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तनु वेड्स मनु रिटर्न्स : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

सीक्वल बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह रहता है कि कहानी और किरदारों से दर्शक भलीभांति परिचित रहते हैं। फिल्म के सफल होने से दर्शकों की पसंद पता चलती है। नुकसान यह रहता है कि ‍सीक्वल से अपेक्षा बहुत ज्यादा रहती है और यही पर ज्यादातर फिल्मकार मार खा जाते हैं। चार साल बाद 'तनु वेड्स मनु' का सीक्वल 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' के नाम से आया है और दूसरा भाग पहले भाग से बढ़कर है। 
 
कहानी वही से शुरू होती है जहां पहली खत्म हुई थी। तनु और मनु की शादी को चार वर्ष बीत चुके हैं। लंदन में रहकर तनु (कंगना रनौट) बोर हो चुकी है। उसे लगता है कि पति मनु (आर. माधवन) में स्पार्क नहीं बचा। वह पहले जैसा रोमांटिक नहीं रहा। अदरक की तरह यहां-वहां से फैल गया। मनु को पागलखाने में भरती करवा कर तनु कानपुर लौट आती है। उसके इस कदम से मनु चकित रह जाता है। किसी तरह पागलखाने से छूटकर वह भी भारत आता है और तलाक का नोटिस भिजवा देता है। जिसका जवाब उसी शैली में तनु की ओर से दिया जाता है। 
 
नई दिल्ली में मनु की निगाह एक लड़की कुसुम (फिर कंगना रनौट) पर पड़ती है जो दिखने में बिलकुल तनु जैसी है। मनु का दिल आ जाता है। यह हरियाणवी लड़की एथलीट है और मनचलों की हॉकी से धुलाई करना जानती है। मनु और कुसुम में उम्र का अंतर है, लेकिन कुसुम शादी के लिए मान ही जाती है। 
 
फिर एंट्री होती है राजा अवस्थी (जिमी शेरगिल) की जिनकी नाक के नीचे से पिछली बार तनु को मनु ले उड़े थे। एक बार फिर राजा भैया और मनु की राहें टकरा रही हैं। इधर मनु और तनु का दिल भी एक-दूसरे के लिए धड़कता है। क्या तनु-मनु फिर मिलेंगे? क्या कुसुम और मनु की शादी होगी? राजा भैया की राह में किस तरह मनु फिर रोड़ा बन गया? इन बातों के जवाब मिलते हैं फिल्म में। 
कहानी की बुनियाद कमजोर है। तनु और मनु एक-दूसरे को नापसंद क्यों करने लगे इसकी कोई ठोस वजह नहीं बताई गई। एक बेहद बोरिंग सीन के जरिये यह सब दिखाया गया है जहां पागलखाने में तनु और मनु डॉक्टर्स के सामने एक-दूसरे से बहस करते हैं। यहां कॉमेडी करने की कोशिश की गई है, लेकिन बात नहीं बनती। 
 
कुसुम और मनु की उम्र में फासला बताया गया है। कुसुम का भाई दोनों के रिश्ते के लिए मना भी कर देता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ कि कुसुम शादी के लिए क्यों मान जाती है। इसी तरह की कुछ कमजोरियां कहानी में हैं, लेकिन बेहतरीन स्क्रीनप्ले, दमदार अभिनय और शानदार निर्देशन इन कमजोरियों को ढंक लेता है क्योंकि इनके कारण फिल्म मनोरंजक बन पड़ी है। 

तनु वेड्स मनु रिटर्न्स शुरुआत के पन्द्रह-बीस मिनट में लड़खड़ाती है, लेकिन धीरे-धीरे पात्रों और प्रसंगों को दर्शक सोख लेता है और फिल्म में मजा आने लगता है। हिमांशु शर्मा की कहानी जरूर कुछ सवाल खड़े करती है, लेकिन स्क्रीनप्ले और संवाद जबरदस्त है। कई संवाद आपको ठहाके लगाने पर मजबूर करते हैं। 
 
तनु जैसी दिखने वाली कुसुम का कैरेक्टर फिल्म से जोड़ा जाना मास्टर स्ट्रोक है। कुसुम का किरदार फिल्म में जान फूंक देता है और क्लाइमैक्स तक इसका असर देखने को मिलता है। 
 
निर्देशक आनंद एल. राय का प्रस्तुतिकरण तारीफ के योग्य है। उनकी अतिरिक्त मेहनत और कल्पनाशीलता परदे पर झलकती है। छोटे शहर और वहां रहने वाले लोगों के मिजाज को पेश करने में वे मास्टर हैं। उन्होंने छोटे-छोटे सीन से माहौल बनाया है। उदाहरण के लिए कैमरा कंगना पर है और वे संवाद बोल रही है, वहीं पृष्ठभूमि में एक आदमी बिजली के तार से बिजली चोरी करने की कोशिश कर रहा है। 
 
फिल्म की कहानी ऐसी है जो हम कई बार देख चुके हैं, लेकिन आनंद एल. राय का प्रस्तुतिकरण इसको जुदा बनाता है। फिल्म बहती हुई प्रतीत होती है और इंटरवल इतनी जल्दी हो जाता है कि अखरता है। उन्होंने कोई भी फालतू सीन नहीं रखा है और किरदारों की भीड़ रखी है, लेकिन हर किरदार हंसाता है। हास्य और इमोशन साथ-साथ चलने से फिल्म के कई सीन दिल को छूते है। 
 
कंगना रनौट का अभिनय ऊंचे दर्जे का है। वे लगातार साबित कर रही हैं कि वे अपनी समकक्ष अभिनेत्रियों से कहीं आगे हैं। इस फिल्म में डबल कंगना को देखना डबल मजा देता है। बिंदास, मुंहफट और अनिश्चित तनु के रूप में उनका अभिनय लाजवाब है। कुसुम और मनु की शादी के दौरान उनके हाव-भाव देखने लायक है। एथलीट कुसुम के रूप में उन्होंने कमाल का अभिनय किया है। कंगना अपने अभिनय के जरिये किरदारों को इतना प्रभावी बना देती है कि दर्शक फिल्म की खामियों को भूल जाते हैं। 
 
आर माधवन, जिमी शेरगिल, दीपक डोब्रियाल, स्वरा भास्कर, जीशान अय्युब सहित सारे कलाकारों का काम उम्दा है और सभी के किरदार याद रहते हैं। गीत फिल्म की थीम को आगे बढ़ाते हैं। बन्नो, मूव ऑन, ओल्ड स्कूल गर्ल, मत जा रे, सुनने लायक है। 
 
आमतौर पर सीक्वल निराश करते हैं, लेकिन तनु वेड्स मनु रिटर्न्स पहले भाग से बेहतर है। कंगना का उत्कृष्ट अभिनय, गुदगुदाने वाले संवाद और मनोरंजक प्रस्तुतिकरण इस रोमांटिक-कॉमेडी को देखने के लिए पर्याप्त कारण हैं। थिएटर से आप कुछ किरदारों को साथ लिए मुस्कुराते हुए बाहर आते हैं। 
 
बैनर : इरोज इंटरनेशनल
निर्माता : सुनील ए. लुल्ला, कृषिका लुल्ला
निर्देशक : आनंद एल. राय
संगीत : कृष्णा सोलो, तनिष्क-वायु 
कलाकार : कंगना रनौट, आर. माधवन, जिम्मी शेरगिल, दीपिक डोब्रियाल, मोहम्मद जीशान अय्युब, स्वरा भास्कर, एजाज खान 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 12 सेकंड
रेटिंग : 3.5/5 

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