Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कालाकांडी : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें कालाकांडी : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

मुंबई शहर। एक रात। तीन कहानियां। इस तरह की फिल्में हम देख चुके हैं। कालाकांडी के रूप में फिर प्रयास किया गया है। इसे अक्षत वर्मा ने बनाया है जो 'देल्ही बैली' नामक सफल फिल्म बना चुके हैं। कालाकांडी उनकी एक और ब्लैक कॉमेडी है। 
 
तीन कहानियों को साथ में चलाना तभी आसान होता है जब तीनों दमदार हो। एक भी कमजोर हुई तो दर्शक बोर होने लगते हैं। यहां पर सैफ वाली कहानी अच्छी है, दीपक-विजय राज वाली औसत और शोभिता धुलीपाला वाली कमजोर। इससे देखने वालों का ध्यान भटकता रहता है। 
 
हालांकि निर्देशक के रूप में अक्षय वर्मा माहौल के जरिये स्थिति को संभालने की कोशिश करते नजर आते हैं, लेकिन स्क्रिप्ट का उन्हें साथ नहीं मिलता। 
 
तीनों कहानियों की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन धीरे-धीरे आइडिए खत्म होने लगते हैं और लेखक-निर्देशक को समझ नहीं आता कि बात को कैसे आगे बढ़ाया जाए। 
 
सैफ अली वाली कहानी में उन्हें पता चलता है कि सिगरेट और शराब से दूर रहने के बावजूद उन्हें पेट का कैंसर हो गया है और ज्यादा से ज्यादा 6 महीने उनके पास है। गुस्सा होकर वह ड्रग्स ले लेता है और महसूस करता है कि अभी तक की जिंदगी उसने बरबाद कर दी है। 
 
इस कहानी में अच्छा ह्यूमर है और कुछ ऐसे सीन देखने को मिलते हैं जिन पर आप ठहाके लगा सकते हैं। सैफ अली खान अपने अभिनय से इस कहानी को निखार देते हैं। इस तरह के रोल में वे जंचते हैं और 'कालाकांडी' में उनका अभिनय शानदार है। 
 
दीपक डोब्रियाल और विजय राज एक अंडरवर्ल्ड डॉन के लिए वसूली करते हैं। उनकी नीयत खराब हो जाती है। दोनों डॉन का पैसा एक झूठी घटना बना कर उड़ा लेना चाहते हैं। इस कहानी में आगे क्या होने वाला है यह आसानी से पता लगाया जा सकता है। इससे यह कहानी असर खो देती है। 
 
शोभिता धूलीपाला वाली कहानी कमजोर है। उसे कुछ घंटों में अमेरिका की फ्लाइट पकड़ना है। उसके पहले वह अपने बॉयफ्रेंड और दोस्तों के साथ पब में जाती है। पब में पुलिस छापा मारती है और वह फंस जाती है। 
 
जरूरी नहीं है कि तीनों कहानियों को आपस में जोड़ा जाए। यहां पर तीनों कहानी को जोड़ने का कोई खास सूत्र लेखकों के हाथ नहीं लगा। अंत में यही बात सामने आती है कि बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है। अच्छी शुरुआत के बाद अंत तक पहुंचते-पहुंचते फिल्म लड़खड़ा जाती है क्योंकि कहानियों में गहराई नहीं है। 
 
तीनों कहानियाँ बहुत महीन हैं, इसलिए निर्देशक ने अपनी तरफ से फिल्म में 'फील' डालने की कोशिश की है। रात का मुंबई देखने का रोमांच है। लगातार बारिश हो रही है। कुछ सीन उन्होंने मजेदार बनाए हैं, लेकिन इनकी संख्या कम है।
 
सैफ अली खान के अलावा दीपक डोब्रियाल, विजय राज, सोभिता धूलीपाला, अक्षय ओबेरॉय और शहनाज़ ट्रेज़रीवाला का अभिनय अच्छा है। कुणाल रॉय कपूर कमजोर कड़ी साबित हुए। 
 
कालाकांडी में देखने को ज्यादा कुछ नहीं है। इसकी खासियत सिर्फ 'ऑफ बीट' फिल्म होना है। 
 
निर्माता : रोहित खट्टर, आशी दुआ सारा 
निर्देशक : अक्षत वर्मा 
संगीत : समीर उद्दीन, शाश्वत सचदेव 
कलाकार : सैफ अली खान, शोभिता धुलीपाला, विजय राज, दीपक डोब्रियाल, कुणाल रॉय कपूर, अक्षय ओबेरॉय
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 1 घंटा 51 मिनट 51 सेकंड
रेटिंग : 2/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ऋषि कपूर की गलती पर रणबीर ने मांगी माफी