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विश्वरूप 2 : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें विश्वरूप 2 : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

कमल हासन ने महसूस किया कि 'विश्वरूप' की कहानी को वे ढाई घंटे में नहीं दिखा सकते इसलिए उन्होंने इसे दो भागों में बनाने का फैसला लिया। पहले भाग में उन्हें 60 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था बावजूद इसके उन्होंने दूसरा भाग बनाने की हिम्मत दिखाई। 
 
विश्वरूप के पहले भाग में कहानी और पेश करने के तरीके में जो बिखराव था उसमें सुधार दूसरे भाग में भी नहीं हुआ। बल्कि यह कहना ठीक होगा कि दूसरे भाग में हालात और बिगड़ गए। 
 
विश्वरूप 2 पहले भाग का सीक्वल भी है और प्रिक्वल भी। यानी कि कहानी कई बार आगे-पीछे होती है। निर्देशक के रूप में कमल हासन ने कहानी को इस तरीके से पेश किया है दर्शक पूरी तरह कन्फ्यूज होते रहते हैं और ज्यादातर समय पल्ले ही नहीं पड़ता कि यह सब क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है? 
 
पिछले भाग की तरह ही इस बार भी विज़ाम (कमल हासन) के निशाने पर उमर कुरैशी (राहुल बोस) और सलीम (जयदीप अहलावत) हैं जो न्यूयॉर्क से भाग निकले हैं और उनके निशाने पर भारत है जहां वे धमाकों के जरिये आतंक फैलाना चाहते हैं। 
 
लगभग ढाई घंटे की फिल्म है और अपनी बात पर यह आखिरी के 45 मिनट में आती है तब तक कहानी को खूब घुमाया फिराया गया है ताकि दर्शकों को बहलाया जा सके, लेकिन यह सब देखना बोरिंग है। फिल्म आपके सब्र की परीक्षा ले लेती है। 
 
कमल हासन की बड़ी असफलता यह है कि वे दर्शकों को फिल्म से बिलकुल भी नहीं जोड़ पाए। उन्होंने बात कहने में लंबा समय लिया है। लंबे सीन रचे हैं और फिल्म बेहद सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ती है। 
 
कहने को तो यह थ्रिलर है, जिसमें स्काई डाइविंग है, पानी के अंदर की शूटिंग है, हेलिकॉप्टर हैं, फाइटिंग सीन हैं, बम-गोलियां हैं, लेकिन थ्रिल नहीं है। बिना ठोस कहानी के ये सब खोखले नजर आते हैं। 
 
इस एक्शन फिल्म में कमल हासन मिसफिट हैं। उन्हें देख लगता ही नहीं कि यह आदमी इतनी बढ़िया फाइटिंग या स्टंट्स कर सकता है। जब फिल्म के हीरो पर ही दर्शकों का विश्वास नहीं जम पाता तो कहानी पर कैसे होगा। इमोशनल सीन में कमल जरूर अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं, लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि एक एक्शन से सजी थ्रिलर मूवी है। 
 
ढंग की कहानी न होने पर परदे पर दिखाई तमाम मेहनत को बरबाद होते देखना तकलीफ भरा है। कई लोकेशन पर कहानी को फिल्माया गया है, पैसा खर्च किया गया है, हर सीन को को भव्य बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन ढंग की कहानी नहीं चुनी गई। 
 
निर्देशक के रूप में भी कमल हासन निराश करते हैं। गाने बिना सिचुएशन के डाल दिए गए हैं। मां-बेटा वाला ट्रेक इमोशनल जरूर करता है, लेकिन गौर से सोचा जाए तो यह महज फिल्म की लंबाई बढ़ाने के काम आता है। कमल ने बहुत सारी बातें फिल्म में कहने की कोशिश की है, लेकिन कहने का सलीका नहीं आया। 
 
उमर और सलीम को जितना खतरनाक बताया गया है उन्हें फिल्म में उतने फुटेज भी मिलने चाहिए थे, लेकिन वे फिल्म के आखिरी में ही नजर आते हैं जिससे वे उतने खतरनाक नहीं लगते। 
 
फिल्म की दोनों हीरोइनों पूजा कुमार और एंड्रिया जर्मिया का काम अच्छा है। बरसों बाद बड़े परदे पर वहीदा रहमान को देखना अच्छा लगता है। बाकी कलाकार दबे-दबे से रहे क्योंकि उनके रोल ठीक से नहीं लिखे गए थे। 
 
'विश्वरूप 2' देखने के बाद फिल्म से ज्यादा अफसोस कमल हासन के लिए होता है। 
 
बैनर : राजकमल फिल्म्स इंटरनेशनल, रोहित शेट्टी पिक्चर्स, रिलायंस एंटरटेनमेंट
निर्माता : कमल हासन, चंद्रा हासन
निर्देशक : कमल हासन
संगीत : मोहम्मद घिब्रान
कलाकार : कमल हासन, राहुल बोस, पूजा कुमार, शेखर कपूर, जयदीप अहलावत, वहीदा रहमान
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 24 मिनट 43 सेकंड 
रेटिंग : 2/5 

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