Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कहानी 2 : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें कहानी 2 : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

सुजॉय घोष द्वारा निर्देशित फिल्म 'कहानी' (2012) बॉलीवुड में बनी बेहतरीन थ्रिलर मूवीज़ में से एक है। सुजॉय ने साबित किया कि बिना चेजिंग सीन, गन, स्टाइलिश लुक और लार्जर देन लाइफ के भी एक थ्रिलर फिल्म बनाई जा सकती है। वही सुजॉय, विद्या बालन और बंगाल एक बार फिर 'कहानी 2 : दुर्गा रानी सिंह' में लौट आए हैं। 
 
कहानी पार्ट टू में नई कहानी और किरदार हैं। विद्या बागची इस बार विद्या सिन्हा (विद्या बालन) है। कोलकाता से 35 किलोमीटर दूर एक छोटे से कस्बे चंदननगर में अपनी 14 वर्षीय बेटी मिनी (नायशा खन्ना) के साथ रहती है। मिनी चल नहीं पाती है और उसके इलाज के लिए विद्या पैसा इकट्ठा कर अमेरिका जाना चाहती है।
 
एक दिन मिनी का अपहरण हो जाता है और विद्या बदहवास होकर उसे ढूंढने निकलती है। रास्ते में वह दुर्घटना का शिकार होकर कोमा में पहुंच जाती है। मामले की जांच के लिए इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह (अर्जुन रामपाल) अस्पताल पहुंचता है और वह विद्या की पहचान दुर्गा रानी सिंह के रूप में करता है। दुर्गा एक अपराधी है जिसकी पुलिस को लंबे समय से तलाश है। उस पर अपहरण और हत्या का आरोप है। क्या विद्या और दुर्गा एक ही है? दुर्गा अपराधी क्यों बनी? इंद्रजीत सिंह उसे कैसे जानता है? जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है गुत्थियां सुलझती जाती हैं। 


 
फिल्म की कहानी सुजॉय घोष और सुरेश नायर ने मिलकर लिखी है जबकि स्क्रीनप्ले और निर्देशन सुजॉय घोष का है। फिल्म की शुरुआत बेहतरीन है। अलसाया सा चंदननगर और विद्या बालन का दमदार अभिनय फिल्म के मूड को सेट कर देता है। पहली फ्रेम से ही विद्या साबित कर देती है कि वह अपनी बेटी को कितना चाहती है। शुरुआती पंद्रह-बीस मिनट में जब आप सिनेमाघर की कुर्सी पर अपने आपको एडजस्ट करते हैं तब तक फिल्म में तेजी से घटनाक्रम घट जाते हैं। मिनी का अपहरण, विद्या का एक्सीडेंट और यह प्रश्न भी सामने आता है कि यह विद्या है या दुर्गा? अपनी इस तेज गति से निर्देशक चौंका देते हैं। 
 
इसके बाद फिल्म थोड़ा थमती है। कहानी आठ साल पीछे जाती है। विद्या के अतीत से पर्दा हटाती है। कहानी पश्चिम बंगाल के हिल स्टेशन कलिम्पोंग में शिफ्ट हो जाती है। यहां पर कहानी की इमोशन अपील बढ़ जाती है। बाल यौन शोषण वाला मुद्दा दर्शकों को परेशान करता है। आप सिहर जाते हैं। फर्स्ट हाफ तक निर्देशक सुजॉय घोष कमाल करते हैं। स्क्रिप्ट एक दम कसी हुई लगती है, लेकिन जैसे ही दूसरा हाफ शुरू होता है स्क्रिप्ट में क्रैक उभरने लगते हैं और सुजॉय के हाथों फिल्म फिसलने लगती है। 
 
स्क्रिप्ट की यहां ज्यादा बात इसलिए नहीं की जा सकती है क्योंकि इससे रहस्य की परतें उजागर हो जाएंगी, लेकिन यह कहा जा सकता है कि सेकंड हाफ में 'कहानी 2' फिल्मी होने लगती है और कुछ बातें अधूरी लगती हैं। जैसे- आठ साल तक विद्या कैसे पुलिस से बचती रही? मिनी के अपहरण का मकसद मात्र मिनी और विद्या की हत्या ही था तो उसका अपहरण क्यों किया गया? क्यों विद्या की असली पहचान पुलिस को अपहरणकर्ता ने नहीं बताई? विद्या और इंद्रजीत की शादी वाली बात फिल्म की कमजोर कड़ी है और इसे बहुत हल्के से लिया गया है। बाल यौन शोषण वाला ट्रैक थोड़ा लंबा हो गया है जो दर्शकों में उदासी पैदा करता है।  
 
स्क्रिप्ट की खूबियों की बात की जाए तो विद्या और मिनी के रिश्ते को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया गया है। मिनी के प्रति विद्या के प्यार को आप महसूस करते हैं। तनाव से भरी और उदास फिल्म में इंद्रजीत तथा उसकी पत्नी के बीच के प्रसंग थोड़ी राहत देते हैं। 
 
स्क्रिप्ट की कमियों के बावजूद यदि फिल्म आपको बांध कर रखती है तो इसका श्रेय सुजॉय घोष के निर्देशन और विद्या बालन के अभिनय को जाता है। सुजॉय ने रियल लोकेशन पर शूटिंग की है जो कहानी को वास्तविकता के नजदीक ले जाता है। थ्रिलर फिल्म के लिए उन्होंने अच्छा माहौल बनाया है। चंदननगर, कलिम्पोंग, कोलकाता और बांग्ला संस्कृति को आप महसूस करते हैं। सुजॉय का प्रस्तुतिकरण शानदार है। स्क्रिप्ट की कमजोरी के कारण दूसरे हाफ में सुजॉय असहाय हो जाते हैं और फिल्म कही-कही बनावटी हो जाती है। फिल्म का क्लाइमैक्स ऐसा नहीं है जो सभी को अच्छा लगे, इस पर बहस हो सकती है।  
 
विद्या बालन ने स्क्रिप्ट से उठकर अभिनय किया है। एक ऐसी मां जो अपनी बेटी को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है, अन्याय न सहने वाली और किसी भी हद तक जाने वाली महिला का किरदार उन्होंने बारीकी से पकड़ा है और वे फिल्म की 'हीरो'  हैं। अर्जुन रामपाल भी अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं तो इसका श्रेय निर्देशक सुजॉय घोष को जाता है कि उन्होंने अर्जुन से एक्टिंग करा ली है। नायशा खन्ना, जुगल हंसराज, खरज मुखर्जी, कौशिक सेन और मनिनी चड्ढा अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराते हैं। 
 
फिल्म का बैकग्राउंड म्युजिक तारीफ के काबिल है। पार्श्व में बजते पुराने गीत और वातावरण में होने वाले कोलाहल का अच्छा प्रयोग किया गया है।
 
कहानी 2 एक डार्क मूवी है। जिसमें थोड़ा रहस्य है, थोड़ा रोमांच है, कुछ खूबियां हैं तो कुछ कमजोरियां। फिल्म बहुत अच्छी नहीं है तो इतनी खराब भी नहीं कि देखी भी न जा सके। 
 
निर्माता : सुजॉय घोष, जयंतीलाल गढ़ा
निर्देशक : सुजॉय घोष 
संगीत : क्लिंटन केरेजो
कलाकार : विद्या बालन, अर्जुन रामपाल, जुगल हंसराज, मनिनी चड्ढा, नायशा खन्ना, कौशिक सेन 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 9 मिनट 55 सेकंड्स
रेटिंग : 3/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

टीवी की 'संस्कारी बहूू' ने किया बोल्ड फोटोशूट...

कहानी 2 को आप पांच में से कितने अंक देंगे?