एक सेकंड...जो जिंदगी बदल दे : कमजोर फिल्म
बैनर : सरोज एंटरटेनमेंट प्रा.लि. निर्माता : रचना सुनील सिंह निर्देशक : पार्थो घोषकलाकार : जैकी श्रॉफ, मनीषा कोइराला, निकिता आनंद, रोजारेटिंग :1/5एक वक्त ऐसा भी था जब पार्थो घोष का नाम सफल निर्देशकों में गिना जाता था। 100 डेज़, दलाल और अग्निसाक्षी जैसी सफल फिल्में उन्होंने दी थीं। लेकिन वक्त के साथ घोष बदल नहीं पाए और इसका परिणाम ‘एक सेकंड... जो जिंदगी बदल दे’ में देखने को मिलता है। अरसे से अटकी हुई यह फिल्म अब जाकर रिलीज हुई है। चूका हुआ निर्देशन, जैकी और मनीषा जैसे थके हुए कलाकार, बेजान स्क्रीनप्ले इस फिल्म में देखने को मिलते हैं। 1998 में बनी स्लाइडिंग डोर्स से प्रेरित ‘एक सेकंड... जो जिंदगी बदल दे’ में एक भी चीज उल्लेखनीय नहीं है। कहानी है एक कपल की, जिसमें पति अपनी पत्नी को धोखा देते हुए अपनी पहली गर्लफ्रेंड से संबंध बनाए हुए है। क्या होता है जब पत्नी एक सेकंड की देरी के कारण ट्रेन मिस कर देती है? इसके बाद दो कहानियाँ समानांतर चलती है, लेकिन पर्दे पर क्या घट रहा है इससे दर्शक कभी भी जुड़ नहीं पाता। फिल्म का विचार भले ही अच्छा है, लेकिन निर्देशन और स्क्रीनप्ले ने सब गड़बड़ कर दिया। जैकी श्रॉफ ने ऐसे अभिनय किया मानो कोई रूचि ही न हो। यही हाल मनीषा कोइराला का भी है। निकिता आनंद का सारा ध्यान अंग प्रदर्शन पर रहा। रोजा एक्टिंग में जीरो है। पार्थो घोष का निर्देशन प्रभावित नहीं करता। न वे कहानी को ठीक से पेश कर पाए और न ही कलाकारों से अच्छा अभिनय उन्होंने लिया। फिल्म का संगीत और गानों का फिल्मांकन भी खास नहीं है। अन्य तकनीकी पक्ष भी कमजोर है। कुल मिलाकर ‘एक सेकंड...जो जिंदगी बदल दे’ देखने का एक भी कारण इस फिल्म में मौजूद नहीं है।