लोकप्रिय सुपरहीरो सुपरमैन को रीबूट किया गया है। अब सुपरहीरो की फिल्मों में इन किरदारों को आम इंसान के ज्यादा नजदीक रख कर पेश किया जा रहा है। सुपरमैन की ताजा फिल्म एक ऐसे सुपरमैन को पेश करती है जो आदर्शवादी है, लेकिन अंदर से असमंजस में घिरा इंसान भी है। यह फिल्म पहले की तरह धूमधड़ाका नहीं करती, बल्कि रुककर सोचने की जगह देती है।
इस बार का सुपरमैन न तो दुनिया को बस ताकत से बचाता है और न ही उसे हर वक्त उड़ते या मारते देखा जाता है। यह फिल्म सुपरमैन के अस्तित्व, उसकी जड़ों, उसकी पहचान और मानवीय द्वंद्व पर आधारित है।
यह फिलॉसॉफिकल सुपरहीरो है, जो अपने अस्तित्व को लेकर भी सवाल करता है। यह बदलाव उन दर्शकों को थोड़ा अखर सकता है जो अभी तक सुपरहीरो के कुछ अलग ही अंदाज देखते आए हैं।
जेम्स गन द्वारा निर्देशित सुपरमैन (2025) महज एक सुपरहीरो फिल्म नहीं है, बल्कि यह डीसी यूनिवर्स के पुनर्जन्म की कहानी है। यह फिल्म बताती है कि जब किसी आइकॉनिक कैरेक्टर को फिर से गढ़ा जाता है, तो वह नया भी लगता है और भावनात्मक रूप से भी जुड़ता है।
सुपरमैन (डेविड कोरेन्सवेट) ने तीन साल पहले अपनी ताकतों के साथ दुनिया के सामने कदम रखा और मेट्रोपोलिस में डेली प्लैनेट में रिपोर्टर बनकर लोइस लेन (रेचेल ब्रॉस्नाहन) और जिमी ओल्सन (स्कायलर गिसोंडो) के साथ काम कर रहा है। लोइस उसकी गर्लफ्रेंड है और जानती है कि वह सुपरमैन है।
जब सुपरमैन बोराविया की सेना को जरहानपुर पर हमला करने से रोकता है, तो 'हैमर ऑफ बोराविया' से पहली बार हार जाता है और फोर्ट्रेस ऑफ सॉलिट्यूड में जाकर क्रिप्टो की मदद से खुद को ठीक करता है। लेक्स लूथर (निकोलस हॉल्ट) उसके खिलाफ सबूत जुटाकर लोगों को भड़काता है, जिससे सुपरमैन क्रिप्टो को बचाने के लिए खुद को सरेंडर कर देता है।
लूथर उसे एक पॉकेट डाइमेंशन जेल में भेज देता है, जहाँ मेटामॉर्फो उसकी ताकत लौटाता है। दोनों मिलकर क्रिप्टो और मेटामॉर्फो के बेटे को छुड़ाते हैं। लोइस और मिस्टर टेरेफिक मिलकर कैदियों को आज़ाद करवाते हैं।
अंत में, सुपरमैन लूथर की साजिशें उजागर करता है कि वह बोराविया को हथियार ही नहीं बेच रहा था, बल्कि जरहानपुर की ज़मीन के बदले हमले में साझेदार भी था। लूथर को अपने अपराध कबूल करने पड़ते हैं।
जेम्स गन की कहानी में आगे क्या होगा इसके लिए बहुत दिमाग नहीं लगाना पड़ता। वैसे भी सुपरहीरो की कहानियां लगभग मिलती-जुलती होती हैं और बात ट्रीटमेंट की होती है।
फिल्म को लटकों-झटकों से दूर रखा गया है और सादगी पर ज्यादा जोर दिया गया है। कुछ दर्शकों को फिल्म की धीमी गति या कम एक्शन से शिकायत हो सकती है, खासकर उन लोगों को जो मारधाड़ वाले सुपरहीरो ड्रामा की उम्मीद लेकर आते हैं।
एक्शन की बजाय इमोशनल और फिलॉसॉफिकल सीन्स पर निर्देशक का जोर ज्यादा है। यह तेज गति से भागती हुई फिल्म नहीं है बल्कि ठहराव लिए हुए है।
हालांकि कुछ सीन ऐसे हैं जो दर्शकों में जोश जगाते हैं जैसे जरहानपुर के लोग सुपरमैन से मदद मांगते हैं, क्रिप्टो और सुपरमैन के कुछ सीन भी उम्दा हैं।
डेविड कोरेन्स्वेट ने क्लार्क केंट और सुपरमैन दोनों की दोहरी भूमिका को बड़ी संयमित तरीके से निभाया है। उन्होंने अपने किरदार को आम इंसान की तरह पेश करने पर ज्यादा जोर दिया है।
रेचेल ब्रॉस्नाहन ने लोइस लेन के किरदार को एक नई ऊर्जा दी है। वह सिर्फ रोमांटिक इंटरेस्ट नहीं, बल्कि एक जिज्ञासु, तेज़तर्रार पत्रकार हैं, जो क्लार्क केंट को भी चुनौती देती हैं और सुपरमैन को भी।
सपोर्टिंग का कास्ट का सपोर्ट उम्दा है।
फिल्म का सिनेमाटोग्राफ़ी वाकई शानदार है और बड़े परदे पर इसे देखना शानदार अनुभव है। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म में भावनाओं को और भी प्रभावशाली बनाता है।
यह फुल एक्शन एंटरटेनर नहीं है बल्कि फिलॉसॉफिकल सुपरहीरो की फिल्म है।
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निर्देशक: जेम्स गन
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फिल्म : SUPERMAN (2025)
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संगीत: जॉन मरफी, डेविड फ्लेमिंग
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कलाकार: डेविड कोरेन्स्वेट, रेचेल ब्रॉस्नाहन, स्कायलर गिसोंडो, निकोलस हॉल्ट
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रेटिंग : 2.5/5