निर्देशक रोहित शेट्टी अपने किरदारों पर बहुत मेहनत करते हैं। उनकी फिल्म का हर किरदार कुछ न कुछ खासियत लिए रहता है। जैसे ‘गोलमाल 3’ में अजय देवगन को कोई अँगुली दिखा दे तो उसे इतना गुस्सा आता है कि वह अँगुली तोड़ देता है। श्रेयस तलपदे का किरदार हकलाकर बोलता है। जॉनी लीवर की बार-बार याददाश्त चली जाती है और वह बहकी-बहकी बातें करने लगता है।
यही मेहनत यदि रोहित कहानी पर करें तो फिल्म देखने लायक हो जाए। ‘गोलमाल 3’ में कहानी जैसा कुछ नहीं है। ढेर सारे फनी सीक्वेंसेस को जोड़कर फिल्म तैयार कर दी गई है। बीच में कुछ एक्शन दृश्य भी हैं जिसमें रोहित ने अपनी आदत के मुताबिक कारों को उड़ाया है। अजय देवगन ने स्लोमोशन में गुंडों की पिटाई की है।
‘गोलमाल’ की कहानी पुरानी ‘खट्टा मीठा’ से प्रेरित है और खबर है कि ‘गोलमाल 3’ के निर्माताओं ने ‘खट्टा मीठा’ के निर्माता को पेमेंट भी किया है ताकि वे रिलीज के समय अदालत में न जाए।
मिथुन और रत्ना पाठक शाह ऐसे प्रेमी-प्रेमिका हैं जो शादी नहीं कर पाए। दो अनाथ बच्चों (अजय देवगन, श्रेयस तलपदे) को रत्ना और तीन अनाथ बच्चों (अरशद वारसी, कुणाल खेमू और तुषार कपूर) को मिथुन पालते हैं।
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बच्चों को पता नहीं रहता कि उनकी यह माँ या बाप वास्तव में उनके माता-पिता नहीं है। बरसों बाद मिथुन और रत्ना फिर मिलते हैं। लुकाछिपी का खेल फिर शुरू होता है और अजय की गर्लफ्रेंड करीना यह बात जान जाती है।
उसके प्रयासों से मिथुन और रत्ना शादी कर लेते हैं, लेकिन उनके बच्चों में आपस में नहीं पटती। एक-दूसरे को वे नीचा दिखाने की उनमें होड़ लग जाती है और कई हास्यास्पद परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। आखिर में उनके अनाथ होने का भेद खुल जाता है और उसके बाद वे एक सुखी परिवार की तरह रहने लगते हैं।
फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जो हँसाते हैं, अजय देवगन का अँगुली तोड़ना, वसूली और इंसपेक्टर के बीच टेलीफोन पर बातचीत, तवा वाला दृश्य, जॉनी लीवर का बार-बार याददाश्त खोना, अजय-तुषार-कुणाल-अरशद और श्रेयस के बीच बिना संवाद वाला सीन जिसमें वे एक-दूसरे को तरह-तरह की चीज दिखाकर धमकाते हैं। मिथुन और रत्ना की प्रेम कहानी वाले दृश्य भी अच्छे बने हैं। साथ ही कई ऐसे दृश्य भी हैं जिन्हें देख लगता है कि बेवजह हँसाने की कोशिश की जा रही है। कुछ दृश्य फूहड़ भी हैं।
एक निर्देशक के रूप में रोहित कुछ नया नहीं कर पाए हैं और अपने आपको ही दोहरा रहे हैं। कॉमेडी के साथ-साथ उन्हें कहानी, इमोशंस और म्यूजिक पर भी ध्यान देना चाहिए। फिल्म का संगीत निराशाजनक है और हिट गानों की कमी खलती है।
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अजय देवगन ने एक गुस्सैल युवक की भूमिका बेहतरीन तरीके से अभिनीत की है। कुणाल खेमू और अरशद वारसी की कॉमिक टाइमिंग बहुत अच्छी है। एकमात्र नायिका के रूप में करीना अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। गूँगे के रूप में तुषार कुछ दृश्यों में हँसाते हैं तो कुछ में उन्हें देख खीज पैदा होती है। जॉनी लीवर का किरदार सिनेमा हॉल के बाहर निकलने के बाद भी याद रहता है। संजय मिश्रा ने अँग्रेजी शब्दों की गलत स्पैलिंग बोलकर खूब हँसाया। मिथुन चक्रवर्ती और रत्ना पाठक शाह असर छोड़ने में कामयाब रहे। छोटे से किरदार में प्रेम चोपड़ा भी खूब जमे।
कुल मिलाकर ‘गोलमाल 3’ इतनी अच्छी भी नहीं है कि जिसका हास्य गुणवत्ता लिए हो और इतनी बुरी भी नहीं है कि सिनेमा हॉल में बार-बार घड़ी देखने का मन करे।