Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

डंकी फिल्म समीक्षा: उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती हिरानी-शाहरुख की जोड़ी | Dunki Movie Review

Advertiesment
हमें फॉलो करें

समय ताम्रकर

फिल्म डायरेक्टर राजकुमार हिरानी पिछले 20 सालों से सुपरहिट फिल्में बना रहे हैं। दूसरी ओर एक्टर शाहरुख खान हैं जो पिछले 31 साल से टॉप स्टार्स की लीग में बने हुए हैं और 2023 में उन्होंने हिंदी फिल्म इतिहास की दो सबसे कामयाब फिल्में दी हैं। जब ये दोनों दिग्गज हाथ मिलाकर साथ काम करते हैं तो दर्शकों की उम्मीदों को पंख लगना स्वाभाविक है।  
webdunia
 
हिरानी मिडिल पाथ फिल्ममेकर हैं। दर्शकों के मनोरंजन का ध्यान रखते हुए वे कुछ मुद्दे भी फिल्म में उठाते हैं। 'डंकी' में उन्होंने इस बात को उठाया है कि वीजा देते समय धनवानों या शिक्षित लोगों का ही ध्यान रखा जाता है लिहाजा गरीब अवैध तरीकों से जान जोखिम पर डाल कर उन देशों में घुसते हैं जहां पर वे रोजगार पा सके। 
 
साथ ही फिल्म इस बात की ओर भी इशारा देती है कि विदेशी चकाचौंध के पीछे पागल होने वाले युवा अंधेरी हकीकत से परिचित नहीं हैं और वहां जाकर अधिकतरों को अपने मुल्क की याद सताती है। 
 
हिरानी ने इसके लिए पंजाब के 4-5 युवाओं के एक समूह को चुना है जो गरीबी से जूझ रहे हैं और इंग्लैंड जाकर पैसा कमाना चाहते हैं, लेकिन धनवान और शिक्षित न होने के कारण उन्हें वीजा नहीं मिलता। वे 'डंकी रूट' चुनते हैं और अवैध रूप से इंग्लैंड में दाखिल होने की कोशिश में लगे रहते हैं। 
 
इस कहानी के पृष्ठभूमि में एक लव स्टोरी भी है जो इस यात्रा में हार्डी (शाहरुख खान) और मनु (तापसी पन्नू) के बीच विकसित होती है। हिरानी ने अपनी टिपिकल स्टाइल में प्यार, दोस्ती, देशों की सीमाओं पर मौजूद खतरों  और मध्यमवर्गीय परिवार की उलझनों को इमोशन के सहारे पेश किया है।
 
राजकुमार हिरानी का कहानी कहने का तरीका हमेशा से ऐसा रहा है जो सीधे दर्शकों के दिल को छू सके। दर्शक हंसता भी है और पात्रों की समस्याओं पर दु:खी भी होता है। नि:संदेह 'डंकी' में भी ऐसे कुछ सीन हैं जो आपको हंसाते-हंसाते इमोशनल भी करते हैं, लेकिन हिरानी इस बार पूरे फॉर्म में नजर नहीं आए। 
 
वीजा वाले मुद्दे पर चोट करने की कोशिश की गई है, लेकिन ये बहुत हल्की है। वीजा व्यवस्था कुछ सोच कर ही बनाई गई है। यह बात सही है कि कुछ देशों में जाना बहुत मुश्किल है, लेकिन उन देशों की भी सुरक्षा संबंधी अपनी चिंताएं हैं। क्या हम अपने देश में किसी को भी एंट्री बिना सोचे समझे देते हैं? 
 
यहां पात्रों का इंग्लैंड न जा पाने का दु:ख इतना अपील इसलिए नहीं करता क्योंकि वे बहुत ज्यादा ऊंचा सपना देखते हैं। यदि आप के पास उच्च डिग्री नहीं है तो आप को कोई देश क्यों अपने यहां आने देगा? ये पात्र भारत के बड़े शहरों में जाकर भी वो सब कर सकते थे जो उन्होंने इंग्लैंड में किया। इससे उन्हें ये दु:ख तो नहीं होता कि 25 बरस से वे अपने परिवार वालों से नहीं मिले। 
 
धरती ऊपर वाले ने बनाई है और सरहदें इंसान ने खींची है, ये बात बरसों पुरानी है, लेकिन प्रैक्टिकल होकर सोचा जाए तो कुछ व्यवस्थाएं चलाने के लिए ये जरूरी भी है, इस बात पर बहुत ज्यादा रोया नहीं जा सकता।
 
'डंकी' में बात को जबरन थोपने की कोशिश नजर आती है। ऐसा दिखाया गया है मानो हार्डी, मनु और गैंग को वीजा नहीं मिला तो उनकी दुनिया खत्म हो जाएगी, जो सही नहीं है। 
 
फिल्म में सुखी (विक्की कौशल) का भी कैरेक्टर है, जिसके पास इंग्लैंड जाने का सही कारण मौजूद है और उसकी परेशानी समझ में आती है, लेकिन जो कदम यह कैरेक्टर उठाता है उससे सहमत नहीं हुआ जा सकता।
 
राजकुमार हिरानी की फिल्मों में लेखन पक्ष मजबूत रहता है, लेकिन लेखकों (अभिजात जोशी, राजकुमार हिरानी, कनिका ढिल्लन) की टीम इस बार कुछ सशक्त देने से चूक गई। उन्होंने मुद्दे को उठाया है, लेकिन उसको पूरी तरह से जस्टिफाई नहीं कर पाए या दर्शकों के दिमाग में यह बात नहीं बैठा पाए कि यह कितना गंभीर है। 
 
लेखन की कमी को कुछ हद तक राजकुमार हिरानी अपने कुशल निर्देशन से छिपा लेते हैं। उन्होंने अपनी बात कहने में इमोशन का प्रवाह बनाए रखा जो दर्शकों को छूता रहता है, खासतौर पर पहले हाफ में। अंग्रेजी सीखने वाले दृश्य हंसाते भी हैं, लेकिन लंबे भी हो गए हैं। सेकंड हाफ में फिल्म का ग्राफ नीचे आता है और क्लाइमैक्स में आप इसलिए नहीं चौंकते क्योंकि आपको पता रहता है कि आगे क्या होने वाला है।
 
फिल्म की कहानी बहुत अपील नहीं करती हो, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ सीन हंसाते हैं, गुदगुदाते हैं, दिल को छूते भी हैं, लेकिन ये बात टुकड़ों-टुकड़ों में फील होती है और इसका पूरी फिल्म में प्रभाव नजर नहीं आता। 
 
शाहरुख खान अपने चार्म और एक्टिंग से अपने कैरेक्टर को उभारते हैं। एक ऐसा फौजी जो किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानता, हर मुश्किल को सुलझाने की वह हंसते-हंसते कोशिश करता है, में उन्हें देखने अच्छा लगता है। हाल ही में रिलीज दो फिल्मों में लार्जर देन लाइफ किरदार निभाने के बाद उन्होंने 'डंकी' में रियल लाइफ किरदार को उसी गर्मजोशी के साथ निभाया है। 
 
तापसी पन्नू को वैसे सीन नहीं मिले जहां पर वे बतौर एक्टर अपनी छाप छोड़ सकें। विक्की कौशल, बमन ईरानी सहित अन्य सपोर्टिंग एक्टर्स का काम उम्दा है। 
 
गाने गहरे अर्थ लिए हुए हैं और फिल्म देखते समय ही अच्छे लगते हैं। हिरानी का संपादन उम्दा है। सिनेमाटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक बढ़िया है। 
 
हिरानी-शाहरुख की जोड़ी जो आशा जगाती है उस पर 'डंकी' खरी नहीं उतरती। 
 
  • बैनर : जियो स्टूडियोज़, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट, राजकुमार हिरानी फिल्म्स 
  • निर्देशक : राजकुमार हिरानी 
  • गीतकार : जावेद अख्तर, स्वानंद किरकिरे, इरशाद कामिल, कुमार, आईपी सिंह 
  • संगीतकार : प्रीतम 
  • कलाकार : शाहरुख खान, तापसी पन्नू, बोमन ईरानी, विक्की कौशल 
  • सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 41 मिनट 24 सेकंड
  • रेटिंग : 2.5/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कैटरीना कैफ की 'मेरी क्रिसमस' की रिलीज डेट क्यों बढ़ी आगे? मेकर्स ने बताई वजह