनानाथ अपनी इज्जत बचाने के लिए अनोखी का कत्ल करा देता है और किसी को कानों कान खबर नहीं होती। अनोखी देवी के अचानक गायब होने के मामले को एक ईमानदार व्यक्ति मनोहर सिंह (नसीरुद्दीन शाह) उठाता है। सीबीआई जांच बैठाई जाती है। क्या शक्तिशाली नेता दीनानाथ तक पुलिस पहुंच पाती है? यह फिल्म का सार है। 
 
कहानी में कुछ प्रश्न ऐसे हैं जिनके जवाब नहीं मिलते। मुख्तार क्यों अनोखी देवी को मारने के लिए तैयार हो जाता है, यह स्पष्ट नहीं है। दयाल मन ही मन दीनानाथ से जलता है, इसके बावजूद वह उसकी हमेशा मदद क्यों करता है, ये समझ से परे है। इसके अलावा खराब स्क्रिप्ट और निर्देशन इस फिल्म को ले डूबा। 
 
केसी बोकाड़िया ने आधी से ज्यादा फिल्म एक ही बंगले में शूट कर डाली और ताबड़तोड़ काम खत्म किया। फिल्म में पात्र इतनी बक-बक करते हैं कि दर्शक पक जाते हैं। फिल्म में एक्शन कम और बातचीत बहुत ज्यादा है। बोकाड़िया शायद भूल गए कि वे फिल्म बना रहे हैं कोई रेडियो कार्यक्रम नहीं। फिल्म में बेमतलब के ढेर सारे दृश्य हैं जिनके कारण फिल्म उबाऊ और थका देने की हद तक लंबी हो गई है।
 
अनोखी देवी फिल्म का मुख्य पात्र है, लेकिन उस पर ज्यादा मेहनत नहीं की गई। उसकी लालच को निर्देशक ठीक से दिखा नहीं पाए। उसकी तुलना में विलेन दीनानाथ पर ज्यादा फुटेज खर्च किए गए हैं। अनोखीदेवी की हत्या वाले महत्वपूर्ण प्रसंग को भी सतही तरीके से फिल्माया गया है। फिल्म का कमजोर अंत लेखक की कमजोरी को उजागर करता है। 
 
ढेर सारे प्रतिभाशाली कलाकारों के जरिये केसी बोकाड़िया ने अपनी सीमित प्रतिभा को ढंकने की कोशिश की है, लेकिन कामयाब नहीं रहे। अच्छी स्क्रिप्ट के अभाव में ये कलाकार आखिर कब तक किला लड़ा सकते थे। मल्लिका शेरावत ने थोड़ी-बहुत एक्टिंग के साथ एक्सपोज भी किया। ओम पुरी ने भ्रष्ट नेता का रोल अच्छी तरह से निभाया, लेकिन वे उस स्तर तक नहीं पहुंच पाए जिस एक्टर ओम पुरी को हम जानते हैं। नसीरुद्दीन शाह, आशुतोष राणा, अनुपम खेर, गोविंद नामदेव, जैकी श्रॉफ, सुशांत सिंह, अतुल कुलकर्णी के हिस्से जितना आया उन्होंने अच्छी तरह से निभाया। 
 
कुल मिलाकर 'डर्टी पॉलिटिक्स' ऐसी फिल्म नहीं है जिस पर पैसा और समय खर्च किया जाए। 
 
बैनर : बीएमबी म्युजिक एंड मेग्नेटिक्स लि.
निर्देशक : केसी बोकाड़िया
संगीत : आदेश श्रीवास्तव, संजीव दर्शन, रॉबी बादल
कलाकार : मल्लिका शेरावत, ओम पुरी, जैकी श्रॉफ, अनुपम खेर, नसीरुद्दीन शाह, आशुतोष राणा, राजपाल यादव, गोविंद नामदेव
सेंसर सर्टिफिकेट : केवल वयस्कों के लिए * 2 घंटे 13 मिनट
रेटिंग : 1/5

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